सेल्फी का चलन
आजकल युवाओं में बढ़ता ही जा रहा है। या यूं कहें कि युवा कुछ हद तक क्रेजी हो गए
हैं सेल्फी को लेकर। कोई नई ड्रेस पहनी तो सेल्फी ले ली, किसी नई जगह पर अकेले गए तो सेल्फी ले ली, घर में खाली बैठे बोर हो रहे हैं तो सेल्फी
ले ली। यह सिलसिला तब से और भी आम हो गया है जब से युवाओं की पॉकेट में स्मार्टफोन
ने अपनी जगह बना ली है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर सेल्फी है क्या। दरअसल, सेल्फी खुद से ही खुद की ली गई फोटो है।
सेल्फी के बारे
में चर्चा करती अनुषा मिश्रा की रिपोर्ट:
सबसे चर्चित शब्द-
हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ष के अंग्रेजी
के सबसे चर्चित शब्द की खोज की जाती है। साल 2013 में इस खोज के नतीजे ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ऑनलाइन ने दिए, जिसने सेल्फी शब्द को साल का सबसे चर्चित
शब्द माना।
ऑक्सफोर्ड
डिक्शनरी ऑनलाइन का कहना है कि उनके विश्लेषण के अनुसार पिछले 12 महीनों में इस शब्द का इस्तेमाल 17 हजार प्रतिशत बढ़ा है। सेल्फी की यह
लोकप्रियता स्वाभाविक है क्योंकि अजीब-अजीब मुद्रा में अपनी तस्वीरें खींचना और
ऐसी तस्वीरों को लाइन लगाकर देखना आजकल बहुत ट्रेंडी माना जाता है।
कैसे हुई सेल्फी
की शुरुआत-
ऐसा माना जाता है कि दुनिया की पहली सेल्फी सन 1839 में रॉबर्ट कॉरनेलियस ने ली थी। यह सेल्फी
उन्होंने अपने कैमरे में टाइम सेट करके ली थी।
लेकिन मोबाइल
फोन में कैमरे आने के साथ सन 2002 में सेल्फी का चलन तेजी से बढ़ा। ऐसा भी कहते हैं कि 13 सितम्बर 2002 को ऑस्ट्रेलिया की वेबसाइट एबीसी ऑनलाइन पर पहली सेल्फी डाली गई। दरअसल, यह सेल्फी एक ऑस्ट्रेलियाई नौजवान की थी जो
रात में शराब के नशे में धुत होकर मुंह के बल सड़क पर गिर पड़ा और उसका एक दांत
टूट गया। उसी टूटे दांत के साथ खींची हुई अपनी तस्वीर उसने अपनी पियक्कड़ जुबान
में तुरंत अपलोड की (साथ ही माफी मांगी कि यह तस्वीर सेल्फी है, लिहाजा इसकी क्वालिटी पर न जाएं) और दो-तीन
दिन के लिए दुनिया भर के लड़के-लड़कियों के बीच हीरो बन गया।
सेल्फी की
लोकप्रियता-
सन 2005 में फोटोग्राफर जिम रॉज ने सेल्फी शब्द के बारे में बात की। सोशल नेटवर्किग
साइट फेसबुक के आने के बाद उस पर खुद से ही खींची गई खुद की फोटो यानी सेल्फी
अपलोड करने का सिलसिला तेज हो गया लेकिन इसकी शुरुआत तो कुछ हद तक माईस्पेस नामक
सोशल नेटवर्किग साइट के आने के साथ ही हो गई थी। सन 2008-09 आते-आते ज्यादातर अच्छे मोबाइल फोन में फ्रंट
कैमरा भी आने लगा जिससे सेल्फी लेना और भी ज्यादा आसान हो गया और धीरे-धीरे सेल्फी
लेकर सोशल नेटवर्किग साइट्स पर डालने का सिलसिला आम होता गया। साल 2012 में टाइम मैगजीन ने अपने 10 सबसे प्रसिद्ध बजवर्डस में सेल्फी को भी जगह
दी। एक सव्रे के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में 18 से 35
साल की दो-तिहाई
महिलाएं फेसबुक पर अपलोड करने के लिए अपनी सेल्फी लेती हैं। सैमसंग के द्वारा कराए
