आपकी सैलरी स्लिप में छिपा होता है बहुत कुछ, नहीं जानते होंगे आप
नई दिल्ली. नौकरीपेशा लोगों को हर महीने सैलरी मिलती है। इसके बाद एचआर आपको रसीद, यानी सैलरी स्लिप मुहैया कराते हैं। लेकिन अधिकांश लोग सिर्फ सैलरी से मतलब रखते हैं, सैलरी स्लिप देखते भी नहीं। आपने शायद ही गौर किया हो, लेकिन आपकी सैलरी स्लिप में तमाम ऐसी बातें छुपी हैं, जो आपको जॉब बदलने या इंक्रीमेंट के समय काम आ सकती हैं। दरअसल, जब आप दूसरी जॉब ढूंढते हैं, तो तय नहीं कर पाते कि कितना पैकेज मांगना है। लेकिन यदि आप सैलरी स्लिप को ध्यान से समझेंगे तो ये काम आसानी से हो जाएगा। हम आपको बता रहे हैं कि सैलरी स्लिप में कितनी बातें छुपी होती हैं।
यूं बनती है सैलरी स्लिप
सैलरी स्लिप में दो चीजें होती हैं। एक इनहैंड सैलरी और दूसरी डिडक्शन पार्ट। दोनों को मिलाकर आपकी मासिक सीटीसी यानी (कॉस्ट टू कंपनी) होती है। इसका मतलब है कि कंपनी आप पर कितना खर्च कर रही है। इसमें सभी भत्ते शामिल होते हैं।
इनहैंड सैलरी में होती हैं ये चीजें
1: बेसिक सैलरी
ये आपकी सैलरी का सबसे अहम हिस्सा है। आमतौर पर आपकी बेसिक कुल सैलरी का 35-40 फीसदी होता है। आपकी बेसिक जितना ज्यादा होगी, उतना ही आपको टैक्स देना पड़ेगा। यह 100 फीसदी टैक्सेबल होती है। बेसिक, इन हैंड सैलरी के रूप में मिलती है।
2. हाउस रेंट अलाउंस
ये अलाउंस आपको हाउस रेंट के रूप में मिलता है। आपका एचआरए बेसिक सैलरी का 40-50 फीसदी होता है। हालांकि, मेट्रो सिटी में ये ज्यादा हो सकता है। ये भी आपकी इन हैंड सैलरी का हिस्सा है।
टैक्सः इस पैसे पर आपको टैक्स में छूट मिलती है। लेकिन इसकी दो शर्तें हैं। पहला आपका हाउस रेंट अलाउंस बेसिक की तुलना में 40 फीसदी से कम हो, या जितना किराया आप दे रहे हैं, वह आपकी बेसिक सैलरी से 10 फीसदी कम हो।
3. कनवेंस अलाउंस
यह आपको ऑफिस जाने-आने या ऑफिस के काम से कहीं बाहर जाने के एवज में मिलता है। ये अमाउंट कंपनी आपके जॉब प्रोफाइल के अनुसार तय करती है। सेल्स डिपार्टमेंट में काम करने वालों का कनवेंस अलाउंस ज्यादा होता होता है। ये पैसा इन हैंड सैलरी में ही जुड़ता है।
टैक्स में छूटः सैलरी में यदि आपको 1600 रुपए तक कनवेंस अलाउंस मिलता है, तो इस पर टैक्स नहीं लगेगा।
4. लीव ट्रैवल अलाउंस
4. लीव ट्रैवल अलाउंस
हर कंपनी में LTA फिक्स होता है। कंपनी साल में कुछ छुट्टियां और ट्रैवल खर्च आपको देती है। कुछ कंपनियां इसमें परिवार के सदस्यों को भी शामिल करती हैं। टूर पर जाकर आप जो भी अन्य खर्च करते हैं, वह इसके दायरे में नहीं आता।
टैक्स में छूटः इसके लिए आपको यात्रा में खर्च हुए बिल देने होते हैं। यात्रा के अलावा जो भी खर्च होता है, वह नहीं जुड़ता है। यह अमाउंट भी इन हैंड सैलरी का हिस्सा है।
5. मेडिकल अलाउंस
ये आपको मेडिकल कवर के रूप में दिया जाता है। कई बार जरूरत के मुताबिक कर्मचारी इस सेवा का इस्तेमाल कर लेते हैं, तो कई बार बिल दिखाकर पैसे रिंबर्स करा लेते हैं। ये आपको इन हैंड मिलता है, लेकिन कुछ कंपनियां इसे सालाना जबकि कुछ महीने के आधार पर ही भुगतान करती हैं।
टैक्स में छूटः मेडिकल खर्च सालाना 15 हजार रुपए तक टैक्स फ्री होता है। हालांकि, इसके लिए भी आपको मेडिकल सर्टिफिकेट देना होता है।
6. परफॉर्मेंस बोनस और स्पेशल अलाउंस
ये एक तरह से रिवॉर्ड है, जो कर्मचारियों प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है। हर कंपनी की परफॉर्मेंस पॉलिसी अलग-अलग होती है। ये पूरी तरह टैक्सेबल होता है। यह आपकी इन हैंड सैलरी में ही जुड़ता है।
सैलरी से इस तरह कटते हैं रुपए
1. प्रोविडेंट फंड
पीएफ बेसिक सैलरी का 12 फीसदी होता है। यह पूरी तरह सरकारी खाते में जाता है, जिसे पीएफ खाता बोलते हैं। इस अमाउंट में कंपनी जितना भुगतान करती है, उतना ही कर्मचारी के खाते से कटता है। यह बेहद फायदेमंद होता है, क्योंकि पीएफ में जमा राशि पर सरकार ब्याज देती है।
2. प्रोफेशन टैक्स
2. प्रोफेशन टैक्स
ये टैक्स सिर्फ कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, असम, छत्तीसगढ़, केरल, मेघालय, उड़ीसा, त्रिपुरा, झारखंड, बिहार और मध्य प्रदेश में लगता है। ये आपकी कुल सैलरी पर मिलता है, जिसमें कुछ सौ रुपए कटते हैं।
3. इनकम टैक्स
इसका जिक्र आपकी मासिक सैलरी स्लिप में नहीं होता, लेकिन यह इनकम टैक्स के रूप में लिया जाता है। यदि आप टैक्स भरते हैं, तो मई की सैलरी स्लिप में आप इसके ब्योरा देख सकते हैं। यह पैसा भारत सरकार के टैक्स स्लेब के अनुसार कटता है। हालांकि, यदि आप इससे बचना चाहते हैं तो 80 सी नियम के तहत निवेश कर सकते हैं।
इस तरह करें किसी और की सैलरी स्लिप से तुलना
1. चूंकि बेसिक सैलरी सबसे अहम होती है। ऐसे में ये देखें कि दूसरे साथी को बेसिक सैलरी के साथ कौन-कौन से अलाउंस कंपनी दे रही है। क्या वह अलाउंस आपको मिल रहे हैं या नहीं ?
2. ये देखें की उसे कितने स्पेशल अलाउंस मिल रहे हैं। यही अलाउंस सैलरी में अंतर पैदा करते हैं।
3. इन हैंड सैलरी पर फोकस न करके अन्य भत्ते देखें। जैसे हेल्थ इंश्योरेंश मिल रहा है या नहीं, खाना फ्री है या नहीं, ट्रांसपोर्ट अलाउंस मिल रहा है कि नहीं। क्योंकि करियर को आगे बढ़ाने के लिए ये बेहद जरूरी चीजें हैं।
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