मथुरा से 24 किमी. की दूरी पर जमुना पार सादाबाद जाने
वाली पक्के मार्ग पर स्थित है, महिमामय नगर दाऊजी जिसको बलदेव, बलदाऊजी बलभद्र नगर आदि नामों से जाना जाता है। पूर्व में यह नगर महावन
तहसील से सम्बद्ध था । फिर सादाबाद तहसील में जुड़ा रहा। अब तहसील सादाबाद का
नया जनपद हाथरस में मिल जाने से विकास क्षेत्र बदलेव को तहसील महावन से सम्बद्ध
कर दिया गया है। मान्यता है कि त्रेता युग में राम ने 13 वर्ष तक राज्य किया था। उनके अनुज
शत्रुघ्न ने मधुवन में मधु के पुत्र लवण दैत्य का संहार कर मथुरा को बसाया था ।
उनका राज्य यमुना के किनारे सम्पूर्ण क्षेत्र में व्याप्त था। द्वापर युग के
अन्तिम काल में मथुरा मण्डल के बृहदवन में विद्रुम वन के नाम से विख्यात पूर्वी
छोर पर वसुदेव पत्नी रोहिणी जी निवास करती थीं ।
ब्रज का
वास्वतिक परिचय देने वाले गोपालतापिनी उपनिषद ने इसका उल्लेख बलभद्र वन के नाम
से किया है तथा इसको ब्रज के समस्त वनों से श्रेष्ठ माना है। इसी स्थान पर
संकर्षण भगवान श्री दाऊजी महाराज का अवतरण भाद्र शुक्ल षष्ठी को हुआ था ।
बलदेव, कृष्ण से कुछ माह बड़े थे । दाऊजी महाराज
का नगाड़खाना दूर- दूर तक बहुत प्रसिद्ध है। इसका निर्माण मुगलों ने कराया था।
समय-समय पर बम्ब की ध्वनि चारों ओर सुनाई देती है। प्रसिद्ध इतिहासकार ग्राउस ने
अपनी मथुरा मैमोयर में इस मन्दिर की चार हजार से अधिक भेंट की निखर्ची व ग्रामों
से चार हजार वार्षिक की आय बतलाई है। कहते हैं कि मुगल बादशाह औरंगजेब की मूर्ति
भंजिनी सेना को श्री दाऊजी महाराज के मन्दिर में बर्र ततैया तथा भौरों ने
काट-काटकर हालत बुरी कर दी थी। ऐसा माना जाता है किऔरगंजेब पूरी तैयारी के साथ
आने का जब भी प्रय} करता मन्दिर
अढ़ाई कोस रह जाता था, तभी से ब्रज
में यह कहावत प्रचलित हुई सब दिन चले अढ़ाई कोस । श्री सत्यनारायण गोयका ने री
बलभद्र पंचांग में लिखा है कि औरंगजेब जैसे हिन्दू धर्मद्वेषी बादशाह को भी
भगवान बलदेव ने चमतकृत किया था जिससे प्रभावित औरंगजेब ने पांच गांव व स्वर्ण
छत्र भेंट किये थे।
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के
साथ E-mail करें. हमारी Id है:facingverity@gmail.com.पसंद आने पर
हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
Source – KalpatruExpress News Papper
|
OnlineEducationalSite.Com
HOLI लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
HOLI लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सोमवार, 17 मार्च 2014
बलदेव जी का इतिहास
होली पर बरसते प्रेम से भीगे कोड़े
जब समूचा देश
हो¶ी की खुमारी
उतार रहा होता है, तो ब¶देव के युवक कोड़ों की मार ङो¶ते हैं।
यह कोई सजा नहीं है, मस्ती है होली की। हो¶ी के अग¶े दिन दौज पर दाऊजी मंदिर परिसर में
