रविवार, 10 मई 2015

विदेशी संस्थागत निवेश Vs सरकार: मैट

मैट क्या है?
मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (मैट) ये टैक्स ऐसी कंपनियों पर लगता है जो मुनाफा कमाती है और शेयरधारकों को डिविडेंड भी देती हैं। लेकिन रियायतों के चलते इन पर टैक्स देनदारी कम होती है।  मुनाफे पर 18.5 फीसदी से कम टैक्स देने वाली कंपनियों को 18.5 फीसदी मैट देना पड़ता है।



केपीएमजी के गिरीश वनवारी का कहना है कि देश में 18.5 फीसदी की मैट रेट काफी ज्यादा है। इंडस्ट्री को बढ़ाने के लिए मैट को कम करना चाहिए। काफी लोगों की राय है कि मैट को खत्म कर देना चाहिए लेकिन अगर इस खत्म नहीं कर सकते हैं तो मैट की दर कम करनी चाहिए।

मामला
यह मामला बढ़ चढ़ कर सामने तब आया जब करीब 100 विदेशी संस्थागत निवशकों को 500-600 करोड़ डॉलर की मैट वसूली के नोटिस मिले। विदेशी निवेशकों को टैक्स आतंकवाद से छुटकारा दिलाने का वादा करने वाली मोदी सरकार के इस कदम से निवेशकों में हड़कंप मच गया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि जायज टैक्स करदाताओं को चुकाना ही होगा। इसे टैक्‍स आतंकवाद नहीं समझना चाहिए। भारत इतना कमजोर नहीं है कि इसे टैक्स हैवन बनने दिया जाए। सरकार टैक्‍स चोरी करने वालों से सख्‍ती से निपटेगी।
कम्पनियों का तर्क है की विदेशी संस्थागत निवेश पर मैट नहीं लगाया जा सकता क्‍योंकि वे भारत में ‘कारोबारी कमाई’ नहीं अर्जित करते और आयकर अधिनियम के अनुसार, उनकी आय ‘पूंजीगत लाभ’ की श्रेणी में आती है। इन एफआईआई, जिनमें से ज्‍यादातर ने अब अपने आपको फॉरेन पोर्टफोलियो इन्‍वेस्‍टर (एफपीआई) बना लिया है, में अधिकतर अमेरिका और यूरोप के हैं साथ ही कुछ ऐसे भी हैं तो सिंगापुर, हांग कांग और मॉरिशस से परिचालन करते हैं।

अगर मैट कम हो जाता है तो बाहर की कंपनियों को भारत में निवेश करने में आसानी होगी। अगर सरकार एक साथ सभी इंडस्ट्री का मैट खत्म नहीं कर सकती है तो धीरे धीरे एक-दो सेक्टर में मैट खत्म कर सकती है। मैट की दर 18.5 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी या 10 फीसदी कर देनी चाहिए। सरकार को एसईजेड पर भी मैट निकाल देना चाहिए।

मैट की दरों में बदलाव सरकार की वित्तीय राजस्व के लक्ष्य के ऊपर निर्भर करता है। अगर सरकार मैट को कम करती है तो इंडस्ट्री और निवेश के लिए बहुत बड़ा बूस्ट होगा। सरकार की मेक इन इंडिया की पहल को आगे बढ़ाने के लिए मैट की दर कम करना भी जरूरी है। लोगों को टैक्स इंटेसिव मिलने चाहिए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग यहां आएं और निवेश करें।
  • जीएसटी के आने से मेक इन इंडिया को और बढ़ावा मिल सकता है। अगर जीएसटी या बाकी रिफॉर्म होते हैं तो भारत की इकोनॉमी में 10 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ देखी जा सकती है। सरकार को थोड़ा बोल्ड कदम उठाकर मैट जैसे टैक्स को खत्म करने का फैसला लेना चाहिए और अगर राजस्व में कमी होती है तो इसे विनिवेश के जरिए पूरा करना चाहिए।
  • अगर सरकार मेक इन इंडिया या मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए कोई अच्छा प्लान बनाती है तो इसके लिए कई रास्ते भी निकल सकते हैं। सरकार को टैक्स बढ़ाने के बजाए आय बढ़ाने के उपायों पर विचार करना चाहिए।

  • जेटली ने एफआईआई को उनके द्वारा अर्जित किए गए पूंजीगत लाभ पर एमएटी का भुगतान करने के दायरे से बाहर रखने की घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद जल्द ही आयकर विभाग ने कम से कम 90 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को नोटिस भेज दिया।

वर्तमान स्थिति
सरकार ने 8 मई 2015 को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है।
राज्यसभा में वित्त विधेयक 2015-16 पर बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने एफआईआई पर एमएटी की वसूली के विवादास्पद मुद्दे पर सुझाव देने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति के गठन की घोषणा की। 
उन्होंने विदेशी निवेशकों को आश्वासन दिया कि जल्द ही एमएटी के स्थान पर एक सकल आयकर रिटर्न फॉर्म लाया जाएगा।
न्यूनतम वैकल्पिक कर द्वारा पैदा हुई अनिश्चितता की वजह से विदेशी निवेशकों ने बुधवार को भारतीय शेयरों और बॉन्ड में लगभग 63.0 करोड डॉलर मूल्य की बिक्री की जो जनवरी 2014 के बाद सबसे बडी एकदिनी बिक्री रही।

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