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वर्तमान में जियें
हमारे जीवन में कुछ अचानक से होने वाली घटनाए ऐसी होती है जो
हमारे अस्तित्व को हिला देती है ! जैसे की सुनामी ,भूकंप,बाढ़ ,तूफ़ान आदि
! इन त्रासदियों में कई लोग मारे जाते हैं.हर एक मौत एक सपने का अंत करती है , किसी का बहुत बड़ा बिज़नस मैन
बनने का सपना , तो किसी का अधिकारी बनने का सपना. और मरने से पहले शायद काल के मुंह में समाये वो बदनसीब इन्ही सपनो को पूरी करने की जद्दोजेहद में लगे रहे होंगे . पर शायद कुछ किस्मत वाले या कहे अपनी किस्मत को
बनाने वाले लोग भी उन लोगों में रहे होगे जिन्होंने जो भी पल जिया होगा
वो वर्तमान में जिया होगा ! कहने का मतलब यह है की जो पल हम जीते है वो या तो
भविष्य की तैयारी के लिये होता या भूत की गलतियों या कार्यकलापों से जुड़ा होता है !वर्तनाम में कुछ ऐसा नहीं रह जाता जो उस पल को सुख दे सके!
उदाहरण के
तौर पर बच्चो का कल सुधारने के लिए हम उनका आज छीन लेते है
!उसके दिन में आज को जीने के लिये शायद ही कोई समय निशित हो ! बढ़ते कॉम्पटीशन को देखते हुए हम उनके आज
में जो चीजे उन्हें ख़ुशी देती है या
उनके आज को जीने में मदद कर सकती है हम उनसे छीन लेते है !यहाँ तक की हम उनहे ये भी मौका नहीं दे पाते की वो
सोच सके की आज में कैसे जीए
!बच्चो का
भविष्य उनका वर्तमान बन जाता है और कही न कही उनका वर्तमान जिसे हम बचपन कहते है
खो जाता है !
ये तो थी
बच्चो की बात और अब हम जवानों की सोचे तो क्या वो अपना आज जी
पा रहे है ! उनका भी जवाब शायद न हो ! जब बचपन था तो जवानी की तैयारी की और बचपन खो बैठे! अब
जवानी है तो बुढ़ापे की तैयारी और जवानी खो
बैठे! कल की तैयारी में हम अपना
आज खो बैठते है ! बचपन में तैयारी की थी की जवानी में आज को जी लेंगे जिस वजह से तैयारी करी थी वो वजह ही खो गयी,
ना खाने, ना सोचने और यहाँ तक की न समझ पाने की फुर्सत मिली भागते चले गए कल को सुधरने
में और ये भूल ही गए की कैसे अपने आज को अच्छे से जी सकें !
अगर आज को जी लिया होता तो शायद
आदर्श पिता , आदर्श पति और आदर्श पुत्र हो गए होते!
यदि यही
प्रश्न हम बुढ़ापे के लिए रक्खें तो उनका भी जवाब होगा की वो भी अपना वर्तमान नहीं
जी पाए बुढ़ापा ये सोचने में काट रहें है की यदि पहले ऐसा किया होता तो ऐसा हो जाता !इस भूत की जन्तोजहात में बुढ़ापा बीत रहा है
पर प्रश्न
ये उठता है की क्या हम आज में ही रह जाएँ भविष्य की जरूरतों की तैयारी न करे ? करे जरुर करे लेकिन उन तैयारी से पहले ये जरुर सोचे जिस आज को हम जी रहे है वो भी किसी तैयारियों का ही
परिणाम है उसे व्यर्थ न जाने दे ! अगर किसी पिता ने अपने बच्चे का बचपन नहीं देखा तो क्या देखा !अगर किसी बच्चे ने पिता से प्रश्न नहीं पूछे
तो क्या किया .अगर किसी दादा ने अपने पोते को कहानी नहीं सुनाई तो क्या किया ! जीवन के इन पलों में आज के
लिये कुछ वक्त निकालिये आपका बेटा आपकी पत्नी आपके
पिता व आपकी माता आपका इन्तजार कर रहे है.
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निवेदन : यह लेख आपको कैसा लगा. कृपया comment के माध्यम से मुझे ज़रूर बताएं.— पढ़ें प्रेरणादायक कहानियों का विशाल संग्रह —
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