गुरुवार, 30 जनवरी 2014

घर से दफ्तर तक खुद को साबित करती महिलाएं


                       

इंदिरा गांधी और किरण बेदी से लेकर चंदा कोचर और प्रतिभा पाटिल तक, महिलाएं घर की तमाम जिम्मेदारियों के बावजूद हर जगह अपनी काबिलियत का लोहा मनवाने में कामयाब रही हैं। महिलाओं ने पुरुष प्रधान समाज की बंदिशों के बीच यदि कुछ कर दिखाया है तो उसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और जज्बे का हाथ है। वह न केवल काबिल है बल्कि बेहद जिम्मेदार और काम के प्रति निष्ठावान है। साथ ही कारपोरेट दफ्तरों का तनाव और दबाव ङोलते हुए भी बेहतर काम करके देना उसकी खासियत है। कई ऐसे गुण हैं महिलाओं में जिसके कारण आज नियोक्ता उन्हें प्राथमिकता देते हैं।
बेहतर होता है ऑफिस का माहौल ऑफिस में यदि पुरुषों के साथ महिलाएं भी काम करती हैं तो माहौल काफी अच्छा रहता है। कोई भी कर्मचारी कुछ बोलने या करने से पहले यह सोचता है कि महिलाएं भी मौजूद हैं। जिसके कारण माहौल में शालीनता बनी रहती है और इससे काम का स्तर भी बेहतर बनता है।
जिस जगहों पर केवल पुरुष काम करते हैं वहां पर कई बार सीनियर्स की अनुपस्थिति में कर्मचारी कुछ भी बोल जाते हैं लेकिन महिलाओं के भी वहां काम करने से सब मर्यादित रहते हैं और अपने काम पर ज्यादा ध्यान लगाते हैं।
ईमानदार होती हैं महिलाएं कई शोध भी इस बात को साबित कर चुके हैं कि महिलाएं पुरुषों से काम और व्यवसाय के मामले में ज्यादा ईमानदार होती हैं। उनके स्वभाव की इस विशेषता ने भी उन्हें कार्यक्षेत्र में बेहतर मुकाम दिलवाया है। ईमानदार लोग हर कंपनी में पसंद किए जाते हैं। भ्रष्टाचार से दूर और अपने काम के प्रति ईमानदार रहने वाली महिला हर संस्थान की जरूरत होती है। इसलिए भी उन्हें संस्थानों में वरीयता दी जाती है।
काम के प्रति समर्पित अपने काम को लेकर महिलाओं में समर्पण का जज्बा पुरुषों की तुलना में काफी बेहतर होता है। इससे कई बार घंटों काम करके भी उनकी दक्षता बनी रहती है और वे खुशी- खुशी काम को पूरा करके ही छोड़ती हैं। इसके विपरीत पुरुषों को ज्यादा काम का दबाव होने पर गुस्सा आने लगता है, जिससे उनका काम प्रभावित होता है।
जिम्मेदारी का गुण महिलाएं प्राकृतिक तौर पर जिम्मेदार होती हैं। घर के साथ ही उनके स्वभाव का यह गुण उनके दफ्तर में भी दिखाई देता है। वे बेहद सहज और सजग तरीके से अपनी जिम्मेदारी को पूरा करती हैं। जो भी उनका काम है, वह उससे दूर नहीं भागतीं और न ही किसी और के ऊपर छोड़ती हैं। इससे उनकी कार्य दक्षता भी अच्छी बनी रहती है।
तिनका-तिनका जोड़कर किसी मकान को घर की शक्ल देने वाली औरत आज समाज के संकीर्ण दायरे से निकलकर दुनिया की दशा और दिशा तय कर रही है। वह न केवल एक अच्छी बहू, प्यारी पत्‍नी और जिम्मेदार मां है बल्कि वह देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में बड़ी भूमिका निभा रही है। अपनी मेहनत से उसने हर तरफ सफलता के कीर्तिमान रचे हैं। सरकारी संस्थाओं से लेकर बड़े-बड़े कारपोरेट कंपनियों में महिलाओं को वरीयता दी जा रही है, तवज्जो मिल रही है। लेकिन इस तवज्जो को उसने हासिल किया है अपनी कार्यकुशलता, निपुणता और काम के प्रति समर्पण से। उसने अपनी दोहरी जिम्म्ेादारियों के बीच खुद को स्थापित व साबित कर दिखाया है। प्रस्तुत है स्मिता सिंह की रिपोर्ट:
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Source – KalpatruExpress News Papper

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