होता है ब¶देव का यह हुरंगा। जहां बरसाना में होली की
मस्ती में महिलाएं स्नेह भाव से पुरुषों पर
लट्ठ बरसाती है वहीं, बलदेव में यह कपड़े के कोड़े का रूप ले
लेता है। यहां महि¶ायें हो¶ी खे¶ने
वा¶े युवकों के
कपड़े फाड़कर उन्हीं से कोड़े बनाती हैं। इन कोड़ों से होली खेलने वाले युवकों
की
पिटाई की जाती है। युवक अपने बचाव के ¶िये टेसू के रंग महि¶ाओं पर फेंकते
च¶ते हैं।
हुरंगा
गोकु¶, गोवर्धन, महावन में भी होता है। इनका अंदाज अ¶ग है। गोकु¶ के हुरंगे में हुरियारों को डंडी
की मार पड़ती है, तो ¶ोहवन और बरारी में तीज पर हुरंगा होता है। इन सभी स्थानों पर कीचड़ की
होरी
गांवों में खे¶ी जाती है।
ब्रज की होली कृष्ण केंद्रित है, तो हुरंगा उनके ज्येष्ठ भ्राता बलराम
पर केंद्रित है। कृष्ण जन्मभूमि से 24 किमी. दूर उनके बड़े भाई बलराम की नगरी है
बलदेव जो
दाऊजी के नाम से भी प्रसिद्ध है। दाऊ की नगरी बलदेव स्थित ठाकुर श्री
दाऊदयाल के मंदिर में
अबीर गुलाल और रंग भरी पिचकारी के मध्य दाऊजी का हुरंगा
होता है।
हुरंगा अपने
वृद्ध रूप के लिए अति प्रचलित है।
कहावत है भी
कि ‘होली नाई आज
हुरंगा है’।
यह हुरंगा
इतना लोकप्रिय है कि इसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग सुबह से ही बैठ जाते हैं।
जब तक हुरंगा समाप्त नहीं होता लोग जमे रहते हैं। हुरंगा का एक नाम फाग भी है।
मंदिर में
बड़े-बड़े हौजों में टेसू के फूलों से बने रंगों को भर दिया जाता है।
साथ ही मंदिर में ढप, झंज, मृदंग,
मजीरा आदि पर होली के गीत गाये जाते हैं। गाने-बजाने के पश्चात दोपहर करीब
बाहर बजे मंदिर
के कपाट दर्शन हेतु खुलते हैं और फिर भगवान बलराम तथा रेवती माता
के समक्ष हुरंगा प्रारंभ हो
जाता है। मंदिर प्रांगण दर्शकों से खचाखच भरा रहता
है। हुरंगा को खेलने वाले सभी
हुरियारे-हुरियारिन एक तरह से गोप-गोपिकाओं के
स्वरूप में होली खेलते हैं। हुरियारिन-हुरियारों के
कमर से ऊपर के कपड़े फाड़कर
इन कपड़ों के कोड़े बनाकर उनसे गीले बदन पर हुरियारों की
जमकर पिटाई करती हैं।
इसके साथ ही होली के उत्सवों की समाप्ति होने लगती है। अगर कोई
कोड़े की होली
देखने आता है, तो वह भी इन
हुरियारिनों के रंग से लबालब कोड़े का स्वाद चखे बिना
नहीं जाता।
ब्रज के राजा
भांग पीवै तो आजा-
मंदिर प्रांगण में पानी की टंकी के पास बने मंच पर श्रीकृष्ण, बलराम, राधा व सखियों के स्वरूप
विराजमान होते हैं। मंदिर के चौक में परंपरागत रूप
से समाज गायन सुबह से शुरू होता है। ठाकुर
दाऊजी महाराज व माता रेवती के विग्रह
को श्वेत पोशाक धारण कराई जाती है। बलदाऊजी के हुरंगा में परंपरानुसार हुरियारे
अपने-अपने निवास पर भांग घोंटकर श्री दाऊजी महाराज का भोग लगाते हुए
कहते हैं ‘दाऊदयाल ब्रज के राजा भांग पीवै तो यहां पै
