नोटों पर कहां से आई गांधी जी की तस्वीर, ये है फोटो से जुड़ा रोचक इतिहास
(कोलकाता स्थित वायसराय हाउस में फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस के साथ गांधीजी (ऊपर) और भारतीय नोट) |
नई दिल्ली. सरकार के मुताबिक, इस साल के अंत से देसी कागज पर छपे नोटों की बिक्री शुरू हो जाएगी। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने हाल ही में लोकसभा में कहा था कि अब तक सभी नोटों की छपाई विदेशों से आयातित कागज पर होती है जबकि स्याही भारत में ही बनती है, इसलिए अब सरकार देसी कागज पर ही नोटों की छपाई शुरू करेगी।
देसी कागज के नोट पर भी होंगे गांधी जी
भारतीय करंसी पर फिलहाल गांधीजी की तस्वीर अंकित है। देसी कागज पर छपने वाला नोटों पर भी ये ही तस्वीर अंकित होगी। ये हमारी करंसी का ट्रेडमार्क भी है। लेकिन, सवाल यह उठता है कि गांधीजी की यह तस्वीर कहां से आई, जो ऐतिहासिक और हिंदुस्तान की करंसी का ट्रेडमार्क बन गई। दरअसल यह सिर्फ पोट्रेट फोटो नहीं, बल्कि गांधीजी की संलग्न तस्वीर है। इसी तस्वीर से गांधीजी का चेहरा पोट्रेट के रूप में लिया गया।
कहां की है यह तस्वीर
यह तस्वीर उस समय खींची गई, जब गांधीजी ने तत्कालीन बर्मा और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस के साथ कोलकाता स्थित वायसराय हाउस में
मुलाकात की थी। इसी तस्वीर से गांधीजी का चेहरा पोट्रेट के रूप में भारतीय नोटों पर अंकित किया गया।
1996 में हुआ नोटों में परिवर्तन
आज हम भारतीय नोटों पर गांधीजी का चित्र देख रहे हैं, जबकि इससे पहले नोटों पर अशोक स्तंभ अंकित हुआ करता था। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा 1996 में नोटों में परिवर्तन करने का फैसला लिया गया। इसके अनुसार अशोक स्तंभ की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का फोटो और अशोक स्तंभ की फोटो नोट के बायीं तरफ निचले हिस्से पर अंकित कर दी गई।
अभी तक 5 रुपए से लेकर 1 हजार तक के नोट में गांधीजी की फोटो दिखाई देती है। इससे पहले 1987 में जब पहली बार 500 का नोट चलन में आया तो उसमें गांधीजी का वॉटरमार्क यूज किया गया था। सन् 1996 के बाद हरेक नोट में गांधीजी का चित्र अंकित हो गया।
अब एक व दो रुपए के नोट चलन में नहीं हैं। हालांकि, एक रुपए के नोट की छपाई दोबारा शुरू हो चुकी है। इसे 1994 से बंद कर दिया गया है। इनकी जगह सिक्कों ने ले ली थी। वहीं, जब एक रुपए का नोट चलन में था, तब उस पर रिजर्व बैंक के गर्वनर की जगह फायनेंस सेक्रेटरी (वित्त सचिव) के हस्ताक्षर अंकित हुआ करते थे।
करंसी ऑफ ऑर्डिनेंस के नियमानुसार एक रुपए का नोट भारत सरकार द्वारा, जबकि दो रुपए से लेकर 1000 रुपए तक की करंसी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी की जाती थी। वर्तमान में दो रुपए का उत्पादन बंद है, लेकिन पुराने नोट अभी भी चलन में हैं।
भारतीय रुपया 1957 तक 16 आनों में रहा। इसके बाद मुद्रा की दशमलव प्रणाली अपनाई गई और एक रुपए का निर्माण 100 पैसों में किया गया। महात्मा गांधी वाले कागजी नोटों की शुरुआत 1996 से शुरू हुई, जो अब तक चलन में है।
ध्यान देने योग्य बात:
भारतीय नोटों के अगले भाग पर अंकित चित्र समान होते हैं, लेकिन पिछले भाग पर अलग-अलग।
पांच रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में: महात्मा गांधी की फोटो(वाटर मार्क), अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में: ट्रैक्टर का चित्र
10 रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में: महात्मा गांधी की फोटो, अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में: गैंडा, हाथी व बाघ का चित्र
20 रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में: महात्मा गांधी की फोटो(वाटर मार्क), अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में: ताड़ के वृक्षों का चित्र
50 रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में: महात्मा गांधी की फोटो, अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में: भारतीय संसद का चित्र
100 रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में: महात्मा गांधी की फोटो, अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में: हिमालय पर्वत का चित्र
500 रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में: महात्मा गांधी की फोटो, अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में : दांडी मार्च का चित्र
1000 रुपए के नोट की खासियत:
अग्र भाग में : महात्मा गांधी की फोटो, अशोक स्तंभ
पिछले हिस्से में : भारतीय अर्थव्यस्था को दर्शाता चित्र
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