गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

What Is Make In India In Hindi

मेक इन इंडिया


प्रधानमन्त्री की महत्वाकांक्षी मिशन मेक इन इंडिया| मेक इन इंडिया का उद्देश्य भारत देश को निर्माण  का केंद बनाना है। इस योजना के द्वारा घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों को एक अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने का आश्ववासन दिया  गया है जिससे 125 करोड़ की आबादी वाले भारत को एक विनिर्माण केंद्र में परिवर्तित किया जाये जिससे रोजगार के अवसर पैदा हों। इससे एक गंभीर व्यािपार में व्यांपक प्रभाव पड़ेगा और इसमें किसी नवाचार के लिए आवश्य क दो तत्वा निहित–
नये मार्ग या अवसरों का भरपूर प्रयोग और
सही संतुलन रखने के लिए चुनौतियों का सामना 
राजनीतिक नेतृत्वर के व्यािपक रूप से लोकप्रिय होने की उम्मी द है। लेकिन ‘मेक इन इंडिया’ पहल वास्ततव में आर्थिक विवेक, प्रशासनिक सुधार के न्याीयसंगत मिश्रण के रूप में देखी जाती है। 
भारत की विशेषताएं 
1) भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्युवस्थाम के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुका है।
2) उम्मीदद की जाती है कि वर्ष 2020 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ा उत्पारदक देश बन जाएगा।
3) अगले दो तीन दशकों तक यहां की जनसंख्याल वृद्धि उद्योगों के अनुकूल रहेगी। जनशक्ति काम करने के लिए बराबर उपलब्धी रहेगी।
4) अन्यध देशों के मुकाबले यहां जनशक्ति पर कम लागत आती है।
5) घरेलू मार्किट में यहां तगड़ा उपभोक्तानवाद चल रहा है।
6) इस देश में तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमताएं मौजूद है और उनके पीछे वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थाानों का हाथ है।
7) विदेशी निवेशकों के लिए बाजार खुला हुआ है और यह काफी अच्छीज तरह से  विनियमित है।
योजना का आपेक्षित लक्ष्य
1) मध्यापवधि की तुलना में विनिर्माण क्षेत्र में 12-14 प्रतिशत प्रतिवर्ष वृद्धि करने का लक्ष्यग।
2) देश के सकल घरेलू उत्पाुद में विनिर्माण की हिस्से दारी 2022 तक बढ़ाकर 16 से 25 प्रतिशत करना।
3) विनिर्माण क्षेत्र में 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त2 रोजगार सृजित करना।
4) ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीब लोगों में समग्र विकास के लिए समुचित कौशल का निर्माण करना।
5) घरेलू मूल्यव संवर्द्धन और विनिर्माण में तकनीकी ज्ञान में वृद्धि करना।
6) भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्प र्धा में वृद्धि करना।
7) भारतीय विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना।
कौशल प्रशिक्षण
कोई भी उत्पापदन क्षेत्र बिना कुशल जनशक्ति के सफल नहीं हो सकता। इसी सिलसिले में सरकार ने कौशल विकास के लिए नये उपाय किये हैं। यह उत्पानदन क्षेत्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वसपूर्ण कदम होगा।
नया  मंत्रालय – कौशल विकास और उद्यमियता ने राष्ट्रीवय कौशल विकास पर राष्ट्री य नीति में संशोधन शुरू कर दिया है। नयी सरकार ने ग्राम विकास मंत्रालय के तहत एक नया कार्यक्रम शुरू कर दिया है। इस कार्यक्रम का नाम बीजेपी के नायक पंडित दीनदयाल उपाध्यावय के नाम पर रखा गया है। नये प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत देशभर में 1500 से 2000 तक प्रशिक्षण केन्द्र  खोले जाने का कार्यक्रम है। इस सारी परियोजना पर 2000 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है। यहां सार्वजनिक-निजी भागीदारी प्रारूप में संचालित की जाएगी।
नये प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत युवा वर्ग को उन कौशलों में प्रशिक्षित किया जाएगा, जिनकी विदेशों में मांग है। जिन देशों को नजर में रखकर यह कार्यक्रम बनाया गया है, उनमें स्पेिन, अमेरिका, जापान, रूस, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन और पश्चिम एशिया शामिल हैं। सरकार ने हर साल लगभग तीन लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का प्रस्ताषव किया है और इस प्रकार से वर्ष 2017 के आखिर तक 10 लाख ग्रामीण युवाओं को लाभान्वित करने का कार्यक्रम बनाया गया है।
अन्य  जो उपाय किये जाने हैं उनमें मूल सुविधाओं और खासतौर से सड़कों और बिजली का विकास करना शामिल है। लंबे समय तक बहुराष्ट्रीजय कंपनियां और सॉफ्टवेयर कंपनियां  भारत में इसलिये काम करना पसंद करती थी, क्यों।कि यहां एक विस्तृीत मार्किट और नागरिकों की खरीद क्षमता है। इसके अलावा इस देश में उत्पाेदन सुविधायें भी मौजूद हैं। इस संदर्भ में यह भी ध्याकन देने योग्यद बात है कि यहां पर सशक्तम राजनीतिक इच्छाि शक्ति, नौकरशाहों और उद्यमियों का अनुकूल रवैया, कुशल जनशक्ति और मित्रतापूर्ण निवेश नीतियां मौजूद हैं।
इसी संदर्भ में सरकार की दिल्ली और मुम्बूई के बीच एक औद्योगिक गलियारा विकसित करने की कोशिशों की जा रहीं हैं।  सरकार बहुपक्षीय नीतियों पर काम कर रही है। इनमें मुख्य। संयंत्रों और मूल सुविधाओं के विकास में सम्पशर्क स्थाैपित करने और पानी की सप्लानई सुनिश्चित करने, उच्चय क्षमता की परिवहन सुविधा विकसित करने का काम शामिल है। इन क्षेत्रों में काम करते हुए सरकार ने पांच सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। सार्वजनिक क्षेत्र के 11 निगम ऐसे हैं, जिनके बारे में सरकार का विचार है कि छः निगमों को बंद कर दिये जाने की जरूरत है। 1000 करोड़ रूपये की लागत पर इन निगमों के कर्मचारियों के लिए स्वैनच्छिक सेवानिव़ृत्ति योजना लाई जा रही है। यह एक बारगी समझौता होगा।
सरकार द्वारा संचालित जिन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को फिर से काम लायक बनाने का फैसला किया गया है। उनमें एचएमटी मशीन टूल्सल लिमिटेड, हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन, नेपा लिमिटेड, नगालैंड पेपर एंड पल्प  कंपनी लिमिटेड और त्रिवेणी स्ट्रे्क्चिरल्स शामिल हैं।
स्त्रोत : बैंकर्स अड्डा के पाठक द्वारा प्राप्त सामग्री 

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