सोमवार, 30 जून 2014

जब करना हो कुछ नया तो क्या करना चाहिए



अगर आप अपने रोज के काम को परफेक्शन के साथ नहीं कर पा रहे हैं। अपने काम में कुछ नया नहीं कर पा रहे। घिसे-पिटे आइडियाज से बाहर नहीं आ पा रहे, तो फिर आपको संयम रखते हुए सोचने की जरूरत है कि आखिर आपके साथ ऐसा क्यों हो रहा है? आपको जो काम मिला है, उसी में कुछ नया करके क्यों नहीं दिखा पा रहे? खुद को एकाग्र करने की कोशिश करें। इसके लिये कुछ ऐसा प्रेरणादायी पढ़ें, जो आपको आराम देने के अलावा आपमें आत्मविश्वास भी
 जगा सके।
हममें से तमाम लोगों को इस बात का अहसास तो होता है कि वे प्रोफेशनल लाइफ में कुछ नया नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन वे कभी ईमानदारी से यह नहीं सोचते कि इस नए के लिये उन्होंने खुद कितनी गंभीरता से प्रयास किया है? अगर अपने नजरिये को बदल लें, तो भीतर से बाहर तक सब जगह नया-नया ही लगेगा। अगर आप अपनी एक अलग और कामयाब पहचान बनाना चाहते हैं, तो चीजों को नए तरीके से करने की आदत डालें। आइए जानते हैं, ऐसी ही कुछ जरूरी बातें।
एकाग्रचित्त होकर करें काम-
 आप चाहें, तो अपने हर काम को नए अंदाज में करके भी अलग पहचान बना सकते हैं। हालांकि, सबसे पहले यह समझना होगा कि आप किसके लिये काम कर रहे हैं? उसे किस तरह की चीजें पसंद हैं? आप अपने काम से उसे कितना प्रभावित कर रहे हैं? आपका काम कितना टू द प्वाइंट है? कहीं ऐसा तो नहीं कि आप चले थे कहीं और पहुंच गए कहीं। ऐसा होने का मतलब है कि आपका कॉन्सेप्ट क्लीयर नहीं है। इसके लिये आपको काम करने से पहले ही अच्छी तरह होमवर्क करने की जरूरत है ताकि सही फोकस के साथ आगे बढ़ें।
सुकून भी है जरूरी-
 यह भी देखें कि आप जो वर्क कर रहे हैं, उससे खुद आपको कितना सुकून मिल रहा है? यह न सोचें कि आपके काम की आलोचना हो रही है।
उसके रिएक्शन में क्रोधित भी न हों। इसके बजाय आप यह सोचें कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? खुद को सुधारने और चीजों को समझने का प्रयास करें। फिर पॉजिटिव तरीके से आगे बढ़ें।
बढ़ें आगे, बनाएं पहचान-
 सिर्फ अपनी योग्यता व ऊर्जा का अहसास हो जाना ही काफी नहीं है। असल बात है कि इस योग्यता और ऊर्जा को बाहर निकालने के लिये सही दिशा में पहल करके आगे कदम बढ़ाना।
खुद को साबित करने के लिये किसी भी असाइनमेंट का परफेक्ट आउटपुट देना जरूरी है। अगर आपको लगता है कि आप किसी वर्क को करने में सक्षम हैं, तो किसी से तुलना करने या निर्देश का इंतजार करने के बजाय खुद पहल करके उसे पूरा करें। ऊपर से मिले संकेतों को सही तरीके से समझते हुए काम को मुकम्मल तरीके से पूरा करें। ऐसे परफॉर्मेस में निरंतरता भी जरूरी है, तभी खुद को साबित करने के साथ आप आगे निकलने की राह बना पाएंगे।
कर्मठता की राह
 किसी भी काम या प्रोफेशन में अपनी अलग पहचान बनाने के लिये कर्मठता की राह पर चलना भी आवश्यक होता है। किसी भी काम को करने में शर्मिदगी न समङों, बल्कि अपने प्रोफेशन में पहल करते हुए आउट ऑफ बॉक्स आइडिया निकालें।
आपकी मंशा दूसरों को चौंकाने या चमत्कृत करने के बजाय अपने टैलेंट को बाहर निकालने की होनी चाहिये। ध्यान रखिये कि आपका काम ही आपकी पहचान बनता है।
अपनी योग्यता पहचानें-
 स्टुडंट हो या कोई एम्प्लाई, सभी के भीतर कोई न कोई टैलेंट जरूर होता है। जरूरत है, इसे जानने-समझने की। इसे पहचान कर इसे निरंतर निखारें, क्योंकि यही आपकी सफलता की बुनियाद है। इसी से आपका कॉन्फिडेंस बढ़ता है। इसके लिये लगातार खुद को टेक्निकल नॉलेज के साथ अपडेट करते रहें। साथ ही अपने बिहेवियर और एटीट्यूड में भी निरंतर निखार लाने का प्रयास करते रहें।
अगर आप अपनी एक अलग और कामयाब पहचान बनाना चाहते हैं, तो चीजों को नए तरीके से करने की आदत डालें।
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Source – KalpatruExpress News Papper




