शनिवार, 4 अक्तूबर 2014

कितने सेब हैं ?


Moral Hindi story
एक 7 साल की लड़की को मैथ्स पढ़ा रहे टीचर ने पूछा ,” अगर मैं तुम्हे एक सेब दूं , फिर एक और सेब दूं , और फिर एक और सेब दूं , तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे ?”
लड़की ने कुछ देर सोचा और , और अपनी ऊँगली पर जोड़ने लगी …
” चार ” , लड़की का उत्तर आया .
टीचर थोड़ा निराश हो गया, उसे लगा कि ये तो कोई भी बता सकता था. “शायद बच्चे ने ठीक से सुना नहीं .” – टीचर ने मन ही मन सोचा .
उसने पुनः प्रश्न दोहराया ; ” ध्यान से सुनो – अगर मैं तुम्हे एक सेब दूं , फिर एक और सेब दूं , और फिर एक और सेब दूं , तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे ?”
लड़की टीचर का चेहरा देख कर समझ चुकी थी कि वो खुश नहीं है, वह पुनः अपनी उँगलियों पर जोड़ने लगी, और सोचने लगी कि ऐसा क्या उत्तर बताऊँ जिससे टीचेर खुश हो जाए . अब उसके दिमाग में ये नहीं था कि उत्तर सही हो , बल्कि ये था कि टीचर खुश हो जाये.
पर बहुत सोचने के बाद भी उसने संकोच करते हुए कहा , ” चार “
टीचर फिर निराश हो गया , उसे याद आया कि लड़की को स्ट्रॉबेरी बहुत पसंद हैं , हो सकता है सेब
पसनद न होने के कारण वो अपना फोकस लूज़ कर दे रही हो.
इस बार उसने बड़े प्यार और जोश के साथ पूछा ,” अगर मैं तुम्हे एक स्ट्रॉबेरी दूं , फिर एक और स्ट्रॉबेरी दूं , और फिर एक और स्ट्रॉबेरी दूं , तो तुम्हारे पास कितने स्ट्रॉबेरी हो जायेंगे ?”
टीचर को खुश देख कर , लड़की भी खुश हो गयी और अपने उँगलियों पर जोड़ने लगी …अब उसके ऊपर कोई दबाव नहीं था बल्कि टीचर को ही चिंता थी कि उसका नया तरीका काम कर जाये .
उत्तर देते समय लड़की फिर थोड़ा झिझकी और बोली , ” तीन !!!”
टीचर खुश हो गया , उसका तरीका काम कर गया था . उसे लगा कि अब लड़की समझ चुकी है है ,और अब वो इस तरह के किसी भी प्रश्न का उत्तर दे सकती है .
“अच्छा बेटा तो बताओ , अगर मैं तुम्हे एक सेब दूं , फिर एक और सेब दूं , और फिर एक और सेब दूं , तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे ?”
पिछला जवाब सही होने से लड़की का आत्मविश्वास बढ़ चुका था , उसने बिना समय गँवाए उत्तर दिया , ” चार .”
टीचर क्रोधित हो उठा , ” तुम्हारे पास दिमाग नहीं है क्या , ज़रा मुझे भी समझाओ कि चार सेब कैसे हो जायेंगे .”
लड़की डर गयी और टूटते हुए शब्दों में बोली , ” क्योंकि मेरे बैग में पहले से ही एक सेब है .”
Friends, कई बार ऐसा होता ही कि सामने वाले का जवाब हमारे अनुकूल नहीं होता है तो हम अपना temper loose कर देते हैं, पर ज़रुरत इस बात की है कि हम उसके जवाब के पीछे का logic समझें . विभिन्न माहौल और cultures में पले -बढे होने के कारण एक ही चीज को अलग-अलग तरीकों से देख-समझ सकते हैं , इसलिए जब अगली बार आपको कोई अटपटा जवाब मिले तो एक बार ज़रूर सोच लीजियेगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आप भी छुपे हुए सेब को नहीं देख पा रहे हैं.
————————————-
Note: The inspirational story shared here is not my original creation, I have read it before  and I am just providing a Hindi version of the same.

यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है:facingverity@gmail.com.पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें