गांधीनगर।
गुजरात की राजस्व मंत्री आनंदी बेन पटेल राज्य की पहली महिला सीएम बनने जा रही
हैं। नरेंद्र मोदी के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया
गया है। 73 वर्षीय
आनंदीबेन मोदी की गैरमौजूदगी में सरकार चलाती रही हैं। उत्तर गुजरात के खरोड गांव
की बेटी आनंदीबेन पटेल का पितृ परिवार दस-भाई बहनों का रहा है।
चार भाई व छह
बहनें। बचपन से ही शिक्षा को लेकर गंभीर होने के कारण ही प्राथमिक स्कूल में 700 लड़कों के बीच अकेली छात्रा होने के बावजूद
पढ़ाई पूरी की। कन्या विद्यालय में टीचर रहीं आनंदीबेन लंबे सियासी सफर के बाद
सीएम की कुर्सी तक पहुंची हैं।
वह पढ़ाई के
दौरान कृषि कार्य भी करती थीं। कृषक पिता जेठाभाई एवं माता मेनाबेन ने संघर्षमय
जीवन बिताते हुए अपने सभी बच्चों को कठिन परिश्रम को जीवन मंत्र बनाने की सीख
दी।
बात तब की है
जब आनंदीबेन पटेल बतौर शिक्षिका मोहिनीबा कन्या विद्यालय में सेवारत थीं। एक बार
बच्चों को एजुकेशन टूर पर विद्यालय की तरफ से लेकर गई थीं। ये टूर नवा गाम बांध
के पास गया था। इस दौरान दो छात्राएं पानी में डूबने लगीं। अपनी छात्राओं को
डूबता देख आनंदीबेन खुद पानी में कूद पड़ीं और छात्राओं को सकुशल बाहर निकाला।
इस घटना के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया।
कहा जाता है
कि अपनी स्कूलिंग के दौरान वह लड़कों की क्लास में एकमात्र लड़की थीं। वह 15 सालों से अपने पति से अलग रह रही हैं।
आनंदीबेन पटेल अपनी बेटी आनार के बेहद करीब हैं।
आनंदी बेन के
पति मफतभाई मनोविज्ञान के प्रोफेसर हैं। मफतभाई जनसंघ के समय से ही बीजेपी से
जुड़े थे। 46 साल की उम्र
में पहली बार आनंदीबेन के राजनीति में आने की चर्चा हुई, वह भी तब, जब मोदी आरएसएस से बीजेपी में आए। कहा जाता है कि मोदी और उनके बीजेपी
समर्थकों ने ही आनंदीबेन से राजनीति में आने की गुजारिश की। पहले तो उन्होंने
थोड़ा संकोच किया लेकिन पति के कहने पर राजनीति में आने के लिए तैयार हो गईं।
पहले वह गुजरात महिला इकाई की अध्यक्ष बनीं। आनंदी तेजी से सियासी सीढ़ियां
चढ़ीं और 1994 में उन्हें
राज्यसभा के लिए भी नामांकित किया गया। 1998 से लगातार विधायक आनंदी बेन गुजरात में
सर्वाधिक समय तक विधायक रहने वाली महिला नेता हैं। वह केशुभाई पटेल सरकार में भी
मंत्री रह चुकी हैं। आनंदी बेन को मोदी की वफादार साथी माना जाता है। यही नहीं, जब केशुभाई सरकार में मोदी पर निगरानी रखी
जा रही थी, तब भी वह मोदी
के साथ नजर आने से नहीं डरती थीं। मोदी की केबिनेट में स्कूलों में नामांकन
बढ़ाने और भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन करने को लेकर भी उनके काम की खूब तारीफ
हो चुकी है।
उनकी निडरता
ही थी कि उन्होंने सगे भानैज का बाल-विवाह रोकने को पुलिस की मदद ली। उनके इस
कदम के बाद महेसाणा में बाल विवाह की कुरीति पर अंकुश आने लगा। यह तब की बात है
जब गुजरात के पटेल समाज में बाल विवाह को सहजता से लिया जाता था।
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Source –
KalpatruExpress News Papper
|
OnlineEducationalSite.Com
गुरुवार, 21 अगस्त 2014
गुजरात की नई सीएम स्कूल के 700 लड़कों में अकेली लड़की
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