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कैसा रहा मोदी सरकार का 1 साल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा चुनावी जीत को एक साल पूरा हो गया है। 16 मई को एनडीए सरकार की जोरदार चुनावी जीत का सेहरा मोदी के सिर बांधा | आइए मोदी सरकार की कुछ ऐसी बातों पर नजर डालते हैं जिससे सरकार की छवि बनी और बिगड़ी। पहले नजर डालते हैं उपलब्धियों पर।
जनधन योजना
केंद्र सरकार के 100 दिन पूरे होने पर प्रधानमंत्री जन धन योजना 28 अगस्त 2014 को शुरू की गई। इसका उदघाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने किया। प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 13.2 करोड़ बैंक खाते खोले गए। लोगों ने इसके तहत 11 हजार करोड़ रुपए बैंकों में जमा कराए। सरकार ने यह लक्ष्य छह महीने में हासिल कर लिया।
स्वच्छ भारत अभियान
पीएम मोदी के इस अभियान की पूरे देश में चर्चा हुई। पूरे देश को 'स्वच्छ भारत मिशन' अभियान के तहत अक्टूबर 2019 तक जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही स्वच्छ विद्यालय मिशन के अंतर्गत 15 अगस्त 2015 तक सभी स्कूलों को इससे जोड़ा जाएगा। सभी सांसदों से अपील की गई कि वे सासंद निधि का कम से कम 50 फ़ीसदी धन स्वच्छ भारत मिशन अभियान पर ख़र्च करें।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
9 मई को नरेंद्र मोदी ने कोलकाता में तीन बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का शुभारंभ किया। इस मौके पर उनके साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद थीं। इनमें एक योजना पेंशन क्षेत्र की और दो बीमा योजनाएं हैं। सभी बैंक खाता धारकों के लिए ये तीनों योजनाएं हैं। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना 18 से 50 साल के लोगों के लिए है। इस योजना के लिए सालाना 330 रुपये का प्रीमियम देना होगा जबकि प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के लिए सलाना 12 रुपये का प्रीमियम देना होगा। दुर्घटना में अपाहिज होने पर भी पीड़ित को 2 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा मिलेगा।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
शिशु लिंग अनुपात में लगातार कमी रोकने के लिए सरकार ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना शुरू की। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत हरियाणा में की थी। इसका मुख्य लक्ष्य है कन्या भ्रूण हत्या रोकना और बेटियों को पढ़ाना।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के लिए 100 करोड़ की शुरुआती राशि की घोषणा की। इसके तहत सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत की गई।
मेक इऩ इंडिया
'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत भारत को उत्पादन का केंद्र बनाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। इसके लिए मोदी ने देश के उद्योगपतियों के अलावा विदेशी दौरे के दौरान निवेशकों को भी लुभाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर 2015 को इसका ऐलान किया। अपनी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का आरंभ करते हुए मोदी ने वादा किया कि वह सुगम और प्रभावी सरकार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि देश उच्च आर्थिक वृद्धि प्राप्त कर सके और रोजगार के अवसर बढ़ सकें।
नमामि गंगे
गंगा की सफाई के लिए मोदी सरकार ने खाका तैयार किया। इसके लिए 2000 करोड़ रुपए का बजट भी रखा गया। मोदी सरकार बजट में गंगा नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए 'नमामि गंगे' मिशन के तहत 2037 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया।
कश्मीरी पंडितों की वापसी
कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के लिए मोदी सरकार ने 500 करोड़ का पैकेज रखा। सरकार ने अप्रैल में अपनी मंशा साफ कर दी कि वो घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास को लेकर गंभीर है। हालांकि इस पहल का घाटी में जोरदार विरोध हुआ और अलगाववादियों ने इसके खिलाफ बंद का ऐलान किया। जगह-जगह धरना-प्रदर्शन शुरू हुआ। 1989 के शुरू में आतंकी हिंसा में तेजी ने कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी का त्याग करने पर मजबूर कर दिया। सरकारी आंकड़ों के बकौल, पिछले 25 सालों में 59 हजार परिवारों के तकरीबन 3 लाख सदस्यों ने कश्मीर को छोड़ दिया था।
बुलेट ट्रेन
रेल बजट में बुलेट ट्रेन की घोषणा हुई। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मुंबई-अहमदाबाद रूट पर इसे चलाने का ऐलान किया। 60 हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट पर हालांकि सवाल भी उठे पर पहली बार भारत में इसे चलाने की चर्चा ने जरूर जोर पकड़ा। चीन और जापान ने इसमें मदद की पेशकश भी की।
