बुढ़ापा अपने
आप में एक अस्वास्थ्यकर अवस्था है। इस अवस्था में लोग कई प्रकार की बीमारियों से
ग्रसित हो जाते हैं।
इनमें
अल्जाइमर नाम की खास बीमारी है, जिसमें लोगों की स्मरण शक्ति धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। इसके अलावा कई तरह
की शारीरिक और मानसिक अवस्थाएं कष्टकारक होती हैं। होम्योपैथी में वृद्धावस्था
के लगभग सभी रोगों की दवाएं उपलब्ध हैं।
दवाओं का
चुनाव बारीकी से लक्षणों का अध्ययन करने के बाद ही करना चाहिए।’ यह कहना है वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक
प्रो. (डॉ.) कैलाश चन्द्र सारस्वत का। प्रस्तुत है इस बारे में डॉ. कैलाश चंन्द्र
सारस्वत से दिनेश भदौरिया की बातचीत के अंश : प्रो. (डॉ.) कैलाश चन्द्र सारस्वत
का कहना है कि वृद्धावस्था के लक्षणों को दो भागों में बांटा जा सकता है। मानसिक
लक्षण और उनका उपचार तथा शारीरिक लक्षण व उनका उपचार।
मानसिक लक्षण
व उपचार जो वृद्धजन शाम के समय भयभीत रहते हैं, जिन्हें यह आशंका घेरे रहती है कि कोई दुर्भाग्य न आ जाए, भुलक्कड़, चिंताग्रस्त, उत्साहहीन, अवसादग्रस्त, जिन्हें समझया नहीं जा सकता, मोटे, थुलथुले शरीर
वाले, मोटी सोच वाले, हर समय सर्दी से डरने व अधिक कपड़ों में
लिपटे रहने वाले मिठाई प्रिय वृद्धजनों के लिए कैलकेरिया कार्ब-30 कारगर है।
मानसिक चोट से
ग्रस्त, शोकमग्न, हाल खुश-हाल बेचैन, हाल प्रेम-हाल झगड़ा, ऐसे परस्पर विरोधी लक्षणों वाले बुजुर्गो
को अटकने की शिकायत रहती है। खाना खाने के थोड़ी देर बाद ही भूख लग जाती है, उनके लिए इग्नेशिया-200 रामबाण औषधि है जो शांत एवं प्रसन्नतायुक्त
जीवन प्रदान करती है।
घमंडी, उद्दंड, दूसरों को नफरत से देखने वाले, सभी को अपने से बहुत तुच्छ एवं छोटा समझने वाले, अत्यधिक काम भावना से ग्रसित, हर समय अपनी बढ़ाई करने वाले, हर समय ‘मैं ऐसा’, ‘मैं ऐसा’ कहने वाले, गर्म मौसम बर्दाश्त न करने वाले तथा मृत्यु भययुक्त व्यक्तियों के लिए
प्लेटिना-30 एक महाऔषधि का
काम करती है। एकांत भय, अकेले व
अंधेरे में डरने, सोते समय भी
कमरे में रोशनी जलाने वाले, पानी से डरने वाले, चमकीली चीजों
से डर, भूतप्रेत
दिखना, दीवार पर न
होते हुए भी कीड़े रेंगते देखना, हंसाना, सीटी बजाना, चिल्लाना, गाली बकना, कभी-कभी दीन
भाव से ईश्वर से प्रार्थना करना, पागल की तरह व्यवहार करना, ऐसे वृद्धजनों को स्ट्रामोनियम-1000 की एक ही मात्रा हमेशा के लिए ठीक करने की
शक्ति रखती है। बहुत अधिक बोलने, बकवास करने वाले, ईष्र्यालु, समय स्थान एवं तारीख का कोई पता नहीं, नींद आने के तुरंत पहले, नींद के बीच में अथवा आधी रात को तकलीफ बढ़
जाना, हर समय गर्मी
से परेशान वृद्धों के लिए लैकेसिस-200 अमृत के समान काम करती है।
सब पर संदेह
करना, दवा पीने से
मना करना जैसे उसे जहर दिया जा रहा हो, अपने पति/पत्नी, बेटा, बेटी पर भी अविश्वास करना, कल्पना करना कि लोग उसके पीछे पड़े हों, षड्यन्त्र कर रहे हों, लोगों को बात करते देख सोचना कि उसकी चुगली
की जा रही है, पीछे मुड़कर
देखना कि कोई पीछा तो नहीं कर रहा, अनिद्रा से ग्रसित बुजुर्गो के लिए हायोसिमस-30 अत्यंत लाभकारी है तथा सदा के लिए मस्तिष्क से संदेहशीलता को मिटा देता है।