आजा।’ इस बार लोगों
का हुजूम बल्देव की
होली देखने उमड़ने लगा है।
होरी नाय
हुरंगा है –
होरी नाय
हुरंगा है. जैसे स्वरों के साथ गोप समूह मंदिर प्रांगण में बने विशाल हौजों की
तरफ
लपकते दिखाई देते हैं। वे टेसू के रंग से भरे हौज से बाल्टियां भर-भर
गोपिकाओं को रंगों में
सराबोर करने को उत्सुक दिखते हैं। सैकड़ों हुरियारे
हुरियारिनों के ऊपर मंदिर प्रांगण में बने तीनों
हौजों के रंग को उड़ेलते हैं।
लगातार तीन ट्यूबलों से निरंतर हौजों में जलापूर्ति दी जाती है। उनमें
रंग घोला
जाता है। पूरा मंदिर प्रांगण कुछ ही क्षणों में विभिन्न रंगों में डूबने लगता
है। इस बीच
छज्जों से कुछ युवक गुलाल की वर्षा करते हैं और गाते हैं- उड़त गुलाल
लाल भए बदरा. बलदेव जी
स्थित ठाकुर श्रीदाऊजी महाराज के मंदिर में बसंत पंचमी के
दिन से ही दाऊजी की सेवा में गुलाल
का प्रयोग होने लगता है।
साथ ही होली
के पद गाये जाने प्रारंभ हो जाते हैं।
वर्दी वालों
पर भी बरसते हैं कोड़े-
हुरंगा की सुरक्षा व्यवस्था में लगे
पुलिसकर्मी भी हुरियारिनों के कोड़ों से नहीं बच पाते। सुरक्षा कर्मी
भी बलदेव
की इस होली का पूरा आनन्द उठाते हैं। हुरियारिनें रंग से भीगा हुआ वस्त्रों का
कोड़ा
पुलिसकर्मियों के साथसा थ हर निकलने वालों को मारती हैं। सबको प्रेम से
गुलाल लगाया जाता है।
जिस तरफ हुरियारिनों की टोली निकलती दिखाई देती है, भगदड़ सी मच जाती है। इस बीच
हुरियारिनें
विदेशी श्रद्धालुओं को भी नहीं छोड़तीं।
कन्हैया और
बलदेव जयकारों के साथ वे भी प्रेम के रंग में डूब जाते हैं।
और कोड़े खाते
हैं। हुरंगा देखने के लिए दाऊजी महाराज मंदिर के सामने वाली छत पर वीआइपी
दर्शक
दीर्घा भी बनाई जाती है।
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं
तो कृपया उसे अपनी फोटो के
साथ E-mail करें. हमारी Id है:facingverity@gmail.com.पसंद आने पर
हम उसे आपके
नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
Source – KalpatruExpress News Papper
|
रविवार, 16 मार्च 2014
होली के रंग निकालें, रूप निखारें
युवाओं को होली के रंग-बिरंगे पर्व का खास इंतजार
रहता है। क्यों न हो! होली का त्योहार ही
कुछ ऐसा है। पर होली के लाल-पीले रंगों
से सबसे ज्यादा डर लड़कियों को लगता है कहीं रंगों से
उनकी त्वचा को नुकसान न
पहुंचे। बस इसीलिए कभी-कभी मन में उमंग होते हुए
भी इस उत्सव का पूरी तरह आनंद नहीं उठाया जाता। होली के रंग कहीं त्वचा व रंग को बर्बाद न कर दे, यही आशंका बनी रहती है।
लेकिन घबराइए नहीं, हमारे पास हैं रंगों को छुड़ाने के कुछ
आसान से नुस्खे, जो आपके घर
में ही
उपलब्ध हैं।
बस इन्हें
इस्तेमाल कीजिए और रंगों को आसानी से छुड़ा लीजिए। तो फिर तैयार हैं न आप होली
खेलने के लिए..!
