रविवार, 30 अगस्त 2015

Collection Of Great Ideas in hindi

महान विचारो का संग्रह 1

 बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है।
- आईजक दिसराली
·                     हम अनमोल वचन ( Priceless Words / Quotes) (अमृत वचन/ सुविचार/ सुवचन/ सत्य वचन/ सूक्ति/ सुभाषित/ उत्तम (उत्‍तम) वाणी/ उद्धरण/ धीर गंभीर मृदु वाक्‍य)उन बातों और लेखों को कहते हैं, जिन्हें संसार के अनेकानेक विद्वानों ने कहे और लिखे हैं, जो जीवन उपयोगी हैं। इन अनमोल वचनों को हम अपने जीवन में अपनाकर अपने जीवन में नई उंमग एवं उत्साह का संचार कर सकते हैं। अनमोल वचन को हम सूक्ति (सु + उक्ति) या सुभाषित (सु + भाषित) भी कहते हैं। जिसका अर्थ है सुन्दर भाषा में कहा गया। इन बातों को अनमोल इसलिए भी कहा जाता हैं क्योंकि यदि हम इन बातों का अर्थ या सार समझेगें, तो हम पायेंगे की इन बातों का कोई मोल नहीं लगा सकता। इन बातों को हम अपने जीवन में अपनाकर अपने जीवन की दिशा को बदल सकते हैं और जीवन की दिशा बदलनें वाली बातों का कभी कोई मोल नहीं लगा सकता हैं क्योकि ये बातें तो अनमोल होती हैं।


·                     वक्ता हो या संत हो, विद्वान हो या लेखक हो, राजनेता हो या फिर कोई प्रशासक अपनी बात कहने के साथ-साथ वह उसे सार-रूप में कहता हुआ एक माला के रूप में पिरोता चलता है। इस सार-रूप में कहे गए वाक्यों में ऐसे सूत्र छिपे रहते हैं, जिन पर चिंतन करने से विचारों की एक व्यवस्थित श्रृंखला का सहज रूप से निर्माण होता है। उस समय ऐसा लगता है मानो किसी विशिष्ट विषय पर लिखी गई पुस्तक के पन्ने एक-एक करके पलट रहे हों।

·                     सूत्ररूप में कहे गए ये कथन आत्मविकास के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। इसीलिए व्यक्तित्व विकास पर कार्य कर रहे अनुसंधानकर्ताओं और विद्वानों का कहना है कि प्रत्येक आत्मविकास के इच्छुक को चाहिए कि वह अपने लिए आदर्शवाक्य चुनकर उसे ऐसे स्थान पर रख या चिपका ले, जहाँ उसकी नज़र ज़्यादातर पड़ती हो। ऐसा करने से वह विचार अवचेतन में बैठकर उसके व्यक्तित्व को गहराई तक प्रभावित करेगा। इन वाक्यों का आपसी बातचीत में, भाषण आदि में प्रयोग करके आप अपने पक्ष को पुष्ट करते हैं। ऐसा करने से आपकी बातों में वजन तो आता ही है लोगों के बीच आपकी साख भी बढ़ती है।

 सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नहीं हो सकती। 
- राबर्ट हेमिल्टन

·                     लोग जीवन में कर्म को महत्त्व देते हैं, विचार को नहीं। ऐसा सोचने वाले शायद यह नहीं जानते कि विचारों का ही स्थूल रूप होता है कर्म अर्थात् किसी भी कर्म का चेतन-अचेतन रूप से विचार ही कारण होता है। जानाति, इच्छति, यततेजानता है (विचार करता है), इच्छा करता है फिर प्रयत्न करता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे आधुनिक मनोविज्ञान भी स्वीकार करता है। जानना और इच्छा करना विचार के ही पहलू हैं । आपने यह भी सुना होगा कि विचारों का ही विस्तार है आपका अतीत, वर्तमान और भविष्य। दूसरे शब्दों में, आज आप जो भी हैं, अपने विचारों के परिमामस्वरूप ही हैं और भविष्य का निर्धारण आपके वर्तमान विचार ही करेंगे। तो फिर उज्ज्वल भविष्य की आकांक्षा करने वाले आप शुभ-विचारों से आपने दिलो-दिमाग को पूरित क्यों नहीं करते।

