शादी में सात फेरे क्यों लेते हैं?
शास्त्रों में कहीं भी सात फेरों का उल्लेख नहीं मिलता है। चार फेरों की मान्यता धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष के रूप में जरूर मानी गई है, लेकिन कलातंर में सप्त पदी की मान्यता और सात वचन से गृहस्थ आश्रम में प्रवेश की महत्ता के कारण फेरों की संख्या भी सात कर दी गई। वैदिक और पौराणिक मान्यता में भी सात अंक को पूर्ण माना गया है।
जैसे ग्रह मंडल में प्रमुख सात ग्रह, सात समुद्र, सप्त ऋषि सात रंग आदि होते हैं। मान्यता है कि सात फेरे जीवन की पूर्णता को दर्शाते हैं। इसमें जप, तप, व्रत, नियम, दान, कर्म व स्वाध्याय ये सात बिंदु विवाह परंपरा को पूर्ण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सात फेरे को विवाह के दौरान वर और वधू द्वारा लेने वाले सात वचनों से भी जोड़ा गया है। इसका उद्देश्य दांपत्य को पूर्णता के साथ जीना और जीवन को सार्थक करना प्रतीत होता है।
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