- मूली का रस
निकालकर उसमें दूध व बेसन या मैदा मिलाकर पेस्ट बनाएं, उसे चेहरे पर लगाने
से भी चेहरा साफ हो
जाता है।
- अगर आपकी
त्वचा पर ज्यादा गहरा रंग लग गया हो तो दो चम्मच जिंक ऑक्साइड और दो
चम्मच कैस्टर
ऑइल मिलाकर लेप बनाकर इसे चेहरे पर लगाएं। अब स्पंज से हल्के हाथों से
रगड़कर
चेहरा धो लें। और फिर 20-25 मिनट बाद
साबुन लगाकर चेहरा धोएं। आपकी त्वचा पर
लगा रंग उतर जाएगा।
- जौ का आटा व
बादाम का तेल मिक्स कर लें। उसको त्वचा पर लगाकर रंग को साफ करें।
- बेसन में
नींबू व दूध मिलाकर उसका पेस्ट बनाकर अपनी त्वचा पर लगाएं। पंद्रह-बीस मिनट
तक
पेस्ट लगा रहने दें और फिर गुनगुने पानी से मुंह-हाथ धो लें।
- खीरे का रस
निकालकर उसमें थोड़ा सा गुलाब जल और एक चम्मच सिरका मिला लें और
इसका पेस्ट
तैयार कर इससे मुंह धोएं। आपके चेहरे पर लगे सारे रंग के दाग-धब्बे दूर हो
जाएंगे
और त्वचा खिली-खिली हो जाएगी।
- दूध में थोड़ा
सा कच्चा पपीता पीसकर मिलाएं। साथ ही थोड़ी सी मुल्तानी मिट्टी व थोड़ा सा
बादाम
का तेल मिक्स करें और करीब आधे घंटे बाद चेहरा धो डालें।
- संतरे के
छिलके, मसूर की दाल व
बादाम को दूध में पीसकर पेस्ट बनाएं इस तैयार उबटन को
पूरी त्वचा पर मसलें और धो
लें। आपकी त्वचा साफ हो जाएगी और फिर से उसमें निखार आ
जाएगा।
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational
story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करनाचाहते हैं
तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है:facingverity@gmail.com.पसंद आने पर हम उसे
आपके नाम और
फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
Source – KalpatruExpress News Papper
|
होली एसएमएस
खुदा करे हर
साल चांद बन के आए;
दिन का उजाला
शान बन के आए,
कभी दूर ना हो
आपके चेहरे से हंसी,
ये होली का
त्योहार ऐसा मेहमान बन के आए।
--------------------------- रंगों में घुले लोग क्या लाल गुलाबी हैं;
जो भी देखता
है कहता है क्या शाम
गुलाबी है,
पहले बरस जो
भीग गया था होली में,
अब तक निशानी
का वो रुमाल गुलाबी है।
----------------------------- रंगों के त्योहार में सभी रंगों की भरमार,
ढेर सारी
खुशियों से भरा हो आपका संसार,
यही दुआ है
भगवान से हमारी हर बार,
और खेलें हम
होली संग अपने यार।
----------------------------- पूर्णमासी का चांद,
चांद से उसकी
चांदनी बोली,
खुशियों से
भरे आपकी झोली,
मुबारक हो
आपको यह प्यारी होली।
----------------------- फागुन का महीना, वो मस्ती के
गीत,
रंगों का मेल, वो नटखट सा खेल,
दिल से निकलती
है ये प्यारी सी बोली,
मुबारक हो
आपको ये रंग भरी होली।
-------------------------- राधा का रंग और कन्हया की पिचकारी,
प्यार के रंग
से रंग दो दुनिया सारी,
ये रंग न जाने
कोई जात न कोई बोली,
मुबारक हो
आपको रंग भरी होली।
---------------------------- जो नफरत का कर दे उपचार, वही होली है।
जो मां करे
दुलार, वही होली है।
जो दुनिया में
बढाए प्यार, वही होली है।
जो एक रंग में
रंग दे सारा संसार, वही होली है।
और जिस में
मेरे साथ हो मेरा यार, वही होली है।
-------------- थोड़ा सा रंग,
थोड़ी सी
ठंडाई, कृषण की पलटन,
बरसाना में आई,
राधा की
सहेलियों ने लट्ठ बरसाये,
मस्करी में आओ
दोस्त हम होली मनायें।
होली के
त्योहार का हार्दिक अभिनन्दन।
-------------------------- होली का रंग धुल जायेगा,
दोस्ती का रंग
न धुल पायेगा,
यही तो असली
रंग है जिंदगी का,
हर पल गहरा
होता जायेगा।
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करनाचाहते हैं तो कृपया उसे अपनी
फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है:facingverity@gmail.com.पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और
फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
Source – KalpatruExpress News Papper
|
सदस्यता लें
संदेश (Atom)