·                     शब्द ब्रह्म है। भारतीय दर्शकों में शब्द को उत्तम प्रमाण माना गया है। इस संदर्भ में एक अत्यंत प्रचलित कथा का उल्लेख करना यहां युक्तिसंगत होगा। कथा इस प्रकार है दस व्यक्तियों ने बरसाती नदी पार की। पार पहुँचने पर यह जांचने के लिए कि दसों ने नदी पार कर ली है, कोई नदी में डूब तो नहीं गया, एक ने गिनना शुरू किया। उसके अनुसार उनका एक साथी नदी में बह गया था। एक-एक करके सभी ने गिनती की, प्रत्येक का यही मानना था कि कोई बह गया है। सभी उस दसवें व्यक्ति के लिए रोने और विलाप करने लगे। वहाँ से गुज़र रहे एक बुद्धिमान व्यक्ति ने जब उनसे रोने तथा विलाप करने का कारण पूछा, तो उन्होंने सारी बात कह सुनाई। उस व्यक्ति ने उनको एक पंक्ति में खड़ा होने को कहा। जब सब पंक्ति में खड़े हो गए, तब उनमें से एक को बुलाकर उससे गिनने को कहा। उस व्यक्ति ने नौ तक गिनती गिनी और चुप हो गया। तब आगन्तुक ने कहा दसवें तुम होइतना सुनते ही सारा रोना-विलाप करना अपने आप, बिना किसी प्रयास के समाप्त हो गया। आगंतुक ने क्या किया ? उसके शब्दों ने ही रोने-बिलखने को विदाई दिलवा दी।


·                     शंकराचार्य से जब उनके शिष्यों ने पूछा कि इस संसार - चक्र से मुक्त होने का क्या उपाय है, तो उनका जवाब था - केवल विचार ही। इसीलिए प्रत्येक धर्म-संप्रदाय और जाति के महान पुरुषों ने सुझाव दिया कि जिस दिशा में आप अपने व्यक्तित्व को विकसित करना चाहते हैं, उससे संबंधित विचार को आप किसी ऐसी जगह रखे या चिपकाएं, जहां आपकी नज़र बार-बार जाती हो। वाक्य का अर्थ आपके भीतर बूस्टर की सी प्रतिक्रिया करेगा। श्रीमद्भागवद्ग गीता में श्रीकृष्ण ने स्पष्ट कहा कि मनुष्य को स्वयं से स्वयं का उद्धार करना होगा। कोई किसी की अवनति के लिए न तो उत्तरदायी है, न ही कोई किसी की उन्नति में अवरोध पैदा कर सकता है। मंथरा ने कैकेयी में परिवर्तन कैसे किया ? कैसे वहराम के राजा बनने में विरोधी बन गई ? कैसे उसने अपने पति दशरथ की मृत्यु और अपने वैधव्य की परवाह नहीं की ? इन सभी सवालों का जवाब आपको विचारों के परिवर्तन के इर्द-गिर्द ही घूमता मिलेगा।

·                     महापुरुषों के वाक्यों को पढ़ते समय उनके व्यक्तित्व की गरिमा भी आपको प्रभावित करती है, जिससे अचेतन मन वैसा करने या न करने को विवश हो जाता है। इस प्रकार की बेबसी की स्थिति व्यक्तित्व के विकास के लिए अनुकूल वातावरण पैदा करती है, क्योंकि तब आपके मन के पास मनमानी करने का न तो अवसर होता है, न ही सामर्थ्य। अनुभव में एक बात और आई है कि कभी - कभी आपकी ऐसी शंका का समाधान एक छोटा-सा वाक्य कर जाता है, जिसके लिए आप लंबे समय से भटक रहे होते हैं। देखन में छोटे लगें, घाव करें गंभीरवाली इन वाक्यों के साथ लागू होती है। बातचीत करते समय, भाषण देते समय, बहस करते वक़्त या लिखते समय जब आप इन वाक्यों द्वारा अपने कथन की पुष्टि करते हैं तो आपकी बात में वजन आ जाता है, आपके व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने में इनसे सहायता मिलती है।


·                     हमें विश्वास है कि यह संकलन आपके व्यक्तित्व को विकसित कर आपके जीवन में नई स्फूर्ति का संचार करते हुए आपमें आत्मविश्वास पैदा करेगा कि आपसे श्रेष्ठ कोई नहीं है और कौन-सा काम ऐसा है, जिसे आप नहीं कर सकते।  

