रविवार, 14 जून 2015

हर महीने यहां इन्‍वेस्‍ट करें छोटी रकम, बच्‍चों के भविष्‍य की नहीं रहेगी चिंता


नई दिल्‍ली। बच्‍चों की पढ़ाई-लिखाई और उनकी शादी हर मां-बाप के लिए एक बड़ी चिंता होती है। इस उद्देश्‍य से बाजार में कई तरह की योजनाएं उपलब्‍ध हैं, जिनमें जीवन बीमा की चाइल्‍ड पॉलिसी, बैंकों के फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट, रैकरिंग डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड आदि शामिल हैं। हालांकि, लंबी अवधि के लिए हर महीने 500 या 1,000 रुपए का निवेश अगर आप अपने बच्‍चों के लिए इक्विटी म्‍युचुअल फंड में करते हैं तो आपको अन्‍य विकल्‍पों की तुलना में कहीं ज्‍यादा रिटर्न मिलेगा। हां, अच्‍छे रिटर्न के लिए जरूरी है कि आप नियमित रूप से सिस्‍टमेटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान के जरिए म्‍युचुअल फंड में निवेश करें और इसे बच्‍चों की उच्‍च शिक्षा या शादी के समय तक जारी रखें।
खुद से बनाई निवेश योजना सबसे अच्‍छी
आपको यह जानकर आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए कि विकसित देशों में उच्च शिक्षा के लिए सरकार की योजनाएं हैं। भारत में अब तक ऐसा कोई विकल्प नहीं है। शिक्षा दिन प्रतिदिन खर्चीली होती जा रही है और माता-पिता को अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए योजना बना कर चलना चाहिए। अच्छा तो यह रहेगा कि माता-पिता बच्चों की शिक्षा के लिए शुरू से ही योजना बना कर, उसके अनुरुप बचत करते चलें। माता-पिता को इस बात का अनुमान लगा कर बचत करनी चाहिए कि 10 साल या 20 साल बाद बच्चे की उच्च शिक्षा में कितना खर्च हो सकता है और उसी हिसाब से योजना बनानी चाहिए।

म्‍यूचुअल फंडों में सिप जरिए इन्‍वेस्‍टमेंट
माता-पिता बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए पैसों का निवेश सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) के जरिए म्‍यूचुअल फंडों में कर सकते हैं, जिसके तहत एक निश्चित राशि का निवेश प्रत्येक माह म्युचुअल फंडों की विभिन्न योजनाओं में किया जाता है। बाजार के उतार-चढ़ाव को मात देने और लंबी अवधि में धन बनाने का सबसे अच्छा जरिया है इक्विटी फंडों में सिप के जरिए निवेश।
इक्विटी फंडों में जोखिम अधिक होता है लेकिन इनमें सबसे अधिक रिटर्न देने की क्षमता भी होती है। आम तौर पर इक्विटी फंड लंबी अवधि में औसत 11-15 प्रतिशत का रिटर्न देते हैं। इक्विटी फंड प्रमुख रूप से शेयरों में निवेश करते हैं इसलिए कम अवधि में इसके एनएवी में काफी उतार-चढ़ाव देखा जाता है। बाजार की गिरावट के समय जो निवेशक धैर्य रख सकते हैं वह इन फंडों से ज्यादा लाभ अर्जित कर सकते हैं। हालांकि, धैर्य रखना उतना आसान भी नहीं है।
डेट फंड: इस विकल्प का चयन निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता पर भी निर्भर करता है। दीर्घावधि में डेट फंड या सरकारी बचत योजनाएं लगभग आठ प्रतिशत से थोड़ा अधिक रिटर्न देती हैं। निवेश के ये विकल्प कम जोखिम वाले और अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित होते हैं।
बैलेंस्ड फंड: जो इक्विटी और डेट का मिश्रण होता है, डेट फंडों की तुलना में ज्यादा जोखिम भरा होता है, लेकिन लंबी अवधि में इसका रिटर्न डेट फंडों की तुलना में ज्‍यादा बेहतर रहता है। इन फंडों का रिटर्न लंबी अवधि में 8-14 प्रतिशत तक का हो सकता है।

फंड सेलेक्‍शन का क्‍या हो तरीका
माता-पिता को पिछले पांच-10 साल के दौरान फंडों के प्रदर्शन पर गौर करना चाहिए। पिछला प्रदर्शन हालांकि भविष्य के प्रदर्शन की गारंटी नहीं देता लेकिन इसके आधार पर चयन किया जा सकता है। सभी म्युचुअल फंड कंपनियां निवेशकों को फंडों का व्यापक विकल्प उपलब्ध कराती हैं।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि जो योजना माता-पिता ने बनाई है उस पर अनुशासित तरीके से अमल भी करें। बीच में कभी भी पैसों की निकासी के बारे में न सोचे भले जरूरत छोटी राशि की ही क्यों न हो। निकाली जाने वाली छोटी राशि ही ही बड़ा कॉरपस बनने में सेंध लगाती है।


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