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देवी की
आराधना करने वाले भक्तों की शक्ति की कोई सीमा नहीं है। इन दिनों तो ऐसा लगता है
कि किस प्रकार साधना करें कि बस मां की कृपा हो जाए।
नवरात्रि के
अलावा अन्य दिनों में चाहे कोई कैसे भी रहे पर आप देखिए कि नौ दिनों में तो लोग
कठिन से कठिन नियम व्रत का पालन करते हैं।
क्या है
परंपराओं का महत्त्व-
1- शास्त्रों में नौ दिनों तक निर्वहन की जाने
वाली परंपराओं का बड़ा महत्त्व बताया गया है।
माना जाता है कि नौ दिनों में जलाई जाने वाली अखंड ज्योति देवी की उपस्थिति और शक्ति का प्रतीक होती है। जवारे जीवन में सुख-शांति के द्योतक होते हैं। जवारों का हरा-भरा होना प्रतीक है कि इसी तरह जीवन भी हरा-भरा रहेगा। साथ ही देवी की कृपा भी बनी रहेगी।
2- जहां तक बात है कन्या भोजन की तो दो वर्ष से
लेकर नौ वर्ष तक की कन्याओं को देवी
का रूप समझकर भोजन कराया जाता है।
3- ऐसा माना जाता है कि इन कन्याओं के रूप में
माता स्वयं आकर भोजन ग्रहण करती हैं।
4- कन्याओं को नमक खिलाना वर्जित है विशेष कर खीर, मिष्ठान्न और केला खिलाना शुभ
माना गया है।
5- इसी प्रकार देवी को जल ढारना भी एक परंपरा है
जो सदियों से चली आ रही है। इसमें देवी
से प्रार्थना की जाती है कि सभी लोग रोगों से और महामारियों से दूर रहें। माता उनकी रक्षा करें।
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Source – KalpatruExpress News Papper
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गुरुवार, 3 अप्रैल 2014
देवी भक्ति का त्योहार नवरात्रि
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