Where lies the seed of greatness? |
यूनान देश के एक गाँव का लड़का जंगल में लकड़ियाँ काट के शाम को पास वाले शहर के बाजार मे बेचकर अपना गुजारा करता था. एक दिन एक विद्वान व्यक्ति बाजार से जा रहा था. उसने देखा कि उस बालक का गट्ठर बहुत ही कलात्मक रूप से बंधा हुआ है.
उसने उस लड़के से पूछा- “क्या यह गट्ठर तुमने बांधा है?”
लड़के ने जवाब दिया : “जी हाँ, मै दिनभर लकड़ी काटता हूँ, स्वयं गट्ठर बांधता हूँ और रोज शामको गट्ठर बाजार मे बेचता हूँ.”
उस व्यक्ति ने कहा कि “क्या तुम इसे खोलकर इसी प्रकार दुबारा बांध सकते हो?”
“जी हाँ, यह देखिए” – इतना कहेते हुए लडके ने गट्ठर खोला तथा बड़े ही सुन्दर तरीके से पुन: उसे बांध दिया. यह कार्य वह बड़े ध्यान, लगन और फूर्ती के साथ कर रहा था.
लड्के की एकाग्रता, लगन तथा कलात्मक रीति से काम करने का तरीका देख उस व्यक्ति ने कहा “क्या तुम मेरे साथ चलोगे ? मै तुम्हे शिक्षा दिलाऊंगा और तुम्हारा सारा व्यय वहन करूँगा.”
बालक ने सोच-विचार कर अपनी स्वीकृति दे दी और उसके साथ चला गया. उस व्यक्तिने बालक के रहने और उसकी शिक्षाका प्रबंध किया. वह स्वयं भी उसे पढ़ाता था.थोड़े ही समय में उस बालकने अपनी लगन तथा कुशाग्र बुद्धि के बल पर उच्च शिक्षा आत्मसात कर ली. बड़ा होने पर यही बालक युनान के महान दार्शनिक पाइथागोरस के नामसे प्रसिद्द हुआ.
वह भला आदमी जिसने बालक की भीतर पड़ी महानता के बीज को पहचान कर उसे पल्लवित किया , वह था, वह था यूनान का विख्यात तत्त्व ज्ञानी डेमोक्रीट्स .
इस कहानी से हम सीख ले सकते हैं कि हमें छोटे-छोटे कार्य भी लगन एवं इमानदारी से करने चाहियें , उसी में महानता के बीज छिपे होते है.
-दिलीप पारेख
सूरत, गुजरात
I am grateful to Dilip Ji for sharing this inspirational incident with FV.
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