फ्रोजेन
शोल्डर सिंड्रोम तब होता है, जब कंधे के जोड़ के चारों ओर स्थित कैप्सूल
और लिगामेंट में सूजन आ जाती है। कंधे इस कदर अकड़ जाते हैं कि रोगी को कंधे को
सामान्य ढंग से हिलाने-डुलाने में भी दिक्कत होती है। चिकित्सकीय शब्दावली में
इसे एडहिसिव कैप्सूलाइटिस भी कहा जाता है। करीब तीन प्रतिशत वयस्क अपने जीवन में
कभी न कभी इस रोग से प्रभावित होते हैं। यह रोग 40 से 56 वर्ष के लोगों में सबसे अधिक होता है।
लक्षण –
पीड़ित व्यक्ति को कंधे को हिलाने - डुलाने
में परेशानी होती है। उन्हें कपड़े पहनने या किचन में कप को उठाने जैसी दैनिक
गतिविधियों में भी कंधे में दर्द होता है।
. रात में दर्द
बढ़ जाता है।
. जैसे - जैसे
बीमारी बढ़ती जाती है, कंधे में
जकड़न इतनी अधिक बढ़ सकती है कि हाथ का हिलाना-डुलाना बिल्कुल मुश्किल हो जाता
है।
उपचार –
फ्रोजेन
शोल्डर का इलाज रोग की अवस्था, दर्द की गंभीरता और इसकी जकड़न पर निर्भर करता है।
गैर सर्जिकल
इलाज –
दर्द का इलाज
नॉन - स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेट्री दवाओं (एनएसएआईडी) और कंधे के जोड़ में
स्टेरॉयड के इंजेक्शन से किया जाता है। स्टेरॉयड के इंजेक्शन के साथ-साथ
फिजियोथेरेपी से रोगी की बाह और कंधे की गतिशीलता में सुधार आ सकता है।
यह तेजी से
फायदा पहुंचाता है।
कंधे के
व्यायाम –
रोगी को आमतौर
पर कंधे के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। इसका उद्देश्य जितना संभव हो, कंधे को जकड़ने से मुक्त करना और गतिशीलता
को बनाये रखना है। अधिकतम फायदे के लिए, डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट के निर्देश के अनुसार नियमित रूप से व्यायाम करना
महत्त्वपूर्ण है। यदि इन सबसे फायदा नहीं होता है, तब डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। हालांकि सर्जरी की सलाह सिर्फ गंभीर
मामलों में ही दी जाती है। करेक्टिव सर्जरी जोड़ के आस-पास के टिश्यूज को ढीला
करने का कार्य करती है।
नवीनतम सर्जरी –
इस रोग की
नवीनतम सर्जरी को आर्थोस्कोपिक कैप्सूलर रिलीज सर्जरी कहते है। यह एक प्रकार की
कीहोल या मिनिमली इन्वेसिव सर्जरी है। इस प्रक्रिया के तहत सर्जन सबसे पहले एक
छोटा चीरा लगाता है, जो एक
सेंटीमीटर से भी कम लंबा होता है। कंधे के संकुचित कैप्सूल को खोलने के लिए
सर्जन आर्थोस्कोप डालकर चेकिंग करते हैं और कंधे का जो चिपका हुआ मांस होता है, उसे सर्जरी के जरिये दूर कर देते हैं। इसके
बाद वह कंधे के कैप्सूल में बने स्कार ऊतक के बैंड को हटाते हैं। आर्थोस्कोपिक
कैप्सूलर रिलीज सर्जरी के बाद व्यक्ति को फिजियोथेरेपी की आवश्यकता पड़ती है।
कारण –
अक्सर फ्रोजेन
शोल्डर की सही तरीके से पहचान नहीं हो पाती।
हालांकि, फ्रोजेन शोल्डर से पीड़ित अधिकतर लोग हाल
में लगी चोट या कंधे के फ्रैर के कारण इस समस्या से पीड़ित हो जाते हैं। कैप्सूल
के नाम से जानी जाने वाली कंधे की लाइनिंग सामान्य रूप से एक बहुत लोचदार संरचना
है। इसका ढीलापन और लचीलापन कंधे की गतिविधियों को सहजता से कार्य करने में मदद
करता है। फ्रोजेन शोल्डर में इस कैप्सूल (और इसके लिगामेंट) में सूजन आ जाती है।
इस वजह से यह लाल और संकुचित हो जाती है। इसकी सामान्य लोच खत्म हो जाती है और
दर्द और जकड़न शुरू हो जाती है। मधुमेह से ग्रस्त लोगों में यह समस्या कुछ
ज्यादा होती है।
जांच –
डॉक्टर अधिकतर
मामलों में संकेतों और लक्षणों के आधार पर और शारीरिक परीक्षण कर फ्रोजेन शोल्डर
की पहचान करते हैं।
परीक्षण के
दौरान बांह और कंधों पर बारीकी से ध्यान केंद्रित किया जाता है। जरूरत पड़ने पर
एक्स-रे या एमआरआई जैसे इमेजिंग परीक्षण भी कराए जाते हैं।
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Source –
KalpatruExpress News Papper
|
OnlineEducationalSite.Com
शनिवार, 22 मार्च 2014
फ्रोजेन शोल्डर से मिल सकती है राहत
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