गर्भावस्था
में अगर ब्लड प्रेशर अनियंत्रित रहे तो सतर्क हो जाएं। यह गर्भावस्था की गंभीर
बीमारी इक्लैम्पसिया का लक्षण है।
इस बीमारी से 25 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं की समय पर इलाज न
होने से मौत हो जाती है। लखनऊ के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में प्रतिदिन इस बीमारी
से पीड़ित 709 गर्भवती
महिलाएं ओपीडी में आती हैं। बदलते परिवेश में गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड
प्रेशर की चपेट में महिलाएं काफी संख्या में आ रही हैं। समय पर ब्लड प्रेशर का
सही इलाज न होने से यह महिलाएं बीस सप्ताह के बाद प्री इक्लैम्पसिया की चपेट में
आ जाती हैं और वक्त पर इसका इलाज न होने से खतरा बढ़ जाता है। यह बीमारी का
अंतिम चरण होता है।
समय पर
गाइडलाइन की जरूरत-
गर्भस्थ महिला को समय पर गाइडलाइन के अनुसार
इलाज नहीं किया गया तो महिला को झटके आने लगते हैं। इस परिस्थिति में जच्चा को
बचाने के लिए तत्काल ऑपरेशन करके गर्भस्थ शिशु को निकाल दिया जाता है। जब तक
गर्भवती महिला इक्लैम्पसिया की हालत तक पहुंचती है, तब तक उसके लगभग सात से आठ महीने की
गर्भावस्था तक पहुंच जाती है। ऐसी हालत में शिशु को नियोनेटल केयर यूनिट में रखा
जाता है।
हर महीने हो
जांच-
इस समय ज्यादातर ओपीडी में प्री- इक्लैम्पसिया
व इक्लैम्पसिया के मरीज काफी संख्या में आ रहे हैं। डॉक्टर कहते हैं कि हाई ब्लड
प्रेशर को प्रत्येक महीने नापा जाना चाहिए। अगर ब्लड प्रेशर ज्यादा निकलता है तो
उसका इलाज किया जाना आवश्यक है। यही नहीं एनीमिया के बाद सबसे ज्यादा
इक्लैम्पसिया की चपेट में गर्भवती महिलाएं आ रही हैं। स्वास्थ्य केन्द्रों व
अन्य अस्पतालों में इसके लिए जागरूकता अभियान चला कर डॉक्टरों को प्रशिक्षित
किया जाता है। लेकिनइसके बाद भी जागरूकता की कमी से बीमारी बढ़ रही है।
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Source – KalpatruExpress News Papper
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सोमवार, 23 जून 2014
गर्भवती महिलाओं में बढ़ रहा हाइपर टेंशन का खतरा
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