काउंसलिंग के लिये कसनी होगी कमर




पिछले साल किस रैंकिंग तक मिला कौन-सा कॉलेज
मेडिकल फील्ड में करियर की ऊंचाइयां छूने की तमन्ना रखने वाले कैंडिडेट्स सीपीएमटी की तैयारियों में बिजी हैं। एग्जाम के बाद रिजल्ट आते ही जेहन में पहला सवाल यही उठता है कि रैंकिंग के लिहाज से कौन-सा कॉलेज मिलेगा। ऐसे में पिछले साल की कट-ऑफ भी पता होना बेहद जरूरी है।
जानिये पिछले साल कैटेगरीवाइज किस रैंक पर कौन-सा कॉलेज अलॉट हुआ..
आयुर्वेद : बीएएमएस
1-     6367 रैंक वाले जनरल अभ्यर्थियों को पसंदीदा कॉलेज मिले
2-     8897 रैंक वाले ओबीसी अभ्यर्थियों को मनपसंद कॉलेज मिले
3-     12915 रैंक तक के एससी अभ्यर्थियों को मनचाहे कॉलेज मिले
होम्योपैथी : बीएचएमएस
 पिछले साल ओपन कैटेगरी के अभ्यर्थियों को 12482 पर ही रोक दिया गया था। मेरिट में 14390वीं रैंक के ओबीसी और 18580वीं रैंक के एससी अभ्यर्थियों को दाखिला मिला था।
यूनानी : बीयूएमएस
ओपन कैटेगरी में 10102वीं, ओबीसी में 11119वीं रैंक तक वालों को दाखिला मिला।
रोक नहीं..अब ले सकते हैं एमबीबीएस में दाखिला
आयुर्वेद, होम्योपैथी या यूनानी में दाखिला ले चुके छात्र दोबारा सीपीएमटी देकर एमबीबीएस करना चाहते हैं, तो कर सकते हैं। हालांकि, 2008 में प्रदेश सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। अब यह बाध्यता खत्म हो चुकी है।
प्राइवेट में भी हैं बेहतर ऑप्शन
 सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला तो निराश होने की जरूरत नहीं। प्रदेश के कई प्राइवेट मेडिकल कॉलेज भी एमबीबीएस के लिये बेहतर ऑप्शन हो सकते हैं। हालांकि, इनमें दाखिले से पहले कॉलेज के बारे में पूरी जानकारी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की वेबसाइट से लेना जरूरी है।
कॉलेज सीट
1-     करियर इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंस, लखनऊ 100
2-     हिन्द इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंस, लखनऊ 100
3-     मेजर एसडी सिंह मेडिकल कॉलेज, फरुखाबाद 100
4-     मेयो इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंस, लखनऊ 150
5-     मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज, मुजफ्फरनगर 100
6-     नेताजी सुभाष चंद्र बोस सुभारती मेडिकल कॉलेज, मेरठ 100
7-      रामा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, गाजियाबाद 150
8-      रामा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, कानपुर 100
9-      रूहेलखंड मेडिकल कॉलेज, बरेली 100
10-   सरस्वती इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, गाजियाबाद 100
11-  शारदा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, नोएडा 100
12-  श्री राम मूर्ति स्मारक इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंस, बरेली 100
एम्स से बेहतर केजीएमयू
सबसे ज्यादा मांग लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की रहती है। हाल यह है कि देश में खुले छह नए एम्स के बजाय कैंडिडेट यहां दाखिला लेना पसंद करते हैं। पिछले साल लखीमपुर की शैली बाथम का सलेक्शन एम्स और सीपीएमटी दोनों में हुआ, लेकिन शैली ने एम्स के बजाय केजीएमयू को तरजीह दी।
काउंसलिंग से पहले रखें ध्यान
 सीपीएमटी काउंसलिंग में जाने से पहले टीसी और सभी सर्टिफिकेट की ओरिजनल और फोटोकॉपी जरूर साथ रख लें। आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी दो सप्ताह पहले जाति और आय प्रमाण-पत्र बनवा लें, क्योंकि आखिरी समय प्रमाण-पत्र बनने में दिक्कत आ सकती है। इनकम सर्टिफिकेट अभ्यर्थी के पिता के नाम से होना चाहिए। सारी तैयारियों के साथ ही काउंसलिंग के लिये जाएं।

