गुरुवार, 6 मार्च 2014

इंजीनियरिंग के बाद क्यों करें एमबीए




आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में केवल लकीर का फकीर बनकर नहीं रहा जा सकता है। पुराने समय की बात और थी जब ज्यादा प्रतियोगिता ज्यादा कठिन नहीं हुआ करती थी और मैनेजमेंट कैडर तक जाना आसान हुआ करता था। आज के बदलते परिदृश्य को देखते हुए केवल इंजीनियरिंग की डिग्री के सहारे ही अपने कार्यक्षेत्र में सफलता पाना आसान नहीं है। इंजीनियरिंग के बाद मैनेजमेंट की डिग्री पाने का खयाल बहुत कम लोगो को आता है, पर ये वो लोग हैं, जो कम समय में ज्यादा पाने की इच्छा रखते हैं तथा अपने कार्यक्षेत्र में मैनेजमेंट कैडर तक बहुत ही जल्दी पहुंचना चाहते हैं। कहते हैं, परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है और आज के दौर में लोगों में अधिकाधिक डिग्री बटोरने का चलन बढ़ गया है। वे करियर को शीघ्र ही बुलंदियों तक पहुंचना चाहते हैं।
ऐसे लोग बहुत कम होते हैं पर यह भी सत्य है की कम समय में अधिक सफलता भी कम लोगों को ही मिलती है।
क्या आप जानते है की आईआईटी जैसे शीर्ष प्रतिष्ठित संस्थानों से इंजीनियरिंग की डिग्री पाने वाले कैंपस प्लेसमेंट के लुभावने ऑफर को ठुकराकर एमबीए में एडमिशन पाने को ज्यादा समझदारी मानने लगे हैं। एक दूसरा कड़वा सच यह है कि आईआईएम या अन्य प्रतिष्ठित एमबीए संस्थानों में एडमिशन पाने वालों में 67 प्रतिशत से अधिक अच्छे कालेजों से निकले इंजीनियर होते है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? इसका सीधा व सरल-सा जबाब है कि किसी भी इंजीनियर को तरक्की पाकर मैनेजमेंट कैडर तक पहुंचने में लम्बा समय लगता है, जबकि साथ में यदि एमबीए की डिग्री है तो जूनियर मैनेजमेंट कैडर से ही शुरुआत करने का मौका मिल जाता है। इस प्रकार कम समय में मैनेजमेंट के शीर्ष पद पर पहुंचना आसान हो जाता है।
तकनीकी रूप से सक्षम लोगों की उपयोगिता निरंतर बढ़ती जा रही है। कोई भी ग्राहक किसी सेल्समैन से तब ज्यादा संतुष्ट होता है, जब वह प्रोडक्ट की जानकारी के साथ उसके तकनीकी पहलुओं को भी समझता है। अत: इंजीनियरिंग बैकग्राउंड बाले एमबीए डिग्री धारकों की सेवाएं मार्केटिंग में लेने से ज्यादा बेहतर नतीजे आते हैं। साथ ही साथ ऐसे लोगों को प्रोडक्शन से जुड़े लोग गलत जानकारी देकर गुमराह भी नहीं कर सकते तथा ऐसे लोग मैनेजमेंट के निर्णय ज्यादा आसानी से व बेहतर तरीके से ले सकते हैं।
भारत की सरपट दौड़ती अर्थव्यवस्था को अभी भी काबिल इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले एमबीए डिग्री धारकों की आवश्यकता है। इसलिए यह और भी आवश्यक हो जाता है कि छात्र अच्छे कॉलेजों का चुनाव करें। लेकिन परेशान करने वाली बात यह है, कि अच्छे कॉलेजों की तलाश अब इतनी आसान नहीं रही है। समझ नहीं आता की सदियों पुराने ऐसे सरकारी कॉलेजों में दाखिला लें जिनकी साख अच्छी हो और फीस भी कम अथवा तड़क-भड़क वाले उन प्राइवेट कॉलेजों को चुनें जो अपनी आधुनिक सुविधाओं का जमकर प्रचार कर रहे हैं। कई तरह के एंट्रेंस टेस्ट, नई - नई ब्रांच और दोहरी डिग्री जैसे विकल्प छात्रों की दुविधा को और बढ़ा देते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए आप किसी करियर काउंसलर से भी विचार-विमर्श कर सकते हैं।
प्रमुख एंट्रेंस - कैट , मैट, जैट आदि।
प्रमुख संस्थान - आईआईएम, एएमयू, सिम्बिऑसिस,बीएचयू दिल्ली यूनिवर्सिटी आदि।
डॉ. वीपी सिंह भदौरिया कैरियर काउंसलर
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Source – KalpatruExpress News Papper

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