द्वितीय विश्व
युद्ध के दौरान हवाई हमलों से बचाव के लिए बने बंकर तथा सब्जियों की खेती का यूं
तो कोई संबंध नहीं है परंतु दो व्यवसायियों ने लंदन के एक बंकर को भूमिगत बगीचे
में बदल दिया है, जहां पैदा की
गई सब्जियों को वे जल्द ही शहर के रेस्तराओं में बेचने जा रहे हैं।
दक्षिण लंदन
के क्लैपहैम भूमिगत स्टेशन के करीब धरती से 30 मीटर नीचे स्थित इस बंकर तक 179 सीढ़ियों से उतर कर पहुंचा जाता है। कोई
आश्चर्य नहीं कि यहां अंधेरा तथा सीलन का वास है परंतु यहां तापमान साल भर एक
समान, 16 डिग्री
सेल्सियस बना रहता है।
इस भूमिगत
बगीचे के निर्माता स्टीवन ड्रिग तथा रिचर्ड बैलार्ड ने स्पेशल लो एनर्जी लेड
बल्बों तथा इंटीग्रेटेड हाइड्रोपोनिक्स सिस्टम का इस्तेमाल करके कई तरह की
जड़ी-बूटियां, सब्जियां तथा
अन्य वनस्पतियां उगाने में सफलता पाई है।
स्टीवन के
अनुसार उन्होंने इस बारे में पहली बार दो साल पहले एक पब में बीयर पीते हुए सलाह
की थी। फिर उन्होंने इस स्थान पर यह काम करने की स्वीकृति हासिल की।
स्टीवन तथा
रिचर्ड इस भूमिगत बंकर तक संयोगवश पहुंचे जब वे किसी गोदाम को किराए के लिए तलाश
रहे थे और उन्हें इस बंकर के बाहर लगा ‘किराए के लिए खाली है’ संकेत दिखाई दिया।
अब वे अपने इस
काम के लिए और धन जुटाने हेतु खास अभियान चलाने जा रहे हैं। उनका दावा है कि उनकी
इस परियोजना में अभी से कई निजी निवेशक रुचि लेने लगे हैं। उनकी परियोजना को
इंटरनेट पर 50 पाउंड का दान
देने वालों को बदले में उनकी तरफ से लिखित धन्यवाद संदेश मिलता है जबकि 250 पाउंड का दान करने की हिम्मत करने वालों को
इस अनोखे भूमिगत बगीचे की सैर करने का मौका मिलता है।
उनकी इस योजना
को सफल व्यवसाय में बदलने के लिए उन्हें करीब 3 लाख पाउंड निवेश की जरूरत है।
अब तक वे 1 लाख पाउंड जुटा चुके हैं। हालांकि अभी
उन्हें लम्बा रास्ता तय करना है, रिचर्ड को पूरा विश्वास है कि वे अपने महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा कर लेंगे।
वह फिलहाल रोज 3 घंटे इस बगीचे
में काम करते हंै। जैसे ही इस भूमिगत बगीचे में खेती के लिए पूर्ण स्वीकृतियां
मिल जाएंगी, बड़ी संख्या
में यहां सब्जियां उगाई जानी शुरू कर दी जाएंगी।
फिलहाल उनका
यह पायलट प्रोजेक्ट मार्च में पूरा हो जाएगा जिसके बाद असली काम शुरू किए जाने
की सम्भावना है। गर्मियों तक स्टीवन तथा रिचर्ड इस भूमिगत बंकर में उगाए
उत्पादों की आपूर्ति लंदन भर के रेस्तरांओं को करने की सोच रहे हैं।
रिचर्ड का
अनुमान है कि उनके इस व्यवसाय में 20 लोगों को नौकरी भी मिलेगी। उन्हें नहीं लगता कि रेस्तरां प्राकृतिक रोशनी से
दूर उगाई गई सब्जियों पर कोई आपत्ति उठाएंगे। उनका कहना है कि इस बगीचे में उगी
सब्जियां लंदनवासियों को एकदम ताजा मिलेंगी। बंकर में वातावरण बेहद साफ है, शायद इसलिए भी क्योंकि 30 मीटर की गहराई तक जाना चूहों के लिए सम्भव
नहीं है, वैसे भी
उन्हें सड़कों पर ही अपने मतलब का बढ़िया खाना मिल जाता है।
बंकर में उगने
वाली सब्जियां भी पूरी तरह से कार्बन मुक्त हैं जिसमें लेड लैम्प भी शामिल हैं
क्योंकि इनके लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्राेतों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है।
लेड लाइट की मदद से सब्जियां उगाने के अपने शोध के दौरान उन्हें इस दिशा में
सालों का अनुभव रखने वाले हॉर्टीकल्चरिस्ट क्रिस नेल्सन से मिलने की सलाह दी गई
जिन्होंने उनकी काफी मदद की।
उन्हें इस
इलाके की गहन जानकारी रखने वाले शेफ माइकल रॉक्स से भी सहायता मिली। उनका कहना
है कि वह इन बंकरों तथा अन्य सुरंगों से अच्छी तरह वाकिफ हैं फिर भी जब वह पहली
बार इन दोनों के साथ उक्त सुरंग में गए तो वहां उगी सब्जियों तथा जड़ी-बूटियों
को देखकर दंग रह गए।
कहा जा रहा है
कि भूमि पर या ग्लासहाउस में की जाने वाली खेती की तुलना में बंकर में सब्जियों
की खेती में कम ऊर्जा तथा 70 प्रतिशत कम पानी की जरूरत पड़ती है। यह बंकर 1940 में बनना शुरू हुआ और दो सालों में तैयार
कर लिया गया था। असल में इसे रेल सुरंग के तौर पर बनाया गया था परंतु सरकार
लंदनवासियों को हवाई हमलों से बचाने की खातिर इसका इस्तेमाल एक बंकर के रूप में
करने लगी। इस बंकर में चिकित्सा व रसोई की सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई गई थीं
जिसने करीब 8 हजार
लंदनवासियों को बमबारी से सुरक्षित रखा था। स्टीवन तथा रिचर्ड के इसे बगीचे का
रूप देने से पहले कई दशकों तक यह खाली पड़ा रहा था।
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे
अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है:facingverity@gmail.com.पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और
फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
Source –
KalpatruExpress News Papper
|
OnlineEducationalSite.Com
बुधवार, 16 अप्रैल 2014
प्राकृतिक रोशनी से दूर अनोखा भूमिगत बगीचा
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें