शनिवार, 31 मई 2014

न दें बच्चों को बुरी आदतें



माता-पिता अपने बच्चे की पहली पाठशाला होते हैं और आदर्श भी, इसीलिए मां-बाप का व्यवहार 
और उनकी आदतें बच्चे के व्यक्तित्व को निखारने में काफी हद तक असर डालती हैं। आपकी 
छोटी सी बेटी आपकी साड़ी लपेट कर मेकअप करने की कोशिश करती है या फिर बेटा पेंटिंग 
करने के चक्कर में आड़ी-तिरछी रेखाएं खींचते हुए अपने कपड़े और फर्श खराब करता है तो आप 
उन्हें सीखते हुए देख काफी खुश होती हैं। जब आपके वही प्यारे-प्यारे बच्चे गलत आदतों का 
शिकार हो जाएं तो आप को समझ नहीं आता कि क्या करें और ऐसे में आप कुछ गलतियां कर 
जाती हैं :
गलत भाषा का प्रयोग-
कई बार बच्चों को डांटते समय गुस्से में हमारे मुंह से कुछ गलत शब्द निकल जाते हैं। बार-बार 
उन अपशब्दों के प्रयोग का बच्चों पर गलत असर पड़ता है। वे भी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने 
लगते हैं।
अपशब्दों से बचें-
 बच्चों के सामने अपशब्द कहने से बचें। अगर गलती से ऐसा कुछ हो जाए तो उन्हें प्यार से 
समझएं कि आपने गलती से गुस्से में यह शब्द बोला है और आगे से ऐसे शब्दों का इस्तेमाल 
नहीं करेंगी अगर बच्चा बाहर से कोई भी गलत शब्द सीखकर आता है तो भी उसे प्यार से उसका 
इस्तेमाल दोबारा न करने को कहें।
बात-बात पर गुस्सा करना-
 कई बार हम बच्चों की मौजूदगी में ही किसी न किसी से लड़ना या किसी पर गुस्सा करना शुरू 
कर देते हैं। इतना ही नहीं, बच्चों की मस्ती करने पर भी उन्हें डांट देते हैं। आपको बात-बात पर 
गुस्सा करते देख बच्चे भी वही सीखते हैं। नतीजा यह होता है कि वे अपने भाई या बहन से बात 
करते समय चीखने िचल्लाने जैसी हरकतें करने लगते हैं।
आदतें बदलें-
 अपनी आदतें बदलने की कोशिश करें। गुस्सा हर इंसान को आता है लेकिन आप उनके सामने 
शांत दिमाग से काम लें। बच्चों को ऐसी कहानियां सुनाएं, जिनमें बुरा व्यवहार करने वालों का बुरा
 अंत हुआ हो। इस प्रकार बच्चे समझ जाएंगे कि ऐसा व्यवहार करना सही नहीं होता।
टीवी से चिपके रहना-
 अधिकतर मांएं बच्चों को ज्यादा टीवी न देखने की नसीहत देते हुए खुद सारा समय सास बहू के 
सीरियल देखती रहती हैं। मां की देखादेखी जब बच्चे भी टीवी देखने लगते हैं, तो उन्हें पढ़ने की 
सलाह दे दी जाती है। ऐसे में बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता और वे मां से छुप कर टीवी 
देखने लगते हैं।
क्या है सही-
 बच्चों को टीवी न देखने की सीख देने से पहले स्वयं को बदलें। अपनी टीवी पर चिपके रहने की 
आदत पर नियंत्रण रखें। उन्हें एक डेढ़ घंटा टीवी देखने दें और इस बात को फन टाइम से जोड़ने 
की कोशिश करें। यह ध्यान रखें कि बच्चे क्या देख रहे हैं। हो सके तो उनके साथ बैठे और 
बीच-बीच में उनसे बातें करती रहें।
जंक फूड अधिक खाना-
 कई मांओं की आदत होती है कि बाजार में चाट-पकौड़े, समोसे, पेस्ट्री या केक देख कर वे स्वयं 
पर कंट्रोल नहीं रख पातीं। जब आपका बच्चा ऐसी चीजों की फरमाइश करता है तो आप उसे दस 
 तरह की स्वास्थ्य से संबंधित बातें सुनाकर खाने से मना कर देती हैं। बच्चों को तो जंक फूड 
वैसे ही बहुत पसंद होता है और वे आप से छुप कर स्कूल में या किसी ठेले वाले से जंक फूड 
खाने लगते हैं।
सही-गलत-
 पहले अपनी आदत पर रोक लगाएं। बच्चों को जंक फूड से होने वाले बुरे प्रभावों के बारे में 
बताएं। उन्हें घर पर चाट, समोसे, बर्गर व पिज्जा जैसी चीजें बना कर दें। कभी-कभार बाहर खाने 
में कोई नुक्सान नहीं लेकिन जंक फूड के प्रति दीवानगी न रखें।
आलसीपन, झूठ बोलना व चुगली करना-
 ठीक है कि दिन भर घर के कामों से आप थक जाती हैं। बच्चों के स्कूल से आने पर प्यार से 
उन्हें खाना खिलाती हैं और होमवर्क भी कराती हैं पर कभी- कभी बच्चे कुछ ऐसी मांग कर देते हैं 
कि आप खीझ कर कह देती हैं कि मैं तो बहुत थक गई हूं। मुझ से यह काम नहीं होगा। उसी 
दौरान आप फोन या पड़ोसन से किसी न किसी की चुगली करने लगती हैं। कई बार बातों-बातों 
में आप झूठ भी बोल देती हैं। इन सभी बातों को बच्चे बड़ी गंभीरता से लेते हैं और उनके मन 
पर ऐसी बातों का असर भी पड़ने लगता है।
अपनी इमेज अच्छी रखें-
 बच्चों के सामने अपनी इमेज अच्छी रखें। उन्हें अच्छा साहित्य पढ़ने को दें।
बच्चों के हर काम को उनके साथ मिलकर पूरे मन से करें। इससे उन्हें सुरक्षा का एहसास होगा 
और वे अपनी हर बात आपसे कह पाएंगे।
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Source – KalpatruExpress News Papper










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