तभी दूसरा साधू आता है और झोपडी को देखकर खुश
हो जाता है नाचने लगता है और कहता है भगवान् आज विश्वास हो गया तू हमसे कितना
प्रेम करता है ये हमारी आधी झोपडी तूने ही बचाई होगी वर्ना इतनी तेज आंधी – तूफ़ान में तो पूरी झोपडी ही उड़ जाती ये तेरी ही कृपा है कि अभी भी हमारे पास
सर ढंकने को जगह है…. निश्चित ही ये मेरी पूजा का फल है , कल से मैं तेरी और पूजा करूँगा , मेरा तुझपर
विश्वास अब और भी बढ़ गया है…
तेरी जय हो
!
मित्रों एक ही घटना को एक ही जैसे दो लोगों
ने कितने अलग-अलग ढंग से देखा …
हमारी सोच
हमारा भविष्य तय करती है , हमारी दुनिया तभी बदलेगी जब हमारी सोच
बदलेगी। यदि हमारी सोच पहले वाले साधू की तरह होगी तो हमें हर चीज में कमी ही नजर आएगी और अगर दूसरे साधू की तरह होगी तो हमे हर चीज में
अच्छाई दिखेगी ….अतः हमें दूसरे साधू की तरह विकट से विकट परिस्थिति में भी अपनी सोच सकारात्मक बनाये रखनी चाहिए।
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