कोलकाता के दीपक गोयल के
सिर पर खेती का जुनून ऐसा चढ़ा कि वे सालाना डेढ़ करोड़ रुपये पैकेज की नौकरी
छोड़ किसान बन गए। दीपक ने खंडवा के बंजारी गांव के पास 100 एकड़
जमीन खरीदी। अनार के पौधे लगाए। छह साल कड़ी मेहनत की। एक-एक पौधे की देखभाल की।
अब यह पौधे बेहतर क्वालिटी के अनार दे रहे हैं। अनार विदेशों में भी एक्सपोर्ट
किया जा रहा है। दीपक गोयल अपनी इस नई पहचान से बेहद खुश हैं। वे पत्नी शिल्पा के साथ शहर की चमक-दमक वाली कॉर्पोरेट लाइफ छोड़ ठेठ देहाती
अंदाज में गांव में ही रह रहे हैं।
न्यूयॉर्क से की पढ़ाई-
दीपक गोयल काफी पढ़े-लिखे हैं। वे मूलत: कोलकाता के रहने वाले
हैं। 1994 में न्यूयॉर्क की रोचेस्टर यूनिवर्सिटी से
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। फिर स्वदेश आए और कोलकाता में ही खुद
का उद्योग स्थापित किया।
पहले शुरू की सरिया फैक्ट्री-
पहले उन्होंने सरिया फैक्ट्री शुरू की। खूब पैसा भी कमाया। इस बीच
एमबीए किया। 11 साल बाद फैक्ट्री बेचकर इंदौर गए। यहां
रुचि सोया उद्योग में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाली। यहां उनका
सालाना पैकेज डेढ़ करोड़ रुपये था। सारी भौतिक सुख सुविधाएं भी मिली, लेकिन सुकून नहीं मिला। दो साल बाद नौकरी छोड़ दी। अनार की खेती के गुर
सीखे। बाकायदा प्रशिक्षण लिया। फिर बंजारी गांव के पास 100 एकड़ जमीन खरीदी। 10 खेत बनाए। दो खेत खंडवा और आठ
खरगोन जिले में हैं। यहां अनार के पौधे रोपे। पत्नी के साथ यहीं बस गए। पौधों की
छह साल तक दिन-रात देखभाल की। प्रत्येक पेड़ पर सैकड़ों अनार लग गए। इनकी
क्वालिटी भी बहुत अच्छी है। इन्हें मुंबई-कोलकाता सहित अन्य शहरों में भेज रहे
हैं। वहां से अनार विदेशों में एक्सपोर्ट हो रहा है। इससे उन्हें अच्छी-खासी
आमदनी हो रही है।
क्यों बने किसान?
दीपक गोयल कोलकाता में जन्मे। अमेरिका में पढ़े। हमेशा कारपोरेट लाइफ जिये।
इसी बीच वे कई बार गांवों में भी गए। वहां के लोगों से मिले। गांव का जीवन
उन्हें लुभाने लगा। पहले प्लान था कि रिटायर होने के बाद किसान बनेंगे, लेकिन
फिर सोचा जब यही काम करना है तो अभी क्यों नहीं? बस तत्काल
किसान बनने की ठानी और जुट गए।
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