शेयर बाज़ार, विकास और हम
शेयर बाज़ार क्या है?
शेयर मार्किट एक ऐसी जगह होती है जहां से बड़ी कंपनिया अपना बिज़नेस बढ़ाने के लिए पैसा जुटाती है और इस के लिए वह अपने शेयर जारी करती हैं।
उदहारण: मान लीजिये एक आदमी को एक कंपनी खोलने के लिए 100 रुपए की जरूरत है और उस के पास केवल 51 रुपए है बाकी बचे 49 रुपये वह कही न कही से उधार लाएगा जैसे: रिश्तेदार, माता -पिता और उन्हें लगता है कि उसका विचार अच्छा है तो वह उधार दे ही देंगे|
वही ,शेयर मार्किट में बड़ी कंपनिया शेयरो के माध्यम से आम आदमी से उधार लेती हैं, जिस के बदले वह अपने होने वाले मुनाफे में से अपने शेयर धारकों को कुछ हिस्सा देती हैं|
उदहारण: मान लीजिये कि एक कपंनी को अपना बिज़नेस बढ़ाने के लिए 100 रूपये की जरुरत है तो वह अपने शेयर जारी करेगी, अब यह कंपनी पर निर्भर होगा की वह 100 रूपये जुटाने के लिए 1 रूपये का एक शेयर जारी करे, या 50 पैसे के 200 शेयर जारी करे ,या 25 पैसे के 400 शेयर जारी करे|
कंपनी द्वारा दूसरी बार जारी शेयर क्या होते हैं?
पहले हम ने जिस कंपनी के शेयर की बात की थी उस कंपनी को और पैसे की जरुरत है तो वह अपने और शेयर जारी कर सकती है यह पहले जारी 100 शेयर से अलग होंगे|
उदहारण: अब आप मान ले हम जिस कंपनी की बात कर रहे है वो रिलायंस या टाटा है जो बहुत मुनाफा करती है तो इस कंपनी के शेयर कौन अपने पास नहीं रखना चाहेगा 100शेयर के बाद अगर कंपनी 100और शेयर जारी करेगी तो वह भी बिक जायेंगे| कंपनी द्वारा जारी किये गए दूसरी बार वाले शेयरों को एफपीओ “Further Public Offering(FPO)” कहा जाता है|
शेयर मार्किट में पैसे कैसे बढ़ता या घटता है ?
शेयर मार्किट मांग और आपूर्ति के सिद्धांत पर काम करता है -अगर किसी कंपनी के 100 शेयर मार्किट में है और 200 लोग उसे खरीदना चाहते है तो उस शेयर की मांग ज्यादा होगी और आपूर्ति कम, अब शेयर के दाम बढ़ेंगे क्यों की अब जो लोग उस कंपनी का शेयर खरीदना चाहते है वो उस के ज्यादा दाम देने को तैयार होंगे क्योंकी उन्हें लगता है यह कंपनी के शेयर के दाम भविष्य में और बढ़ेंगे|
अगर एक कंपनी के 100 शेयर मार्किट में लगे हुए हैं और खरीदने वाला कोई नहीं और जिन के पास वह शेयर हैं यदि वह उन्हें बेचना चाहते हैं तो शेयर के दाम कम होने लगेंगे, और जिन के पास यह शेयर हैं वो अपना पैसा निकलने के लिए इसे कम दाम पर बेचँगे।
आईपीओ और एफपीओ क्या है?
जब कोई कंपनी शेयर मार्किट में पहली बार अपने शेयर जारी करेगी तो वह कहलगा आईपीओInitial Public Offering (IPO)
जब कोई कंपनी जिस के शेयर पहले से मार्किट में मौजूद और वह और शेयर जारी करती है तो वह कहलगा एफपीओ Further Public Offering(FPO)|
स्टॉक स्प्लिट या शेयर विभाजन क्या होता है?
मान ले कोई कंपनी का शेयर का भाव 3000 रूपये हो गया है और लोग उसे नहीं खरीद पा रहे तो कंपनी उस शेयर को तोड़ देगी, अगर आप के पास अभी तक कंपनी के 10 शेयर थे जिन की कीमत 30000 हज़ार थी तो अब 20 होंगे पर कीमत 30000 हज़ार ही रहेगी हर शेयर की कीमत 1500 रुपया होगी|
शेयर मार्किट में लंबी अवधि के इन्वेस्टमेंट को बहुत अच्छा मना जाता है इस की वजह भी है,
उदहारण: मान ले एक कंपनी के शेयर की कीमत 10 रुपया है और आप को लगता है वह कंपनी आगे ही जाएगी तो आप उस कंपनी का शेयर ख़रीद ले और उस कंपनी के शेयर को आप 3 साल बाद देखेगे तो उस शेयर की कीमत 30 रूपये है मतलब 200% मुनाफा अगर 200% मुनाफा भी नहीं तो वह शेयर 15 रुपये का तो होगा, तीन साल में चाहे कंपनी कितने भी धीरे तरककी करे कुछ तो तरककी करेगी ही।
जबकि ,कोई आदमी उसी कंपनी का शेयर सुबह 10 रुपया में ख़रीदता है और सोचता है शाम को 11 रुपया में बेच दूंगा पर उस दिन उस कंपनी का शेयर 8 रुपया पे बंद होता है तो उस का पैसा तो फंस गया, इस लिए शेयर मार्किट में लंबी अवधि के लिए इन्वेस्ट करना चाहिए|
और लंबी अवधि के इन्वेस्टमेंट पर सरकार कैपिटल गेन टैक्स भी नहीं लेती लंबी अवधि मतलब 3 साल से ज्यादा|
डिबेंचर (Debenture) क्या है?
डिबेंचर भी शेयर की तरह होता है, बस फर्क इतना होता है कि यह पूँजी का हिस्सा ना होकर,कम्पनी द्वारा पब्लिक से मांगा गया ऋण होता है। इस डिबेंचर पर कम्पनिया प्रतिवर्ष, डिवीडेंड की जगह ब्याज देती है। कई कम्पनियां डिबेंचर को शेयर मे स्थानांतरित करने का भी प्रावधान रखती है। आजकल डिबेंचर का प्रचलन कम हो गया है। यह बहुत ज्यादा सुरक्षित होते है अगर कंपनी डूब भी जाये तब भी उन्हें इन डिबेंचर धारको को उनका पैसा लौटना पड़ेगा ,चाहे इस के लिए कंपनी को अपनी ज़मीन ,मशीन ,बिल्डिंग ही क्यों न बेचनी पड़े ,पर दूसरे शेयर में ऐसा नहीं होता यह इस हद तक सुरक्षित होते है की प्रेफर्ड शेयर से पहले डिबेंचर वालो का पैसा लौटना होता है बाद में प्रेफर्ड शेयर वालो का पैसा लौटना होता है|
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