तीन साल से कम
के बच्चों के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीनों और उपकरणों का अधिक उपयोग इन बच्चों के
दिमाग को बुरे तरीके से प्रभावित कर रहा है। एक चैरिटी ने चेतावनी दी है कि
आधुनिक लाइफ स्टाइल से बच्चों के दिमाग पर प्रभाव पड़ रहा है। इस चैरिटी का नाम
है व्हाट अबाउट द चिल्ड्रेन (वॉच)। इस संस्था का कहना है कि बच्चों को कुर्सियों
पर बैठाना और स्ट्रैप लगा देना या फिर स्मार्टफोन और खेलने के लिए टैबलेट देना, ये सब बच्चों के लिए घातक साबित हो रहे
हैं। संस्था के अनुसार इन सबका बाद में बच्चों के जीवन पर बुरा असर पड़ता है।
चैरिटी का कहना है कि अभिभावकों को कम उम्र के बच्चों के साथ खुद रहना चाहिए
ताकि वे बेहतर महसूस करें और इसी से उनके दिमाग का अच्छा विकास होता है। संस्था
लंदन में एक सम्मेलन कर रही है जिसके केंद्र में यही मुद्दा होगा कि पहले के तीन
साल बच्चों के भावनात्मक, शारीरिक और
मानसिक स्वास्थ्य पर किस तरह से स्थायी प्रभाव डालते हैं।
इसमें
अभिभावकों और बच्चों के बीच बातचीत और सामाजिक गठबंधन पर जोर दिया जाएगा। चैरिटी
का कहना है कि उसकी सबसे बड़ी चिंता यह है कि बच्चों के दिमाग के विकास पर
आधुनिक जीवनशैली का क्या असर पड़ता है। इस सम्मेलन में न्यूरोफिजि योलॉजिकल
साइकोलॉजी संस्थान के निदेशक सैली गोडार्ड ब्लिथ भी बोलने वाली हैं। वह कहती हैं, ‘‘सामाजिक बातचीत से शारीरिक विकास पर असर
पड़ता है, आंखों से जब
आप बच्चों से बात करते हैं, गाते हैं, नाचते हैं तो
उसका असर होता है। ये सब कम हो रहा है क्योंकि बच्चों को अब उनकी कुर्सियों में
बांध कर रखा जा रहा है और माएं स्मार्टफोन पर बातें करती रहती हैं।’’ सैली के अनुसार नवजात बच्चों को चलने फिरने
और नई चीजों को जानने का मौका चाहिए होता है ताकि उनका समग्र विकास हो सके। वह
बताती हैं कि बच्चों में संतुलन, समन्वय और ध्यान जैसी अवधारणां शुरुआती 36 महीनों में ही विकसित होती हैं।
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Source –
KalpatruExpress News Papper
|
OnlineEducationalSite.Com
मंगलवार, 29 अप्रैल 2014
बच्चों पर बुरा प्रभाव डाल रही है आधुनिक जीवनशैली
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