व्यायाम की
दुनिया में आजकल दौड़ना लोकप्रिय है। बाकी दुनिया की ही तरह भारत में भी लंबी
दौड़ लगाने वालों के संगठन बन गए हैं, जो हाफ मैराथन, मैराथन, सुपर मैराथन वगैरह आयोजित करते रहते हैं।
धावकों को
जरूरी मशवरा और सहायता देने वाले लोग भी काफी हैं। शायद आधुनिक सुविधाओं व
उपकरणों से भरी दुनिया में दौड़ना आदिम खुशी का प्रतीक बन गया है। इसके बरक्स
पैदल चलना या टहलना हमेशा से सबसे ज्यादा लोकप्रिय व्यायाम रहा है। कुछ लोग रोज
टहलते हैं, कुछ को
बीच-बीच में खयाल आता है कि वजन बढ़ रहा है, तो वे कुछ दिन टहलते हैं और फिर छोड़ देते हैं। महात्मा गांधी रोज दस मील
टहलते थे। सरदार पटेल के बारे में कहा जाता है कि वह राजा-नवाबों को सुबह की सैर
पर ले जाते थे और आराम के आदी राजा-नवाब सैर खत्म होने से पहले ही सरदार पटेल की
शर्तो पर भारत में विलय के लिए मान जाते थे। लेकिन सवाल यह है कि सेहत के लिहाज
से क्या बेहतर है, दौड़ना या
चलना? अगर दौड़कर या
चलकर समान कैलोरी खर्च की जाए, तो किससे ज्यादा फायदा होगा? पिछले दिनों इस विषय पर कुछ अध्ययन हुए हैं।
इन अध्ययनों
से पता चलता है कि सेहत के लिहाज से दोनों ही बेहतरीन व्यायाम हैं, लेकिन दोनों के फायदे कुछ अलग-अलग हैं।
दौड़कर या चलकर लगभग समान कैलोरी खर्च करने वाले दो समूहों की तुलनात्मक जांच से
यह मालूम हुआ कि वजन घटाने और कम वजन बनाए रखने के लिहाज से दौड़ना ज्यादा अच्छा
व्यायाम है। दौड़ने वालों की कमर की नाप और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) चलने
वालों से कहीं बेहतर हुए। बाकी कई फायदे दोनों ही समूहों के लिए एक जैसे थे, लेकिन यह पाया गया कि दिल की सेहत के लिए
चलने से ज्यादा फायदा होता है। यानी अगर आपका मुख्य जोर वजन घटाने पर है, तो दौड़िए और अगर दिल का मामला है, तो तेज चलना अच्छा है।
दौड़ने से वजन
ज्यादा घटने की कई वजहें हैं। एक महत्त्वपूर्ण वजह तो यह है कि दौड़ने से
मेटाबॉलिज्म ज्यादा तेज होता है, इसलिए ऊर्जा ज्यादा खर्च होती है। एक सुझव यह भी है कि चलने या दौड़ने से
पहले कुछ दूसरे व्यायाम करने, मसलन भार उठाने से वजन ज्यादा घटता है, क्योंकि इससे मेटाबॉलिज्म और भी ज्यादा तेज हो जाता है।
अध्ययन में एक
चीज यह सामने आई कि दौड़ने से पेट में एक एंजाइम पेप्टाइड वाई वाई ज्यादा बनता
है। यह एंजाइम भूख पर नियंत्रण रखता है, इसलिए दौड़ने वालों की खुराक चलने वालों से कम होती है। यह देखा गया कि
नियमित चलने वालों से अनियमित दौड़ने वालों का भी वजन कम रहा।
जहां तक दिल
का मामला है, इसमें दौड़ने
की अपेक्षा चलना इसलिए अधिक फायदेमंद होगा, क्योंकि दौड़ना ज्यादा कठिन व श्रम वाला व्यायाम है। जैसा कि पेशेवर
खिलाड़ियों के साथ होता है कि शरीर पर बहुत ज्यादा जोर पड़ने की वजह से उन्हें
कुछ नुकसान भी उठाने पड़ते हैं। सेहत के लिहाज से फायदेमंद व्यायाम वही होता है, जो न बहुत ज्यादा हो और न बहुत कम। यह भी
देखने में आया है कि जो पेशेवर लंबी दूरी के धावक होते हैं, उनके दिल पर बुरा असर पड़ता है। इसका मतलब
है कि दौड़ने से जो भी फायदा होता है, उसका कुछ अंश दिल पर पड़ने वाले जोर की वजह से कम हो जाता है। इसका मतलब यह
कतई नहीं कि दौड़ना सेहत के लिए बुरा है, बस उतना फायदेमंद नहीं है, जितना चलना है। सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण मुद्दा यह है कि आपको मजा किसमें
आता है। जिसमें भी मजा आता हो, वही कीजिए, जरूरी यह है
कि व्यायाम कीजिए, थोड़ा-बहुत
नफा- नुकसान तो चलता रहता है।
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Source –
KalpatruExpress News Papper
|
OnlineEducationalSite.Com
सोमवार, 10 मार्च 2014
दौड़ें या चलें!
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