शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

सलामी लाल किले से ही क्यों


Red Fort Delhi

16 अगस्त, 1947 को पहली बार स्वतंत्र भारत का राष्ट्रध्वज प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा लाल किले के लाहौरी गेट की प्राचीर से फहराया गया था। लाल किला तब से ही भारतीय स्वाधीनता और देश की एकता का प्रतीक बन गया, जहां हर वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं।
लाल किले से ही राष्ट्रध्वज क्यों फहराया जाता है और प्रधानमंत्री नेहरू ने सर्वप्रथम राष्ट्रध्वज फहराने के लिए इसी स्थान को क्यों चुना? लाल किले से ही देश की जनता को संबोधित करने की परंपरा क्यों शुरू हुई तथा प्रधानमंत्री लाल किले की इस प्राचीर से ही सलामी क्यों लेते हैं? इन सवालों के उत्तर के लिए हमें लाल किले की उस ऐतिहासिक भूमिका को जानना होगा, जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में लाल किले की उल्लेखनीय भूमिका रही है। 10 मई, 1857 को मेरठ में क्रांति की शुरुआत हुई और सिपाहियों ने 11 मई को दिल्ली में प्रवेश कर अंग्रेजों के छक्के छुड़ाते हुए मुगल साम्राज्य के अंतिम बादशाह बहादुर शाह द्वितीय को हिन्दुस्तान का सम्राट घोषित किया। यह विजय अधिक दिनों तक स्थायी नहीं रह पाई और 21 सितंबर, 1857 को अंग्रेजों ने दिल्ली पर फिर अधिकार कर लिया। अनेक सिपाहियों को गोली से उड़ा दिया गया। क्रांति की इस ज्वाला को दबाने के लिए अंग्रेज हुकूमत ने निदरेषों को भी नहीं बख्शा। हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को जेलों में ठूंस दिया गया। सैकड़ों क्रांतिवीरों को फांसी पर लटका दिया गया। बाद में अंग्रेजों ने बहादुर शाह को गिरफ्तार कर उन पर लाल किले में ही मुकदमा चलाया और 40 दिन बाद उन्हें आजीवन देश निकाला देकर रंगून भेज दिया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
इस तरह भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में हजारों कुर्बानियों का गवाह रहा लाल किला ही वह स्थन हो सकता था, जहां से देश की आजादी और एकता का ना सिर्फ संदेश दिया जा सके, वरन संकल्प भी किया जा सके। नेहरू जी के बाद निरंतर सभी प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त की सुबह राष्ट्र ध्वज फहराते हैं और भारत की जनता को स्मृति दिलाते हैं कि कोई भी राष्ट्र बलिदान और कुर्बानियों के बिना स्वतंत्र नहीं हो सकता। भारत की आजादी का इतिहास शांति और सद्भावना का नहीं रहा। लगातार रक्त क्रांतियों और यातनाओं के बल पर ही सत्ता मिल सकी है। अहिंसा हमारा नारा भले रहा हो, लेकिन यह सिक्के का एक ही पहलू है। असल में यह पूरा देश महान हिंसा की विभीषिका से गुजरा है, इस तथ्य को भी कतईअनदेखा नहीं किया जा सकता।

Courtesy-www.kalpatruexpress.com

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