रविवार, 22 जून 2014

‘शक’ है सबसे बड़ा दुश्मन



जहां से विश्वास टूटता है, वहीं से शक की शुरूआत होती है। यह सही है कि सभी पर आंखें 
मूंदकर विश्वास नहीं किया जा सकता, लेकिन जब कोई अपने करीबी लोगों या छोटी-छोटी बातों 
पर शक करने लगे तो यह स्थिति उसके लिए ठीक नहीं है। इसलिए जहां तक संभव हो शक को 
आदत में तब्दील न होने दें।
क्यों होता है ऐसा-
 किसी भी इंसान के व्यक्तित्व को संवारने या बिगाड़ने में उसके बचपन के परिवेश का बहुत बड़ा 
योगदान होता है। अगर किसी का बचपन असुरक्षित माहौल में बीता हो, रंग-रूप, आर्थिक स्थिति 
 या अन्य कारण से हीनभावना हो तो उस व्यक्ति के मन में शक की भावना स्थायी रूप से घर 
कर जाती है। अगर इसे सही समय पर दूर न किया जाए तो आगे चलकर कई मनोवैज्ञानिक 
 समस्याएं भी हो सकती हैं।
प्रमुख लक्षण-
1-     करीबी लोगों पर अविश्वास।
2-     उदास रहना।
3-     हमेशा यह सोचना कि कोई मेरे साथ धोखाधड़ी कर लेगा।
कैसे करें बचाव-
1-     अपनी समस्या को पहचान कर उसे दूर करने की कोशिश करें।
2-     समस्या की जड़ को खुद ही ढूंढने की कोशिश करें कि कहीं कोई ऐसा अनुभव तो नहीं हुआ,
जिससे आपके विश्वास को ठेस पहुंची हो।
3-     सकारात्मक सोच वाले लोगों से दोस्ती बढ़ाएं और उनकी बातों से अपने अंदर बदलाव लाने 
की कोशिश करें।
4-     कभी कुछ ऐसे काम करें, जिससे आपको अपनी यह आदत सुधारने में मदद मिले। मसलन 
किसी परिचित को जरूरी काम सौंपना आदि।
5-     ध्यान रखें कि विश्वास करने वाला नहीं, बल्कि धोखा देने वाला गलत होता है।
6-     अगर कभी आपके मन में किसी के लिए शक की भावना पैदा तो उससे बात करके 
गलतफहमी दूर कर लें।
7-     किसी एक बुरे अनुभव के आधार पर अन्य लोगों के बारे में गलत धारणा न रखें। दूसरों को 
भी मौका दें कि वे आपके सामने खुद को सही साबित कर
सकें
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Source – KalpatruExpress News Papper






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