बच्चे छोटे
हैं, इसलिए उन्हें
पैसों का हिसाब-किताब कैसे पता होगा, बड़े होने पर खुद ही सीख जाएंगे। या फिर पास की दुकान से आपने अपने नन्हे को
कुछ खरीदने भेज दिया और यह बताया नहीं कि चीज कितने की है और कितने पैसे वापस
आने हैं? बेहतर है
बच्चों को छोटी उम्र से ही न केवल पैसे का महत्त्व बताना शुरू किया जाए बल्कि
उसे पैसों की पहचान भी कराई जाए, जिससे वह छोटी-छोटी चीजों की खरीदारी करना तो सीखे, साथ ही बचत करना भी सीखता जाए।
दें बुनियादी
जानकारी लगभग 5-7 साल की उम्र
में बच्चे नंबरों की पहचान करना सीख जाते हैं। उन्हें रुपए और सिक्के की
बुनियादी जानकारी होनी बहुत जरूरी है। उसे अलग-अलग नोट एवं सिक्के दिखाकर पहचान
कराएं कि कौन-सा नोट 10 रुपए का है तो
कौन सा 100 रुपये का, कौन-सा सिक्का एक रुपये का है और कौन-सा 10 रुपये का। यही नहीं, उसे उस करंसी पर लिखी हुई संख्या पढ़ने को
कहें ताकि उसे यह सब याद रहे। उससे जबरदस्ती न करें क्योंकि बच्चे दबाव में आकर
कुछ नहीं सीखते। उसे नोट और सिक्कों को क्रमवार अलग-अलग रखने के लिए कहें या फिर
उसे नोटों में से कोई एक संख्या बताकर छांटने को कहें।
बचत करना
सिखाएं इसी उम्र से उसे बचत करना भी सिखाएं। उसे एक आकर्षक पिग्गी बैंक ला दें
ताकि वह उसमें सिक्के जमा कर सके या फिर उसकी पॉकेट मनी से बचे व रिश्तेदारों से
मिले पैसे मिलें उन्हें अपनी गुल्लक में डालना सीख सके। सात साल की उम्र से उसे
पॉकेट मनी देना शुरू करें और बताएं कि वह अपनी चॉकलेट, चिप्स एवं आइसक्रीम इन्हीं पैसों से
खरीदेगा और चाहे तो इनमें से कुछ पैसे बचाकर वह पिग्गी बैंक में डाल सकता है।
इसके अलावा
उसे सिखाएं कि कुछ खरीदते समय उसे पैसों का हिसाब-किताब कैसे करना है। यदि वह
सारी पॉकेट मनी एक साथ खर्च कर दे तो उसे और पैसे न दें।
निर्धारित
अवधि पर ही उसे पॉकेट मनी दें। इससे उसमें संभल कर खर्च करने की आदत बनेगी तथा
वह पैसे के महत्त्व को भी समझना शुरू करेगा।
सिखाएं सामान
खरीदना नौ से 12 साल की उम्र
तक बच्चे काफी समझदार हो जाते हैं इसलिए घर का छोटा-मोटा सामान या अपने लिए
कॉपी-पेंसिल जैसी चीजें खरीदने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपें। इससे उन्हें जहां
जिम्मेदारी का एहसास होगा वहीं वे यह जान जाएंगे कि कोई सामान कैसे खरीदना है
तथा पैसों का हिसाब-किताब किस प्रकार करना है। बच्चा यदि आपके काम में मदद कर
रहा है तो आप उसकी पॉकेट मनी में थोड़े और पैसे जोड़ कर दें कि यह तुम्हारे
द्वारा की गई मदद का इनाम है, लेकिन तुम इन्हें पिग्गी बैंक में डालोगे तो तुम्हारे पास एक दिन काफी पैसे
हो जाएंगे, जिससे तुम कोई
बड़ी और बेहतरीन चीज खरीद सकते हो। बैंक में उसका अकाउंट भी खुलवा सकते हैं।
सिखाएं बजट
बनाना 15 साल की उम्र
में बच्चे को बजट के बारे में जानकारी दें। उसे आप एक रजिस्टर या डायरी लाने तथा
शाम को उसमें अपने दिन भर के खर्चे का ब्योरा लिखने को कहें।
सप्ताह में एक
बार उससे इस बारे में बात करें कि उसने इस सप्ताह अपनी पॉकेट मनी किस प्रकार
खर्च की, कौन-सा खर्च
सही था तथा कौन-सा फिजूल खर्च था।
यदि आप उसे इन
सब की जानकारी नहीं देते हैं तो वह अपने दोस्तों की देखा-देखी कई फरमाइशें ऐसी
रख सकता है, जिन्हें पूरा
करना आपके लिए संभव नहीं होगा क्योंकि वह तो यही जानता होगा कि आपके पास खूब
पैसे हैं, जिससे वह कभी
भी, कुछ भी ले
सकता है। बजट की जानकारी उसे एक जिम्मेदार इंसान बनने में मदद कर सकती है।
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Source –
KalpatruExpress News Papper
|
OnlineEducationalSite.Com
बुधवार, 12 मार्च 2014
बच्चों को सिखाएं रुपयों का लेन-देन
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