पार्टिसिपेटरी नोट्स क्या है और इन्हें कौन खरीदता है (Pnotes)
पार्टिसिपेटरी नोट्स देश में पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की ओर से विदेशी धनी निवेशकों को जारी किए जाते हैं। इन पी-नोट्स का इस्तेमाल भारतीय बाजार में निवेश के इच्छुक ऐसे विदेशी निवेशक करते हैं, बाजार नियामक के पास खुद को पंजीकृत कराने की लंबी प्रक्रिया से बचना चाहते हैं। ऐसा करने से उनकी पहचान छुपी रहती है।
पार्टिसिपेटरी नोट यानी (पी-नोट) एक तरह का ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट होता है। इन्वेस्टर्स जो सेबी के पास रजिस्ट्रेशन कराए बगैर इंडियन सिक्यॉरिटीज में पैसा लगाना चाहते हैं, वे इनका इस्तेमाल करते हैं। विदेशी इन्वेस्टर्स को, पी-नोट्स सेबी के पास रजिस्टर्ड फॉरन ब्रोकरेज फर्म्स या डोमेस्टिक ब्रोकरेज फर्म्स की विदेशी यूनिट्स जारी करती हैं। ब्रोकर इंडियन सिक्यॉरिटीज (शेयर, डेट या डेरिवेटिव्स) में खरीदारी करते हैं और फीस लेकर उन पर क्लायंट को पी-नोट्स इश्यू करते हैं।
पी-नोट सरकार, सेबी और इन्वेस्टर कम्युनिटी के लिए संवेदनशील मुद्दा है| पी नोट्स के जरिए बनाई गई पोजिशंस फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स के 23,86,457 करोड़ रुपये के एयूएम के11.5% के बराबर यानी 2,75,436 करोड़ रुपये हैं। यह अक्टूबर 2007 में पिछले बुल रन के4,49,613 करोड़ रुपये के पीक का लगभग आधा है। फिर भी सरकार और सेबी को डर है कि पी नोट्स पर पाबंदियों का जिक्र होने पर इन्वेस्टर्स के बीच हाहाकार मच सकता है। पी-नोट्स के ट्रांसफर से फॉरेन पोर्टफोलियो इनफ्लो में गिरावट आ सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) को ब्लैक मनी पर रोकथाम के लिए उपाय सुझाने का जिम्मा दिया गया है। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि सेबी को पी-नोट्स के रियल ओनर्स की पहचान करने और उसके ट्रांसफर पर पाबंदी लगाने के लिए और कदम उठाने चाहिए।
पी-नोट्स इश्यूअर से जानकारी लेने की पावर सेबी के पास पहले से ही है, लेकिन जिन मामलों में कई लेवल पर ट्रांजैक्शन होते हैं, उनमें एंड बेनेफिशरी पी-नोट के पहले खरीदार से अलग हो सकता है। कमिटी को संदेह है कि टैक्स चोर अपनी ब्लैक मनी इंडियन सिक्यॉरिटीज में छिपाने के लिए इस रूट का इस्तेमाल कर रहे हैं। पहले भी इंडियन प्रमोटर्स के अपनी ही कंपनियों पर दांव लगाने के लिए पी-नोट यूज करने की आशंकाएं जताई जाती रही हैं।
पूर्व में पी-नोट्स
सेबी ने 16 अक्टूबर 2007 को डेरिवेटिव्स आधारित पी-नोट्स पर पाबंदी लगाने और FII सब-अकाउंट्स के पी-नोट्स इश्यू करने पर रोक लगाने के प्रस्ताव वाला डिस्कशन पेपर जारी किया था। उसके अगले तीन दिन में इंडियन मार्केट में तेज गिरावट आई थी और 17 अक्टूबर को सेंसेक्स लगभग 9 पर्सेंट टूट गया था। इसके चलते ट्रेडिंग एक घंटे के लिए रोकनी पड़ी थी। फाइनैंस मिनिस्ट्री की तरफ से क्लैरिफिकेशन आने पर मार्केट उसी दिन उभर गया, लेकिन अगले दो दिन 18 और 19 अक्टूबर को मार्केट फिर गिरा।
मार्केट की फिक्र निराधार नहीं थी क्योंकि पी-नोट्स होल्डिंग FII के लगभग आधे एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) के बराबर पहुंच गया था। तब सेबी चीफ एम दामोदरन को तुरंत FII के साथ कॉन्फ्रेंस करके क्लैरिफिकेशन जारी करना पड़ा।
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