एक बार एक
मित्र ने दूसरे से पूछा, कोई ऐसा प्रभावशाली उपाय या सूत्र बतलाइए जिससे जीवन
में हर प्रकार की गुणवत्ता
में वृद्धि संभव हो सके। काश ऐसा कोई बना- बनाया सूत्र हम सब के
हाथ भी लग जाए
जिससे हमारा जीवन बेहतर हो जाए। मित्र ने कहा, करना कुछ नहीं है, बस झूठ
बोलना, चोरी करना और जो भी मिले उसे धोखा देना
शुरू कर दो। जीवन में सफलता और समृद्धि
का द्वार खुल जाएगा। पहला मित्र गंभीर
हो गया और बोला, ये कैसा
उपाय हुआ? झूठ बोलना,
चोरी करना और लोगों को धोखा देना तो
सरासर गलत व अनैतिक है। यदि झूठ बोलना, चोरी
करना और लोगों को धोखा देना गलत है
तो फिर सही क्या है? दूसरे ने
पूछा। पहले ने कहा, झूठ
न बोलना, चोरी न करना और लोगों को धोखा न देना ही
सही है। दूसरे ने पूछा कि क्या आज से
पहले आपको इन सब गलत और सही बातों का पता
था? तो पहले
मित्र ने बताया कि सब जानते
हैं कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है।
हम सब अच्छा
बनना चाहते हैं। इसके लिए अच्छी शिक्षा प्राप्त करते हैं। अच्छी-अच्छी पुस्तकें
पढ़ते हैं। धर्म, अध्यात्म और
नीति विषयक ग्रंथों का अध्ययन करते हैं।
किसी सिद्ध
पुरुष को खोजकर उसे गुरु बनाते हैं। दीक्षा लेते हैं। नियमित सत्संग में जाते
हैं।
जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए आजकल अनेक प्रेरणादायी आयोजन भी होते
हैं। लेकिन
हमें केवल अच्छी पुस्तकें पढ़ना, गुरु बनाना, दीक्षा लेना, सत्संग करना,
प्रेरक
आयोजन व प्रयोग करना, सब छोड़ना
होगा। हमें अच्छी बातों के बारे में जानने की बजाय
अच्छी बातें करनी होंगी। सच
बोलने या ईमानदारी पर कितनी किताबें पढ़ेंगे? कितने आयोजन में
भाग लेंगे? कितने सत्संग करेंगे? कोई अंत नहीं है।
व्यवहार में
परिवर्तन करना होगा, अच्छी आदतों
को अपने व्यवहार में लाना होगा, तभी ज्ञान
सार्थक हो सकेगा।
बुरी बातों
की तरह ही अच्छी बातों की भी तो सीमा नहीं होती। केवल एक अच्छी बात, भाव या
आदत चुनकर जीवन में उतार लीजिये।
सच बोलना है तो सच को जीवन में उतार लीजिये। शब्दों
में नहीं, व्यवहार में ले आइये।
सच बोलेंगे
तो झूठ नहीं बोलेंगे। सच बोलेंगे तो बेईमानी भी नहीं करेंगे, दूसरों को धोखा देना भी
संभव नहीं होगा।
बहानेबाजी
की जरूरत भी नहीं रह जाएगी। इस तरह ‘एकै साधे सब सधै’ यानी एक के
साधने से
सभी की साधना हो जाएगी। एक अच्छी आदत दूसरी सभी अच्छी आदतों का विकास
कर देती है
और एक बुरी आदत असंख्य बुरी आदतों का। इसलिए सही आदत या आदतों के
चयन में ही
निहित है हमारा वास्तविक विकास। जीवन में सच को या अन्य किसी एक
सकारात्मक बात, भाव
या आदत
को साध लीजिए। बाकी सब सकारात्मक बातें, भाव, आदतें या मूल्य स्वयं सध जाएंगे।
जीवन की
गुणवत्ता में सुधार आ जाएगा।
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें