9वीं में दो बार फेल हुआ यह लड़का, सिर्फ 16 की उम्र में बनाईं 2 कंपनियां
अंगद दरयानी |
9वीं क्लास में दो बार फेल, तब उम्र थी 14 साल। इसके महज दो साल बाद ही 16 साल की उम्र में दो कंपनियों का मालिक। यह किसी चमत्कार जैसा लगता है, लेकिन यह सच है। यह कारनामा किया है मुंबई के रहने वाले अंगद दरयानी ने। अपनी मेहनत और कुछ अलग करने के जज्बे के दम पर उन्होंने अच्छे-अच्छे लोगों को अपना मुरीद बना लिया है। दरअसल, पिछले दिनों फेसबुक पेज 'Humans of Bombay' पर उनके जीवन की कहानी काफी प्रसिद्ध हुई। हम आपको बता रहे हैं उनके इस कारनामे के बारे में कि कैसे इतने कम समय में उन्होंने यह मुकाम हासिल किया।
जीवन से सीखना लगता था अच्छा, इसलिए छोड़ा स्कूल
दरअसल, अंगद ने स्कूल जाना इसलिए छोड़ दिया, क्योंकि उन्हें जिंदगी की पाठशाला से सीखने में ज्यादा मजा आता है। अंगद ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि मैं जब 9वीं कक्षा में था तो मैंने स्कूल छोड़ दिया, क्योंकि मैं बार-बार पुराने कॉन्सेप्ट्स को बिल्कुल सीखना नहीं चाहता था। उनके मुताबिक स्कूली शिक्षा में बच्चे नए आइडिया के बारे में नहीं सोच पाते। किताबों से रटी-रटाई चीजें याद करनी होती हैं। सिर्फ बाद में भूल जाने के लिए। वह नौवीं क्लास में दो बार फेल हुए।
10 साल की उम्र में पिता को बताया आइडिया
अंगद ग्रेडिंग सिस्टम में भरोसा नहीं रखते। इसकी जगह वह घर पर पढ़ाई करने को बेहतर मानते हैं। फेसबुक पोस्ट में अंगद ने लिखा है कि जब मैं 10 साल का था, तो मैं अपने पिता के पास गया और कहा कि मैं हॉवर क्राफ्ट बनाना चाहता हूं। उन्होंने मेरे आइडिया का मजाक उड़ाने की जगह मुझे आगे बढ़ने को कहा।
बचपन से बनाते हैं नई चीजें, दो कंपनियां बनाईं
अंगद बचपन से ही नई चीजें बनाने की कोशिश करते रहे हैं। वह छोटे थे तभी टीवी शो या अपने पिता के ऑफिस के इंजीनियरों से सीखकर वह कुछ ना कुछ नया बना लेते थे। अब 16 साल की उम्र में अंगद दो कंपनियां चला रहे हैं, जो उत्सुकता और नवाचार (क्यूरिअसिटी एंड इनोवेशन) को बढ़ावा देने वाले प्रोडक्ट तैयार करती हैं। एमआईटी के प्रोफेसर डॉ. रमेश रस्कर के साथ काम करते हुए अंगद और उनकी टीम ने वर्चुअल ब्रेलर भी बनाया, जो किसी भी पीडीएफ डॉक्युमेंट को ब्रेल में कन्वर्ट कर देता है। अब उन्होंने दो कंपनियां शार्कबोट थ्री डी सिस्टम्स (SharkBot 3D Systems) और शार्क काइट्स (Shark Kits) बना ली हैं। वह मुंबई की एक अन्य कंपनी Maker's Asylum के फाउंडर सदस्य भी रह चुके हैं।
अभी कर रहे हैं डिप्लोमा
अंगद वैसे तो जीवन की चीजों से ही सीखना पसंद करते हैं, लेकिन वह अभी the International Baccalaureate Diploma Programme (IBDP) कर रहे हैं।
अपने पिता और दादा को मानते हैं अपना हीरो
अंगद अपनी कामयाबी का श्रेय अपने परिवार और उन्हें सिखाने वाले शिक्षकों को देते हैं। उन्होंने अपनी अंगद मेक्स डॉट कॉम पर भी इसकी जानकारी दे रखी है। उनके दादा का नाम कुंदनदास दरयानी और पिता का नाम अनिल दरयानी है। जब भी कभी अंगद को किसी भी काम में परेशानी आती है, वह परिवार के सदस्यों से मशविरा कर उसका हर ढूंढ लेते हैं।
पूर्व राष्ट्रपति और रतन टाटा भी कर चुके हैं सराहना
अंगद ने जुलाई 2013 से जनवरी 2015 तक कई जरूरी प्रोडक्ट पर काम किया है। इसके लिए उनकी सराहना पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और बिजनेसमैन रतन टाटा भी कर चुके हैं। अंगद ने रतन टाटा से 22 जुलाई, 2013 को मुंबई में जबकि, पूर्व राष्ट्रपति से 25 अक्टूबर 2010 को हैदराबाद में मुलाकात की थी। अंगद एशिया के बड़े ईवेंट टेडेक्स गेटवे और कॉरपोरेट टेडेक्स बेंगलुरू में लोगों को संबोधित कर चुके हैं। इसके अलावा, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में भी वह जा चुके हैं।
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