गुरुवार, 19 मार्च 2015

SLR In Hindi


सांविधिक चलनिधि अनुपात (एस.एल.आर.) का विस्तृत विवरण
सांविधिक चलनिधि अनुपात वाणिज्यिक बैंक  के लिए वह राशि है जो बैंक को अपने ग्राहकों के लिए ऋण उपलब्ध कराने से पहले नकदीया सोनेया सरकार द्वारा अनुमोदित प्रतिभूतियों/ऋणपत्र (बांड) के रूप में बनाये रखनी होती हैसांविधिक चलनिधि अनुपात दर भारतीय रिजर्व द्वारा बैंक क्रैडिट के विस्तार को नियंत्रित करने के लिए निर्धारित और पोषित करती है।
सांविधिक चलनिधि अनुपात (SLR) की अधिकतम सीमा 40% है|
एन.डी.टी.एल ( NDTL) का वर्तमान सांविधिक चलनिधि अनुपात 22% है|
बेसिस पॉइंट क्या है ?  
यह प्रतिशत टर्म में ब्याज दर में वृद्धि है| उदाहरणस्वरूप,यदि ब्याज दर में 50 बेसिस पॉइंट की वृद्धि हो गयी तो इसका अर्थ होगा की ब्याज दर 0.50% बढ़ेगी| एक प्रतिशत पॉइंट को 100 बेसिस पॉइंट में तोडा जाता है| इस प्रकार से 2% से 3% की वृद्धि 1 प्रतिशत पॉइंट अथवा 100 बेसिस पॉइंट है|

एन.डी.टी.एल ( NDTL) -  यह पूरी मांग (बैंक में चालू और बचत खाते का योग) और समय (फिक्स्ड डिपॉजिट या आवर्ती जमा राशि आदि जिसका परिपक्वता पर भुगतान किया जाता हैका जोड़ है| ये हमारे लिए आस्तियां हैं किन्तु बैंक के लिए देयताएं(ऋण) हैं|
सी.आर.आर और एस.एल.आर के प्रभाव का उदाहरण इस प्रकार है
मान लें, की लेना बैंक के पास एन.डी.टी.एल 100 रु. हैं वे यह राशि ऋण के रूप में आकांक्षित व्यक्ति को दे सकते हैं, इस प्रकार से 100 रु. बाज़ार में प्रवेश करेंगे (मंदी का कारणबन सकता है), अत: श्री मान बांड (भारतीय रिजर्व बैंक के राजन) ने कहा की 4 % (सी.आर.आर) अपने  पास रखें और 22% सी.एल.आर को सरकारी ऋणपत्रों और सोने के रूप में(जिसे ऋण के रूप में न दिया जा सके) तो लेना बैंक के पास एन.डी.टी.एल का 74% [100 - (22 + 4)] शेष रहता है इस प्रकार ऋण के लिए कम राशि होने से अंतत: मंदी पर प्रभाव पड़ता है|
एस.एल.आर को बनाये रखने का मुख्य उद्देश्य :
i. बैंक ऋण के विस्तार को नियंत्रित करनाभारतीय रिजर्व बैंक एसएलआर के स्तर को बदलकर बैंक ऋण विस्तार में कमी या वृद्धि कर सकता हैं।
ii. वाणिज्यिक बैंकों की शोधन क्षमता सुनिश्चित करना।
iii. सरकारी बांड की तरह सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए वाणिज्यिक बैंकों को मजबूर करना।

सांविधिक चलनिधि अनुपात(SLR) का मुख्य प्रयोग:
एस.एल.आर का प्रयोग मंदी को नियंत्रित करने और विकास में वृद्धि के लिए किया जाता है| सांविधिक चल अनुपात दर के द्वारा व्यवस्था में धन के संचार को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है|
एस.एल.आर और सी.आर.आर में क्या अंतर है?
एस.एल.आर क्या करता है यह बैंक द्वारा अर्थव्यवस्था में धन के संचार को नियंत्रित करता है| दूसरी तरफ सी.आर.आर अथवा कैश रिवर्स अनुपात जमा का वह भाग है जो बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक में बनाये रखना होता है| अनुपात जितना अधिक होगा बैंक उतनी ही कम राशि ऋण देने और निवेश के लिए प्रयुक्त कर सकता है|
दूसरा अंतर यह है की एस.एल.आर को पूरा करने के लिए बैंक नकदी, सोना और अधिकृत रिन्प्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं जबकि सी.आर.आर के लिए केवल नकदी का प्रयोग किया जा सकता है| सी.आर.आर भारतीय रिजर्व बैंक में नकदी के रूप में बनाये रखनी होगी| जबकि एस.एल.आर चल निधि के रूप में बैंक के साथ बनाये रखनी होती है|
एस.एल.आर में कटौती का क्या अर्थ है?
एस.एल.आर  में कमी का अर्थ है की घर, गाड़ी तथा वाणिज्यिक ऋण की दर में कमी| बैंक के पास अधिक पैसा होगा|

एस.एल.आर. में कमी के साथ भारतीय रिजर्व बैंक सरकारी प्रतिभूतियों के लिए बाजार का संकुचन करता है और साथ ही निजी क्षेत्र के लिए ऋण की उपलब्धता का विस्तार करता है। जिससे सरकार के फंड की लागत में वृद्धि आती है और निजी क्षेत्र को पर लगने वाली बैंक दरों में कमी आती है|



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