गए एक पोल सव्रे में यह बात सामने आई कि सेल्फी लेने वालों में 30 प्रतिशत लोग 18-24 वर्ष की उम्र के होते हैं।
नो मेकअप सेल्फी अभियान-
हाल ही में ब्रिटेन में कैंसर रोगियों की मदद
कदने के लिए कैंसर रिसर्च यूके चैरिटी ने नो मेकअप सेल्फी फॉर कैंसर अवेयरनेस नामक
अभियान चलाया जिसके जरिए उन्होंने कुछ दिनों में ही 20 करोड़ रुपये जुटा लिए। इस अभियान की शुरुआत
सोशल मीडिया पर नो मेकअप सेल्फी
हैशटैग के साथ
तब हुई जब एक महिला ने अपनी बिना मेकअप की तस्वीर ट्विटर और फेसबुक पर डालीं। उस
महिला ने अपने दोस्तों को भी वैसा ही करने को कहा।
कैंसर से जुड़ा
यह नो मेकअप सेल्फी अभियान चर्चा का विषय बन गया। कैंसर मरीजों के लिए दान की
गुजारिश करते हुए कई सेल्फी पोस्टर तेजी से वायरल होने लगे।
सोशल मीडिया के
अलावा अभियान के बारे में अखबारों, रेडियो और टीवी न्यूज में भी खूब चर्चा होने लगी और यह अभियान सफल हो गया।
ऑस्कर अवॉर्ड की
सेल्फी हुई वायरल-
साल 2014 के ऑस्कर समारोह में होस्ट ऐलन डेजेनेरस द्वारा पोस्ट की गई सेल्फी ट्विटर पर
सबसे ज्यादा री- ट्वीट होने वाली तस्वीर बन गई। इसे पोस्ट किए जाने के बाद कुछ देर
के लिए माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर क्रैश कर गई। इनमें जेनिफर लॉरेंस, ब्रैड पिट, एंजलीना जॉली,
ब्रैडली कूपर, जूलिया रॉबर्ट्स, मेरिल स्ट्रीप, केविन स्पेसी और सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री का अवॉर्ड जीतने वाली लुपिटा
न्योंगो शामिल हैं। डेजेनेरस की इस सेल्फी को सबसे ज्यादा री-ट्वीट का पिछला
रिकॉर्ड तोड़ने में 40 मिनट से भी कम समय लगा। इससे पहले सबसे
ज्यादा री-ट्वीट होने वाली तस्वीर का रिकॉर्ड अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और
उनकी पत्नी मिशेल ओबामा के नाम था जो साल 2012 में ओबामा के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद पोस्ट की गई थी।
सेल्फी का
मनोविज्ञान से संबंध-
अगर मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो खुद से ही
खुद की फोटो खींचकर सोशल नेटवर्किग साइट्स पर अपलोड करना एक तरह की आत्ममुग्धता को
दर्शाता है। कई लोग ऐसे होते हैं जो खुद से अच्छा किसी को नहीं समझते इसलिए वे
सेल्फी लेते रहते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें अपनी फोटो खींचने का
शौक होता है लेकिन उन्हें जब कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिलता जो उनकी फोटो ले सके तो
वे सेल्फी से ही काम चला लेते हैं। सोशल नेटवर्किग साइट्स के आने से इनका चलन तेजी
से बढ़ा है क्योंकि इसके जरिए लोगों को अपनी फोटो दूसरों तक पहुंचाने का प्लेटफॉर्म
मिल गया है। वहीं कुछ सेलेब्रिटीज भी ऐसे होते हैं जिन्हें सेल्फी लेने का क्रेज
है,
ऐसा वे हर वक्त
खुद को अपने फैंस से जोड़ने के लिए करते हैं। कई मायनों में सेल्फी लोगों को
आत्मसंतोष का अनुभव कराती है।
डॉ. सारंगधर, मनोवैज्ञानिक, आगरा
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Source – KalpatruExpress
News Papper
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