समय की पाबंदी
मोदी सरकार में मंत्रालय और सरकारी विभागों के वर्क कल्चर में बदलाव दिखा। समय की पाबंदी पर जोर रहा। सख्ती बरती गई। अधिकतर ऑफिसों में बायोमैट्रिट अटेंडेंस सिस्टम दुरुस्त किया गया।
आम आदमी को ऐसे जोड़ा
अर्थव्यवस्था अब वापस पटरी पर आ रही है। रक्षा और बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश को बढ़ाने की अनुमति दे दी गई है। इसके चलते रोजगार के अवसर बढ़ने की संभावना है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकान ने जहां मनरेगा और ऋण माफी जैसे कदम उठाए थे।
वहीं, एनडीए सरकार ने 12 रुपए सालाना और 330 रुपए सालाना की दो बीमा योजनाएं शुरू करके आम आदमी को राहत देने की कोशिश की है।
मोदी सरकार की नाकामियां
लैंड बिल
लैंड बिल पर संसद के बाहर और अंदर संग्राम मचा रहा। विपक्ष ने संसद में इस मुद्दे पर सरकार की जमकर आलोचना की। लोकसभा में तो बिल पास हो गया पर सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद ये बिल राज्यसभा में पास नहीं हो सका। विपक्ष आए दिन इसे लेकर सरकार पर हमला बोलता रहा। इसे लेकर संसद के बाहर मार्च भी निकाला गया। तमाम सर्वे में लोग इस बिल के खिलाफ ही नजर आए। इसे लेकर सरकार बैकफुट पर है और बिल अब तक पास नहीं हो पाया है।
काला धन
मोदी सरकार ने सरकार संभालते ही काले धन के मुद्दे पर एसआईटी का गठन कर खूब वाहवाही लूटी। लेकिन ये दौर ज्यादा नहीं चला। काले धन रखने वालों का नाम सार्वजनिक न करने की मजबूरी गिना रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली की खूब किरकिरी हुई। अंत में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को इनके नाम बताए। उधर, विपक्ष बार-बार नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेता रहा और हर किसी को 15 लाख देने के वादे पर तंज कसता रहा।
महंगाई
महंगाई के मोर्चे पर सरकार का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। महंगाई रोकने का वादा करने वाली मोदी सरकार को इसमें सफलता हाथ नहीं लगी। चीजों के दाम बढ़ते रहे हालांकि इतने बेकाबू नहीं हुए कि स्थिति जनविरोध तक पहुंच जाए। हां, इस दौरान सब्जियों के दाम काबू में रहे।
किसानों का मुद्दा
किसानों के मुद्दे पर भी मोदी सरकार की जमकर किरकिरी हुई। फरवरी-मार्च में हुई जोरदार बारिश और ओलावृष्टि से पूरे उत्तर भारत में फसल बर्बाद हुई। सैकड़ों किसानों ने आत्महत्या की। मुआवजे के नाम पर किसानों के साथ मजाक हुआ और कहीं-कहीं तो उन्हें 100-100 रुपये के चेक भी थमाए गए।
पेट्रोल-डीजल
मोदी सरकार के दौरान पेट्रोल-डीजल के दाम शुरुआत में खासी कमी आई। लेकिन हाल ही में 15 दिन के भीतर दूसरी बार दामों में भारी बढ़ोतरी हुई। 15 मई को ही पेट्रोल के दाम 3 रुपये और डीजल के दाम में 2 रुपये की बढ़ोतरी हुई। 15 दिनों के भीतर ही पेट्रोल 7 रुपया और डीजल 5 रुपया महंगा हुआ।
यूपीए,एनडीए में लघु अंतर
विदेश नीति में अंतर
विदेश नीति की बात की जाए तो मोदी सरकार ने अमेरिका, चीन, रूस जैसी विश्वे शक्तियों से संबंधों की नई इबारत लिखने की कोशिश की है। गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबाम का आना मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। चीन के राष्ट्रपति भी भारत आए और नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्लीम की जगह गृहनगर अहमदाबाद में उनका स्वाटगत किया।
इसकी प्रतिक्रिया चीन की ओर से भी देखने को मिली। मोदी की चीन यात्रा के दौरान राष्ट्रापति शी जिनपिंग ने न सिर्फ प्रोटोकॉल तोड़कर मोदी का स्वामगत किया, बल्कि राजधानी बीजिंग के बजाय अपने गृहनगर शियान में किया। चीन के दौरे पर जाने से पहले ही रूसी राष्ट्रलपति व्लागदिमीर पुतिन ने मोदी को फोन कर रूस आने का निमंत्रण दे दिया। वह खुद भी भारत के दौरे पर आ चुके हैं।
जीडीपी में यह है अंतर
2004-05 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार बनी। यूपीए का पहला कार्यकाल 2008-09 तक चला। यूपीए एक के दौरान प्रति व्यक्ति जीडीपी में बढ़ोतरी की वार्षिक दर 2.7 फीसद से 6.8 फीसद तक पहुंच गई। प्रति व्यक्ति आय की दर में 69 फीसद का इजाफा हुआ। यूपीए-1 में कांग्रेस को 2004 में 26.5 फीसद मत मिले थे।
वहीं मोदी सरकार के कार्यकाल के पहले वर्ष में अनुमान लगाया जा रहा है कि देश सात फीसद की विकास दर हासिल कर लेगा। पिछले लोकसभा चुनावों में एनडीए को 39 तो भाजपा को 31 फीसद वोट मिले थे। मनमोहन सिंह के दौर में हालात बेहद खराब हो गए थे। मुद्रास्फीति की दर बढ़ती जा रही थी। हालांकि, अब इस स्थिति पर काबू पा लिया गया है।
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