बुधवार, 10 जून 2015

इनकम टैक्स समस्या को ऐसे करें टैकल!!!


राजस्‍व विभाग के केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने नया और पहले से सरल इनकम टैक्‍स रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म को नोटिफाई कर दिया है। नए फॉर्म में इनकम टैक्‍स रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों को विदेश यात्रा की जानकारी देना या उसके खर्च के बारे में बताना जरूरी नहीं होगा।

साथ ही करदाताओं को राहत देते हुए इनकम टैक्‍स रिटर्न भरने की तारीख को एक महीने बढ़ाकर 31 अगस्‍त, 2015 कर दिया गया है। अगर आप भी इस बार इनकम टैक्स भर रहे हैं तो पहले ये जान ले किन-किन चीजों पर छूट मिल सकती है।




कई बार लोगों को इसके बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण अपनी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा इनकम टैक्स देने में गंवाना पड़ता है।
आइए जानते हैं कौन-कौन सी इनकम पर इस सेक्शन के तहत छूट पाई जा सकती है-

एग्रीकल्चरल इनकम
अगर खेती से किसी भी प्रकार की इनकम प्राप्त होती है तो उस पर कोई टैक्स नही लगता है। यदि व्यक्ति की इनकम खेती के अलावा किसी अन्य तरीके से होती है, तो उसे नॉन एग्रीकल्चरल इनकम माना जाता है, जो टैक्सेबल होती है। हालांकि, नॉन एग्रीकल्चरल इनकम की कैल्कुलेशन करते समय एग्रीकल्चरल इनकम को भी शामिल किया जाता है।

लीव ट्रेवल अलाउंस (LTA)
लीव ट्रेवल अलाउंस के तहत घरेलू यात्राओं में सेक्शन 10(5) के अंतर्गत छूट मिलती है। एक व्यक्ति की सैलरी में लीव ट्रेवल अलाउंस की लिमिट के हिसाब से ही यह छूट मिलती है।
LTA रूल्स के मुताबिक, एम्प्लॉयी और उसकी फैमिली के ट्रैवल खर्च पर चार साल के ब्लॉक में 2 बार टैक्स क्लेम किया जा सकता है। मतलब टैक्स एग्जेम्पशन सिर्फ 2 बार क्लेम किया जा सकता है, भले ही किसी ने कितने भी एम्प्लॉयर्स के साथ इस बीच काम किया हो। इसलिए पुराने एम्प्लॉयर के अनयूज्ड LTA को एक ही ब्लॉक में कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है।

छूट को लेने की अवधि
4 कैलेंडर साल के ब्लॉक में आप एलटीए दो बार ले सकते हैं। इस ब्लॉक की गणना आपकी नौकरी की शुरूआत से नहीं होती, बल्कि यह पूर्व नियत है। पिछला ब्लॉक 1 जनवरी 2010 से शुरू हुआ और यह 31 दिसंबर 2013 को समाप्‍त हुआ। मौजूदा ब्लॉक 1 जनवरी 2014 से शुरू हुआ और यह 31 दिसंबर 2017 को खत्म होगा।

लाइफ इंश्योरेंस
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में लगाई राशि पर सेक्शन 10(10D) के तहत टैक्स में पूरी छूट मिलती है। इसमें मैच्योरिटी अमाउंट और डेथ क्लेम भी शामिल होते हैं।

ग्रेच्युटी
सरकार ने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को मिलने वाली 10 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी राशि को आयकर मुक्त कर दिया। इससे पहले यह छूट 3.5 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी पर लागू थी। इससे ऊपर की राशि पर टैक्स लगेगा। वहीं, सरकारी कर्मचारी द्वारा प्राप्त किए गए ग्रेच्युटी अमाउंट पर टैक्स में पूरी छूट मिलती है। इनके अलावा, जो भी ग्रेच्युटी एक्ट के अंतर्गत आते हैं, उन्हें इनमें से जो सबसे कम हो उसकी छूट मिलती है-

1-आखिरी बार ली गई सैलरी के आधार पर हर साल 15 दिन की सैलरी पर टैक्स में छूट
2- 10 लाख रुपए
3- प्राप्त की गई ग्रेच्युटी

जो लोग ग्रेच्युटी एक्ट के अंतर्गत नहीं आते हैं उन्हें इनमें से जो भी सबसे कम हो उस टैक्स में छूट मिलती है-
1-हर साल की 15 दिन की एवरेज इनकम
2- 10 लाख रुपए
3- प्राप्त ग्रेच्युटी

बकाया छुट्टियों के लिए दी जाने वाली राशि
सेक्शन 10 के तहत एक सरकारी कर्मचारी को रिटायमेंट के समय उसकी बकाया छुट्टियों के लिए दी जाने वाली राशि पूरी तरह से टैक्स फ्री होती है, लेकिन अगर व्यक्ति सरकारी कर्मचारी नहीं है तो फिर इनमें से जो कम हो उस पर टैक्स में छूट मिलती है-
1-अर्न्ड लीव (महीनों की संख्या) को औसत मंथली सैलरी से गुणा करने पर जो राशि आए।
2- औसत मंथली सैलरी को 10 से गुणा करने पर जो राशि आए।
3- 3 लाख रुपए
4- बकाया छुट्टियों के लिए प्राप्त की गई राशि।

कम्युटेड पेंशन
सरकारी कर्मचारियों के लिए कम्युटेड पेंशन पर टैक्स में पूरी छूट मिलती है, लेकिन अगर व्यक्ति सरकारी कर्मचारी न हो तो निम्न में जो सबसे कम हो उस पर छूट मिलती है-
1-अगर प्राप्त की गई ग्रेच्युटी की रकम पेंशन की रकम की एक तिहाई तक है।
2- अगर ग्रेच्युटी नहीं मिली है तो पेंशन की आधी राशि।
VRS के तहत कंपनसेशन
इच्छा से लिए गए रिटायरमेंट (VRS) के तहत प्राप्त राशि पर 5 लाख रुपए तक इनकम टैक्स में छूट मिलती है।

प्रोविडेंट फंड
प्रोविडेंट फंड से प्राप्त हुई राशि पर सेक्शन 10 के तहत इनकम टैक्स में छूट मिलती है। हालांकि, यदि आपने 5 साल से कम की नौकरी से यह राशि प्राप्त की है तो इस राशि पर भी टैक्स लगेगा। साथ ही कर्मचारी प्रोविडेंट फंड (EPF) भी आप कुछ शर्तों को पूरा करने के बाद ही निकाल सकते हैं।
हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
इनमें से जो भी कम हो उस पर टैक्स से छूट मिलती है-
1-प्राप्त किया गया HRA
2- भुगतान किया गया रेंट- सैलरी का 10%
3- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई के लिए सैलरी का 50 प्रतिशत तथा अन्य जगहों के लिए सैलरी का 40 प्रतिशत।

प्राप्त डिविडेंड
किसी कंपनी द्वारा म्यूचुअल फंड या या स्टॉक्स से प्राप्त डिविडेंड पर टैक्स में पूरी छूट मिलती है क्योंकि यहां पर कंपनी टैक्स भरती है।

एक साल से अधिक की इक्विटी पर
कोई भी इक्विटी, शेयर या म्यूचुअल फंड जो एक साल से अधिक तक आपके पास हो उसे बेचते समय टैक्स से छूट मिलती है। इसे लॉंग टर्म कैपिटल गेन भी कहा जाता है।

सामग्री स्रोत:मनीभास्कर 

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