इंस्टिट्यूट जनरल ओबीसी एससी केजीएमयू, लखनऊ 155 316 3060 जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर 419 445 3674 एमएलएन मेडिकल कॉलेज, इलाहाबाद 508 597 4270 एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज, मेरठ 535 756 4270
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करियर की राह चुनें जरा संभलकर



ग्रेजुएशन में कोर्स चुनते हुए भेड़चाल में शामिल होने के बजाय अपनी रुचि और क्षमता को तवज्जो दें। बारहवीं की परीक्षाओं और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के नतीजे घोषित होने के साथ ही इस समय स्टुडंट्स के मन में कोर्सेज और कॉलेजों के चयन को लेकर उलझन होना स्वाभाविक है। कोई खुद को अच्छा कॉलेज मिलने को लेकर आश्वस्त नहीं है तो किसी के मन में अपने चुने हुए कोर्स के स्कोप को लेकर शंकाएं हैं। यह समय अपने मन को स्थिर रखते हुए मौजूद विकल्पों पर गौर करने का है, ताकि इनमें से सर्वश्रेष्ठ चुना जा सके। यह समय दुविधा में पड़ने का नहीं है।
न हो देखा-देखी –
उन स्टुडंट्स को अक्सर पछताना पड़ता है, जो किसी कोर्स का चयन सिर्फ इसलिये कर लेते हैं, कि किसी अन्य जानकार ने भी वही कोर्स किया है और आज अच्छा कमा रहा है। यह जान लें कि हर एक की क्षमताएं और रुचि अलग-अलग हैं। इसलिये जो उसके लिये अच्छा है, जरूरी नहीं आपके लिये भी बेहतर ही हो।
स्कोप जरूर देखें-
 किसी भी कोर्स का चयन करते समय उसके स्कोप पर जरूर गौर कर लें। आपके पसंदीदा फील्ड से जुड़े लोगों से इस बारे में सलाह लें। इसके अलावा इंटरनेट पर किसी भी फील्ड के स्कोप के बारे में विस्तृत सर्च की जा सकती है।
क्या है रुचि-
 किसी भी कोर्स का चयन करने से पहले अपनी रुचि पर गौर जरूर कर लें।
ऐसा न करने पर तीन-चार साल की पढ़ाई बोझ लगने लगती है। यदि आपकी रुचि पढ़ाई से इतर किसी चीज में है, तो बेशक आप हल्के-फुल्के सब्जेक्ट्स चुन सकते हैं। बस कोर्स या ट्रेनिंग चुनते समय आपका मुख्य फोकस करियर पर होना चाहिए।
सोचें लॉन्ग टर्म-
 कुछ स्टुडंट्स यह भी मान बैठते हैं कि हमने जितने ज्यादा कोर्स किए होंगे, हमारे करियर के लिये उतने ही ज्यादा चांस होंगे, जबकि होता इससे उल्टा है।
ज्यादा कोर्स करने के चक्कर में आपका ध्यान किसी एक पर भी सही से नहीं लग पाता। कोर्स ऐसे चुनें, जो लॉन्ग टर्म में आपके करियर को दिशा देते हों।
सलाह लेने से न ङिाझकें-
 यह स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है कि आपके लिये यह समय एकदम नया है और आपको चीजों की पूरी समझ नहीं है। इसलिये अपने लिये सही कोर्स या कॉलेज चुनने के लिये अनुभवी लोगों से सलाह लेने में ङिाझक महसूस न करें।
यह सलाह आपके टीचर, अनुभवी पड़ोसी, पेशेवर काउंसलर आदि दे सकते हैं। इसके अलावा आपके स्कूल के जिन सीनियर्स का एडमिशन अच्छे कॉलेजों में हो चुका है, उनसे भी सलाह ली जा सकती है।
सलाह मांगते हुए अपने मन की शंकाएं सामने रखने में ङिाझकें नहीं।
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