बुधवार, 8 अप्रैल 2015

RBI's new policy-low return investment in US bonds

आरबीआई की नई नीति-कम रिटर्न वाले अमेरिकी बॉन्ड्स में निवेश

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार देश में काफी डॉलर आते नज़र आ रहे हैं। इससे इंडिया के विदेशी मुद्रा भंडार में भी काफी बढ़ोतरी हुई है।ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक और डॉलर के दूसरे होल्डर्स, कुछ डॉलर फंड ऐसे निवेश में लगा रहे हैं,जिनसे दूसरों की तुलना में थोड़ा कम रिटर्न मिलता है। 

ऐसा माना जा रहा है कि इससे करंट अकाउंट में निवेश आय घाटा में बढ़ोतरी हो सकती है।


इंडियन इन्वेस्टर्सखासतौर पर भारतीय रिजर्व बैंक  ने अपना अमेरिकी ट्रेजरी इन्वेस्टमेंट जनवरी में बढ़ाकर $91.2 अरब कर लिया था। इसका पता अमेरिकी ट्रेजरी के हालिया डेटा से चला है। नैशनल सिक्यॉरिटीज डिपॉजिटरी के डेटा के मुताबिकयह फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स की तरफ से इंडियन गवर्नमेंट और कॉर्पोरेट डेट सिक्यॉरिटीज में हुए इन्वेस्टमेंट से बहुत ज्यादा है। इंडिया में फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स का इनफ्लो $51.12 अरब यानी 3.07 लाख करोड़ रुपये रहा है।

इंडिया ने अगस्त के बाद से अपना इन्वेस्टमेंट $10.2 अरब बढ़ाया है जबकि चीन ने इस दौरान $30 अरब की सेलिंग की है। इंडिया ने इस फिस्कल के जनवरी तक अमेरिकी ट्रेजरी में अपना इन्वेस्टमेंट $20 अरब तक बढ़ा लिया था। इन्वेस्टमेंट का बड़ा हिस्सा भारतीय रिजर्व बैंक  का थाजिसने फॉरन करंसी की खरीदारी करके अपना फॉरेक्स रिजर्व बढ़ाया था।

अमेरिकी ट्रेजरी में इन्वेस्टमेंट के ट्रेंड से बैलेंस ऑफ पेमेंट्स पर दबाव बन सकता है क्योंकि इंडिया को इस पर जो रिटर्न मिलता हैवह फॉरन इन्वेस्टर्स को दिए जाने वाले पेमेंट से बहुत कम है। इससे इंडिया के करंट अकाउंट के इन्वेस्टमेंट इनकम में बढ़ोतरी होगी। अमेरिकी ट्रेजरी पर सिर्फ 1.99 पर्सेंट का रिटर्न मिल रहा हैजबकि सरकार को अपनी सिक्यॉरिटीज पर औसतन 8 पर्सेंट रिटर्न देना पड़ रहा है।

फॉरन इन्वेस्टर्स इंडियन डेट और इक्विटी में इस फाइनैंशल इयर में अब तक $45 अरब से ज्यादा लगा चुके हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के फॉरेक्स रिजर्व में इस दौरान $37 अरब की बढ़ोतरी हुई है। आरबीआई ने पिछले हफ्ते कहा था कि 20 मार्च को खत्म हफ्ते में फॉरेक्स रिजर्व $4.26 अरब बढ़कर $339.99 अरब हो गया है।

इंडिया की स्ट्रैटिजी उन ग्लोबल सेंट्रल बैंकों की तर्ज पर होगीजो यूरो ऐसेट से निकल डॉलर ऐसेट की तरफ आ रहे हैं क्योंकि डॉलर के मुकाबले यूरो में अच्छी खासी कमजोरी आई है। मॉर्गन स्टेनली ने अपनी करंसी रिपोर्ट में लिखा है, 'IMF COFER की डेटा ऐनालिसिस से पता चला है कि सेंट्रल बैंक अपने फॉरेक्स रिजर्व में यूरो का वेट घटा रहे हैं। उनके फॉरेक्स रिजर्व में यूरो की होल्डिंग 2002 के बाद सबसे निचले लेवल पर है।'


ऐक्सिस बैंक के चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट का मानना है कि फॉरेक्स मार्केट में सेंट्रल बैंकों के दखल और उसके जरिए हासिल फॉरेन एक्सचेंज का इनवेस्टमेंट पर आमतौर पर अपारदर्शिता का पर्दा होता है। उसका इन्वेस्टमेंट किस निवेश में किया जाना हैयह तय करने के लिए ‘यील्ड’ नहीं बल्कि ‘रिस्क’ उठाने की उनकी क्षमता और ट्रेडिंग लिक्विडिटी पर भी डिपेंड करता है।'

सामग्री स्रोत:ईटी एवं बैंकर्स अड्डा  

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