कई बार ऐसा
देखा जाता है कि चोट लगने पर बहुत देर तक खून बहना बंद नहीं होता है। खून
बहने
की गति भले ही सामान्य हो लेकिन यह समस्या सामान्य नहीं है। अधिक देर तक खून
बहना
हीमोफीलिया नामक बीमारी का संकेत है, इससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
हालांकि यह रोग
बचपन से ही होता है लेकिन ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी
युवावस्था में होती है।
हीमोफीलिया फेडरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 65,000 से अधिक हीमोफीलिया
के रोगी हैं लेकिन
जागरूकता की कमी के कारण सिर्फ 12,500 ही इलाज करा रहे हैं। इस रोग के
विषय में
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जया भवनानी से रिया तुलसियानी की बातचीत पर आधारित
रिपोर्ट.. डॉ. जया भवनानी
हीमोफीलिया एक
ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति के शरीर में फैक्टर आठ और नौ (एक प्रकार का
प्रोटीन)
की कमी से रक्त का थक्का नहीं जमता है और चोट लगने या अन्य किसी कारण से
रक्तस्नव होने पर रक्त बहना जल्दी बन्द नहीं होता है। इस फैक्टर को ‘क्लॉटिंग फैक्टर’ के नाम
से भी जाना जाता है। इस फैक्टर की
कमी रक्त का थक्का जमने की प्रक्रिया को धीमा करती है।
अधिक समस्या तब उत्पन्न
होती है जब रक्तस्नव अंदरूनी हो। ज्यादातर घुटने, कोहनी और एड़ी के
जोड़ों से रक्तस्नव होने की संभावना रहती है। इन जोड़ों से
अधिक खून बह जाने के कारण तेज
दर्द, सूजन, विकलांगता
अथवा मृत्यु का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है।
हीमोफीलिया
मुख्यत: आनुवंशिक रोग माना गया है। यह रोग माता या पिता के वाहक होने पर
बच्चों
में पाया जा सकता है। कुल रोगियों में से एक तिहाई रोगी ऐसे हैं जिनमें परिवार
के अन्य
सदस्यों में यह रोग न होने के स्थिति में भी बच्चे इस रोग से ग्रसित हो
सकते हैं।
यदि पिता
हीमोफीलिया से ग्रसित है और मां स्वस्थ है तो बच्चों में बेटों को कोई खतरा नहीं
होता
है लेकिन बेटियां कैरियर हो सकती हैं। यदि मां कैरियर है और पिता स्वस्थ है
तो हर बच्चे में
यानी बेटों में 50 फीसदी हीमोफीलिया का खतरा बेटियों में 50 फीसदी कैरियर होने का खतरा हो
सकता है।
हीमोफीलिया के
लक्षण-
1- शरीर में जगह-जगह नीले दाग दिखाई देना।
2- बिना किसी कारण के अंदरूनी रक्तस्नव होना।
3- दांत निकलवाने, सजर्री, ऐक्सीडेंट या
किसी प्रकार का कट लगने पर बहुत देर तक रक्तस्नव होना
र किसी गंभीर सदमे के बाद
अत्यावश्यक या प्राणाधार अंगों में रक्तस्नव हो जाना।
4- सिर में तेज दर्द होना।
5- हर
चीज दो दिखाई देना।
6- बिना किसी कारण के नाक से खून बहना।
7- चलने में दिक्कत होना।
8- गर्दन में दर्द और चक्कर आना।
9- अचानक कमजोरी का अहसास होना।
10- सूजन से हाथों और पैरों का बेडौल हो जाना।
11- बार-बार उल्टी होना।
12- खाते समय दांत से काटने पर मुंह से खून बहना।
जोड़ों में
रक्तस्नव के लक्षण-
1- बिना किसी दर्द के जोड़ों में खिंचाव महसूस
होना।
2- जोड़ों में सूजन और बहुत गर्म हो जाना।
3- जोड़ों में तेज दर्द।
हीमोफीलिया के
प्रकार
- हीमोफीलिया दो प्रकार का होता है, ए और बी। हीमोफीलिया ए रक्त में पाए
जाने वाले फैक्टर
आठ और हीमोफीलिया बी फैक्टर नौ की कमी से होता है। जांच के
माध्यम से रक्त का थक्का
जमने में लगने वाले वक्त से हीमोफीलिया ए है या बी, का पता लगाया जा सकता है। ज्यादातर
मरीजों
में हीमोफीलिया ए ही पाया जाता है। यदि मां हीमोफीलिया कै रियर है तो गर्भावस्था
के
दौरान नौ से ग्यारह हफ्तों के बीच जांच कराई जा सकती है। जांच में यदि बच्चा
हीमोफीलिया से
ग्रसित हो तो मां-बाप बच्चे के जन्म के विषय में पुनर्विचार कर
सकते हैं।
हीमोफीलिया की
गंभीरता-
रक्त का थक्का जमने में लगने वाले वक्त से
हीमोफीलिया की गंभीरता का पता लगाया जा
सकता है। आमतौर पर थक्का जमने की गति या
क्लॉटिंग फैक्टर आठ और नौ की गति 50-150
फीसदी होती है लेकिन माइल्ड हीमोफीलिया में
पांच से तीस फीसदी, जिसमें आमतौर
पर रक्तस्नव
नहीं होता है लेकिन कोई गहरा घाव होने पर रक्तस्नव हो भी सकता है।
मॉडरेट में एक
से पांच फीसदी जिसमें महीने में एक बार रक्तस्नव हो सकता है या फिर कोई चोट
या
सजर्री होने पर बहुत देर तक रक्तस्नव होता रहता है। जबकि सीवियर में एक फीसदी से
भी
कम की गति होती है जिसमें कभी-कभी बिना किसी कारण के रक्तस्नव हो सकता है या
फिर प्राय:
मांसपेशियों और जोड़ों में हफ्ते में लगभग दो बार रक्तस्नव हो सकता
है।
हीमोफीलिया का
उपचार-
मनुष्य शरीर में कई प्रकार के फैक्टर होते
हैं। किसी भी फैक्टर के न होने या कमी होने से बच्चे
में कोई न कोई विकृति देखी
जा सकती है। इस रोग के उपचार के लिए क्लॉटिंग फैक्टर आठ और
नौ को इंजेक्शन के
माध्यम से नसों तक पहुंचाया जाता है जिससे रक्त का थक्का जमने की गति
तीव्र हो
सके।
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Source –
KalpatruExpress News Papper
|
OnlineEducationalSite.Com
शुक्रवार, 30 मई 2014
अगर खून बन्द न हो तो हो जाएं सतर्क
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