शारीरिक लक्षण
एवं उपचार मनुष्य के शरीर में जितनी लचक रहेगी, उतना ही वह जवान रहेगा।
होम्योपैथी
में कुछ औषधियां शरीर के अंगों एवं मांसपेशियां को अधिक वर्षो तक लचीला रखती हैं, जिससे आदमी फुर्तीला एवं कार्यशील रह सकता
है।
प्रसिद्ध
होम्योपैथ डॉ. एएस हार्ड का कहना है कि थियोसिनामाइन 3एक्स धमनियों एवं नाड़ियों की कड़ेपन को
समय-समय पूर्व आने से रोकने में सक्षम है। बार-बार पाखाना आना, थोड़े चिकने पाखाने के साथ जोर की आवाजें
आना, शरीर में बेहद
कमजोरी का अनुभव, हर समय
चिड़चिड़ापन, जीवन का
भूतकाल नशे एवं व्यसनों में व्यतीत, वर्तमान में भी नशे की लत न छोड़ सकने वाले तथा सर्दी में भयभीत वृद्धजनों
के लिए नक्स वोमिका-30 अत्यंत
लाभकारी साबित हुई है।
वृद्ध
व्यक्तियों के जीवन में जब शारीरिक एवं मानसिक हृास की प्रक्रिया शुरू हो जाती
है, तो शक्तिहीनता, याददाश्त की कमी, हृदय रोग, प्रोस्टेट गं्रथि की सूजन आदि लक्षण पैदा हो जाते हैं। जीना बोझ लगने लगता
है, ऐसे में
बरायटा कार्ब- 30 वृद्धजनों को
उत्साहयुक्त जीवन देती है। पाचन क्रिया का मंद होना, लिवन में कमजोरी, पेट में हवा भरना, उठने पर कमर मानो टूट ही जाएगी ऐसी कमजोरी
महसूस करना, शरीर में जीवन
की शक्ति की कमी एवं दिनोंदिन शारीरिक क्षीणता आदि लक्षणयुक्त बुजुर्गो के लिए
लाइकोपोडियम-200 नवजीवन देती
है।
सिर को
दाएं-बाएं घुमाने से चक्कर लगना, माथे में सुन्नपन, पैर की ओर से
लकवे का ऊपर की ओर बढ़ना, प्रोस्टेट
ग्रंथि की सूजन से रुक- रुककर पेशाब होना, किसी गं्रथि का कड़ापन जैसे कैंसर, ट्यूमर आदि, दिन में खांसी
नहीं पर रात में सूखी खांसी जैसे लक्षणों के लिए कोनियम- 30 सुबह-शाम फायदा पहुंचाती है।
जैसे-जैसे आयु
बढ़ती है, वैसे-वैसे
शरीर में जकड़न बढ़ने लगती है।
स्नायु, धमनियां, जोड़ एवं मांसपेशियां कड़ी होने लगती हैं, अधिक ठंड लगना, फिर भी ठंडा
भोजन पसंद करना, बार-बार
नक्सीर फूटना, बायीं तरफ
लेटने से रोग बढ़ना ऐसे वृद्धजनों के लिए फॉस्फोरस-30 की एक मात्रा प्रति सप्ताह लेनी चाहिए।
होम्योपैथी दवाएं बुढ़ापे में जीवनी शक्ति कमजोर पड़ने पर खासतौर पर कारगर साबित
हुई हैं।
अन्य चिकित्सा
पद्धतियों की दवाओं में स्ट्रांग केमिकल मौजूद रहते हैं, जिनकी जहरीली पाश्र्व क्रियाएं मौजूद रोग
से भी अधिक हानिकारक सिद्ध होती हैं। यह गलत धारणा है कि होम्योपैथी दवाएं
धीरे-धीरे काम करती हैं, जबकि आजकल
उपलब्ध जर्मन हाई पोटेंसी दवाएं बिना किसी साइड इफेक्ट्स के अत्यंत शीघ्र रोग को
मिटाने में सक्षम हैं तथा कम खर्च में रोगी को स्वस्थ कर देती हैं।
वृद्धावस्था
में तरह- तरह के रोग उभरकर करते हैं परेशान सही लक्षणों को चुनकर दवाएं दी जाएं
तो होती हैं कारगर डॉ. कैलाश चन्द्र सारस्वत
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Source –
KalpatruExpress News Papper
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OnlineEducationalSite.Com
रविवार, 2 मार्च 2014
बुढ़ापे के रोगों में कौन सी पैथी कारगर है
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