·                                               तीन बातें
·                      
·                     तीन बातें कभी न भूलें - प्रतिज्ञा करके, क़र्ज़ लेकर और विश्वास देकर।
                                                                                                                                              - महावीर
·                     तीन बातें करो - उत्तम के साथ संगीत, विद्वान् के साथ वार्तालाप और सहृदय के साथ मैत्री।
                                                                                                                                             - विनोबा
·                     तीन अनमोल वचन - धन गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया और चरित्र गया तो सब                  गया।
                                                                                                                                     - अंग्रेजी कहावत
·                     तीन से घृणा न करो - रोगी से, दुखी से और निम्न जाती से।
                                                                                                                                     - मुहम्मद साहब
·                     तीन के आंसू पवित्र होते हैं - प्रेम के, करुना के और सहानुभूति के।
                                                                                                                                            - बुद्ध
·                     तीन बातें सुखी जीवन के लिए- अतीत की चिंता मत करो, भविष्य का विश्वास न करो और वर्तमान को व्यर्थ मत जाने दो।

·                     तीन चीजें किसी का इन्तजार नहीं करती

 - समय, मौत, ग्राहक।
·                     तीन चीजें जीवन में एक बार मिलती है - मां, बांप, और जवानी।

·                     तीन चीजें पर्दे योग्य है - धन, स्त्री और भोजन।


·                     तीन चीजों से सदा सावधान रहिए - बुरी संगत, परस्त्री और निन्दा।

·                     तीन चीजों में मन लगाने से उन्नति होती है - ईश्वर, परिश्रम और विद्या।


·                     तीन चीजों को कभी छोटी ना समझे - बीमारी, कर्जा, शत्रु।

·                     तीनों चीजों को हमेशा वश में रखो - मन, काम और लोभ।


·                     तीन चीजें निकलने पर वापिस नहीं आती - तीर कमान से, बात जुबान से और प्राण शरीर से।

·                     तीन चीजें कमज़ोर बना देती है - बदचलनी, क्रोध और लालच।


·                     तीन चीज़े असल उद्धेश्य से रोकता हैं - बदचलनी, क्रोध और लालच।

·                     तीन चीज़ें कोई चुरा नहीं सकता - अकल, चरित्र, हुनर।


·                     तीन व्यक्ति वक़्त पर पहचाने जाते हैं - स्त्री, भाई, दोस्त।

·                     तीनों व्यक्ति का सम्मान करो - माता, पिता और गुरु।


·                     तीनों व्यक्ति पर सदा दया करो - बालक, भूखे और पागल।

·                     तीन चीज़े कभी नहीं भूलनी चाहिए - कर्ज़, मर्ज़ और फर्ज़।


·                     तीन बातें कभी मत भूलें - उपकार, उपदेश और उदारता।

·                     तीन चीज़े याद रखना ज़रुरी हैं - सच्चाई, कर्तव्य और मृत्यु।


·                     तीन बातें चरित्र को गिरा देती हैं - चोरी, निंदा और झूठ।

·                     तीन चीज़ें हमेशा दिल में रखनी चाहिए - नम्रता, दया और माफ़ी।


·                     तीन चीज़ों पर कब्ज़ा करो - ज़बान, आदत और गुस्सा।

·                     तीन चीज़ों से दूर भागो - आलस्य, खुशामद और बकवास।


·                     तीन चीज़ों के लिए मर मिटो - धेर्य, देश और मित्र।

·                     तीन चीज़ें इंसान की अपनी होती हैं - रूप, भाग्य और स्वभाव।


·                     तीन चीजों पर अभिमान मत करो ताकत, सुन्दरता, यौवन।

·                     तीन चीजें अगर चली गयी तो कभी वापस नहीं आती - समय, शब्द और अवसर।


·                     तीन चीजें इन्सान कभी नहीं खो सकता - शान्ति, आशा और ईमानदारी।

·                     तीन चीजें जो सबसे अमूल्य है - प्यार, आत्मविश्वास और सच्चा मित्र।


·                     तीन चीजे जो कभी निश्चित नहीं होती - सपनें, सफलता और भाग्य।

·                     तीन चीजें, जो जीवन को संवारती है - कड़ी मेहनत, निष्ठा और त्याग।


·                     तीन चीजें किसी भी इन्सान को बरबाद कर सकती है - शराब, घमन्ड और क्रोध।

·                     तीन चीजों से बचने की कोशिश करनी चाहिये बुरी संगत, स्वार्थ और निन्दा।


·                     कोई भी कार्य करने से पहले सोचो, समझो, फिर करो।

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