1.
हिन्दी
ज्ञान मेरे लिए अमृतपान है, जितनी
बार उसे पीता हूं,
उतनी बार लगता हैं, पुनः जीता हूं,। ~ डाँ. ओदेलोन स्मेकल
2.
हिन्दी
हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्त्रोत है | ~ सुमित्रानंदन पंत
3.
कलकता
से लेकर लाहौर तक,
कुमाऊं के पहाडो़ से लेकर
नर्मदा नदी तक,
भारत (तब अविभाजित ) के जिस
हिस्से में भी मुझे काम करना पडा़, मैंने
उसी भाषा का आम व्यवहार देखा। मैं कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक या जावा से सिंधु तक इस विश्वास के साथ यात्रा की हिम्मत कर सकता हूं कि मुझे हर
जगह ऐसे लोग मिल जाएंगे जो हिंदुस्तानी बोल सकते होंगे । ~ सी.टी. मेटकाफ
4.
राष्ट्रीय
व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है | ~ महात्मा गांधी
5.
हिन्दी
उन सभी गुणों से अलंकृत हैं, जिनके
बल पर वह विष्व की साहित्यिक भाषाओं
की अगली श्रेणी में आसीन हो सकती हैं। ~ मैथिलीषरण
गुप्त
6.
प्रांतीय
ईष्र्या-द्वेष को दूर करने में जितनी सहायता हिन्दी के प्रचार-प्रसार से मिलेगी, उतनी दूसरी किसी चिज से नहीं मिल सकती। अपनी प्रांतीय भाषाओं की भरपूर उन्नति कीजिए, उसमें कोई बाधा नहीं डालना चाहता और न हम किसी की बाधा को
सहन ही कर सकते हैं। पर सारे प्रांतो की सार्वजनिक भाषा का पद हिन्दी या
हिंदुस्तानी को ही मिला हैं। ~ सुभाषचंद्र
बोस
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