एक व्यापारी
को एक वर्ष दस लाख के मुनाफे का भरोसा था। लेकिन सिर्फ दो लाख रुपये का मुनाफा हुआ।
वह बहुत दुखी हुआ। उसकी पत्नी ने समझते हुए कहा- हमें एक पैसे का भी घाटा सहन
नहीं करना पड़ा है।
जो लाभ हुआ है, उसे हमें खुशी से स्वीकार करना चाहिए। इस
धरती पर अनगिनत ऐसे लोग हैं जो जीवन में एक लाख रुपये कभी देख तक नहीं पाते।
उनकी तुलना में हम सुखी और समृद्ध हैं। आप बेवजह दुखी हो रहे हैं।
पत्नी के
समझने से पति का मन हल्का हो गया। हर इंसान में गुण- अवगुण दोनों होते हैं।
हमारा चिंतन गुणों की ओर रहना चाहिए। इससे शांति और प्रसन्नता होती है। दुख को
सुख में बदलने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास बहुत जरूरी है। एक ही
परिस्थिति और घटना को दो व्यक्ति अलग-अलग तरह से ग्रहण करते हैं। जिसका चिंतन
विधायक होता है, वह अभाव को भी
भाव तथा दुख को भी सुख में बदलने में सफल हो सकता है। जिसका विचार निषेधात्मक
होता है, वह सुख को भी
दुख में बदल देता है।
एक पर्व के
दिन एक विद्यार्थी ने मां से कहा- आज धर्मस्थान में मेरे सभी साथी नए कपड़े
पहनकर आएंगे, मैं भी नए
कपड़े पहनूंगा। उसका आग्रह देखकर मां की आंखों में पानी आ गया। उसने कहा- हम
गरीब हैं।
दो समय की
रोटी की भी समस्या है। ऐसे में नए कपड़े पहनना संभव नहीं है। बच्चा मां के उत्तर
से निराश और दुखी हुआ। वह अनमने भाव से मां के साथ धर्मस्थल में गया। वहां उसका
ध्यान कपड़ों की ओर लगा था।
उपासना में
उसका मन बिल्कुल नहीं लगा। जब वह बाहर आया तो उसने वहां बैठे एक भिखारी को देखा।
वह लूला-लंगड़ा था, फिर भी मस्ती
से मधुर भजन गा रहा था। बच्चा मां के साथ वहां भजन सुनने खड़ा हो गया।
जब भिखारी का
गाना पूरा हुआ तो वह उसके पास गया और बोला- तुम अपंग हो, फिर भी इतनी मस्ती से कैसे गा रहे हो? तुम्हारे चेहरे पर इतनी खुशी कैसे है? भिखारी ने उत्तर दिया-भैया! जो मेरे पास
नहीं है, मैं उस ओर
ध्यान नहीं देता। जो मेरे पास है, उसका मैं पूरा महत्त्व समझता हूं। मेरी आंखें अच्छी हैं, मेरा दिमाग अच्छा है, मुङो गला भी मधुर मिला है, मेरी पाचन-शक्ति भी अच्छी है। ऐसे में मेरे
लिए दु:ख और विषाद का सवाल ही नहीं है।
भिखारी के
विचारों से लड़के के भी विचार बदल गए। उसने सोचा- इसके हाथ-पांव नहीं हैं। फिर
भी यह दु:खी नहीं है। मैं कपड़ों को लेकर दु:खी हो गया था। मुङो अब हर स्थिति
में सकारात्मक चिंतन का विकास करना है। अभाव को भी भाव तथा दु:ख को भी सुख में
बदलना सीखना है।
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Source –
KalpatruExpress News Papper
|
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शनिवार, 8 मार्च 2014
दुख को सुख में बदलें
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