गुरुवार, 2 अप्रैल 2015

13 साल की उम्र में की वेबसाइट रजिस्टर, BE के बाद लॉन्च की ऑनलाइन कंपनी


ravitej yadalam

एंटरप्रेन्योरशिप की दुनिया में रवितेज यदलम के एंट्री की कहानी दिलचस्प है। 13 वर्ष की उम्र से ई-कॉमर्स में रुचि के चलते रवितेज ने कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ऑनलाइन बिक्री में प्रयोग करना शुरू किया। इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी होने के बाद केवल 23 वर्ष की उम्र में अपनी कूपन और कैशबैक शॉपिंग साइट लॉन्च की।
कंपनी : पेनीफुल डॉट कॉम
फाउंडर : रवितेज यदलम
क्या खास : भारत की सबसे बड़ी कूपन और कैशबैक शॉपिंग साइट जिसके जरिए ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले कस्टमर्स को कैशबैक की सुविधा बैंक अकाउंट या चेक के जरिए मुहैया करवाई जाती है।
13 साल की उम्र में रवितेज यदलम ने अपनी पहली वेबसाइट रजिस्टर कर ली थी और 18 वर्ष की एज में पहली बार एक प्रोडक्ट (मोबाइल फोन) ऑनलाइन बेचा। हुआ यूं कि रवितेज ने जर्मनी के एक क्लाइंट को फोन उपलब्ध करवाने के लिए डील की थी। उस वक्त उसके पास फोन नहीं था। जब क्लाइंट का पेमेंट रवितेज को मिला तो उसने फोन खरीदकर उसके पते पर भेज दिया और अपने लिए कुछ बचत भी की। इस एक्सपीरियंस से रवितेज ने दो चीजें सीखीं। पहली यह कि इंटरनेट ने सारी भौगोलिक सीमाओं को खत्म कर दिया है और दूसरी कि वेब पर नई बिजनेस स्ट्रैटजीज के लिए अवसरों की भरमार है।
अपनी पहली इंटरनेट डील से प्रभावित होकर रवितेज ने कॉलेज के दिनों में ही ई-कॉमर्स मॉडल के साथ जोड़-तोड़ करना शुरू कर दिया। बेंगलुरू के आर वी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में बीई करते हुए उसने कुछ वेंडर्स के साथ ऑनलाइन प्रोडक्ट्स बेचने का काम भी किया। कुछ वक्त बीतने के बाद रवितेज ने पाया कि एफिलिएट मार्केटिंग यानी मार्केटिंग का एक ऐसा प्लेटफॉर्म जहां शीर्ष के ऑनलाइन रिटेलर्स अपने उत्पाद किसी तीसरी पार्टी के माध्यम से बेच पाएं,अच्छे अवसर प्रदान कर सकता है। इन्हीं एक्सपीरियंस में रवितेज को अपने बिजनेस का आइडिया मिल गया।
फैमिली और दोस्तों से ली मदद 
एफिलिएट मार्केटिंग पर काम करते हुए रवितेज ने पाया कि इस फील्ड में कस्टमर का विश्वास जीतना भी एक बड़ी चुनौती है। इस पर रवितेज ने खुद से यह सवाल किया कि कोई भी कस्टमर मेरे प्रतिस्पर्धी के सामने मुझे क्यों चुनेगा? इस सवाल के जवाब में उसे यह विचार आया कि उसे अपने कस्टमर्स को ऐसा ऑफर देना चाहिए जो उसके कॉम्पटीटर न दे रहे हों। इससे प्रेरित होकर रवितेज ने यह फैसला किया कि वह अपने कमीशन का कुछ हिस्सा अपने ग्राहकों के साथ शेयर करेगा। यहीं से रवितेज के जेहन में मार्च 2010 में एक कैशबैक पोर्टल लॉन्च करने का ख्याल आया। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए उसने मार्केटिंग और डिजाइन के लिए दो लोगों को नियुक्त किया और अपनी कंपनी ईज गेट ऑनलाइन टेक्नोलॉजीज एलएलपी को रजिस्टर किया।
जनवरी, 2011 में उसने यूएस में भी एक सहायक कंपनी पेनीफुल डॉट काॅम रजिस्टर की। कंपनी में बुनियादी निवेश के लिए रवितेज ने अपने परिवार से करीब 4 लाख रुपए की आर्थिक मदद ली। अपने कारोबार को स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए उसने वेबसाइट डेवलपमेंट के लिए अपने दोस्त की सहायता ली और यूएस के ई-कॉमर्स मर्चेंट्स को साथ आने के लिए ईमेल भेजना और कॉल करना भी शुरू किया।

अमेरिका के बाद भारत में की लॉन्चिंग
शुरुआती दौर में पेनीफुल डॉट कॉम के खाते में सिर्फ 50 पार्टनर्स के नाम शामिल हुए लेकिन जल्द ही सोनी, बार्न्स एंड नोबल,एडिडास, बनाना रिपब्लिक और एयर फ्रांस जैसे बड़े नाम भी शामिल हो गए। कुछ वक्त बाद जब रवितेज ने भारत में ई-कॉमर्स को रफ्तार पकड़ते देखा तो नवंबर, 2011 में यहां भी पेनीफुल डॉट इन लॉन्च कर दिया। लॉन्चिंग के कुछ ही समय में कंपनी यहां के लगभग सभी ई-कॉमर्स पोर्टल्स को अपने साथ जोड़ चुकी है जिनमें क्लियर ट्रिप डॉट कॉम, शॉपर्स स्टॉप, नापतोल डॉट कॉम, यात्रा डॉट कॉम, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसे नाम शामिल हैं।

बड़ी कंपनियों में शामिल है वेंचर
तेजी से तरक्की कर रही इस कंपनी के पार्टनर्स की लिस्ट में 4,000 कंपनियां शामिल हो चुकी हैं। यही नहीं कंपनी का वर्तमान टर्नओवर 7 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर चुका है। यही नहीं वर्ष 2013 में पेनीफुल को रेड हेरिंग एशिया टॉप 100 कंपनीज में भी शामिल किया गया। पेनीफुल ने कामयाबी के इस सफर में कई चुनौतियों का भी सामना किया है। रवितेज बताते हैं कि भारत में लोगों को कैशबैक के बारे में बताना काफी चैलेंजिंग था क्योंकि देश में आज भी लोग कैशबैक की अवधारणा से अनजान हैं। वहीं लोग इसे डिस्काउंट के समान मानते हैं और इसकी विश्वसनीयता पर कम ही यकीन करते हैं।

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