बुधवार, 25 जून 2014

कैसे हो जहरमुक्त फसल सुरक्षा ?



प्रकृति ने हमें हर तरह की नियामत दी है।
फसलों के जितने शत्रुकीट हैं उतने ही मित्रकीट भी हैं। जहरीले रासायनों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए हमें प्रारंभिक तौर पर देशी तरीकों को अपनाना चाहिए। जहरीले रसायनों का प्रयोग उस अवस्था में करें जब यह उपाय कारगर नहों। इससे धन की भी बचत होगी।
छाछ जिसे मट्ठा भी कहा जाता है, कीट नियंत्रण में बहुत उपयोगी है। मिर्च आदि में लगने वाले फफूंदी जनित रोगों में भी पुरानी छाछ रामवाण औषधि का कारती है।
चने की लट, सब्जियों की लट तथा रसचूसक कीटों को मारने के लिए 250 ग्राम छाछ को 10 से 15 दिन पुराना होने पर 15 लीटर पानी में मिलाकर सायंकाल फसल पर छिड़काव करें। सुंडियों एवं रसचूसक कीटों के लिए मिट्टी के घड़े में छाछ भरकर उसके मुंह को कपड़े से बांध दें। इसे 21 दिन के लिए जमीन में गाढ़ दें। बाद में 20 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में डालकर फसल पर छिड़काव करें। नीलगायों को बचाव के लिए 10 से 15 दिन पुरानी छाछ में अरण्डी के बीजों का पाउडर या तेल मिलाकर एक दिन के लिए और रखदें।
इसके बाद इसका स्प्रे नीलगाय आनेवाले स्थानों पर करें। दूसरे उपाय के तौर पर पुरानी छाछ में थोड़ा रोगोर और थोड़ा थायरम मिलाकर खेत के चारों ओर स्प्रे करें। लहसुनसु िण्डयों के लिए चार किलोग्राम लहसुन की कलियों की लुगदी बनाकर इसमें 500 लीटर पानी मिलाएं। इसे सूती कपड़े से छानकर स्प्रे करें।
रसचूसक थ्रिप्स आदि कीटों को मारने के लिए 200 लीटर पानी में 3 किलोग्राम लहसुन की लुगदी मिलाकर छिड़काव करें।
मिर्च का खान-पान के साथ जैविक कीट नियंत्रण में भी उपयोग होता है। चार से पांच किलोग्राम हरीमिर्च लेकर पीसलें। इसे 8-10 लीटर पानी में मिलाकर छानें। इसमे बाद मिक्सर में 500 ग्राम लहसुन की कलियां पीसें।
इसमें 200 एमएल मिट्टी का तेल(कैरोसिन) मिलाकर छानलें। अब इसमें सभी मिश्रणों को ठीक से मिलाकर 50 ग्राम साबुन या सर्फ मिलाएं। इस मिश्रण का एक भाग व चार भाग पानी मिलाकर किसी भी तरह की चने आदि में लगने वाली लटों के खात्मे के लिए छिड़काव करें।
हींग का प्रयोग खड़ी फसल में दीमक लगने पर किया जाता है। हींग की छोटी डेली कपड़े की पोटली में बांधकर खेत में ऐसे स्थान पर लटकाएं जहां से पानी का बहाव हो। इस पानी के साथ हींग का थोड़ा अंश बहकर समूचे खेत में फैल जाएगा और दीमक पर नियंत्रण होगा।
खड़ी फसल में दीमक नियंत्रण को ग्वार का पाठा (एलोवेरा) की पत्तियों को काटकर खेत में ऐसे स्थान पर रखें जहां से उसका गूजा पानी के साथ गलकर समूचे खेत में पहुंच जाए।
सफेद मक्खी, थ्रिप्स एवं मोयला नियंत्रण के लिए करंज की 10 किलोग्राम पत्ती को 5 लीटर पानी में मिलाकर तब तक उवालें जब तक कि इसका पानी एक लीटर न रह जाए। इसके बाद ठंडा करके बाद इस एक लीटर के घोल की 25 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें।
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Source – KalpatruExpress News Papper

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