उच्च मुद्रास्फीति शब्द से ही हम यह समझ सकते हैं की ऐसी मुद्रास्फीति जिसे नियंत्रित करना बहुत कठिन हो अथवा जिसकी दर अपेक्षा से अधिक हो। यह माल और सेवाओं की उच्च दर मूल्य स्तर में सामन्य वृद्धि से बढ़ती है, मान लें एक माह में 50%। पैसे का मूल्य कम हो जाता है, जो की मुद्रा पतन और गंभीर आर्थिक और सामजिक समस्याओं का कारण बनता।
उच्च मुद्रास्फीति के सामान्य कारण
- बाज़ार में ज्यादा मुद्रा/पैसे।
- प्राकृतिक आपदाओं और युद्धों की वजह से आपूर्ति में कमी ।
- अन्य आर्थिक कारकों की वजह से मुद्रा का तेजी से ह्रास/अवमूल्यन।
जिम्बावे चारो तरफ से अन्य राष्ट्रों से घिरा हुआ एक राष्ट्र है। इसने 8 अप्रैल 1980 को ब्रिटेन से स्वतन्त्रता प्राप्त की थी।स्वतंत्रता के बाद मुद्रा को सम मूल्य पर रोडेशियाई डॉलर से जिम्बाब्वे डॉलर कर दिया गया। आरंभिक वर्षों के दौरान इस राष्ट्र ने एक स्थिर उर्ध्व वृद्धि का अनुभव किया जो 1990 के दशक के मध्य तक जारी रही।
ज़िम्बाब्वे की उच्च मुद्रास्फीति(1997-2008) का प्रमुख कारण।
यद्यपि उच्च मुद्रास्फीति के लिए कई कारण उत्तरदायी हैं किन्तु तीन प्रमुख कारण हैं:
भूमि सुधार कार्यक्रम: सम्पूर्ण उपनिवेशिक इतिहास और 80 से 90 के दशक के दौरान ज़िम्बाब्वे बड़े स्तर का कृषि निर्यातक रह चूका है और संबंधित विकास का साक्षी रहा यहाँ तक की एक समय में वह केवल दक्षिण अफ्रीका के पीछे था। इस समय में, आजादी के बाद देश के सबसे उत्पादक खेत अमीर हाथों में थे, 1990 के दशक में राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे की सरकार ने स्वामित्व बदलने के लिए काम किया। इस प्रकार कृषि उद्योग वसूली से परे ढह गया। कभी खाद्य का बड़ा निर्यातक रहा राष्ट्र खाद्य का बड़ा आयातक बन चुका था। इस परिवर्तन ने अर्थव्यवस्था पर गम्भीर प्रभाव डाले। जिस देश ने विश्व भर को भोजन उपलब्ध कराया आज वहां सम्भवत: बाजारों में लगाने के लिए पर्याप्त समग्री नहीं बची। बैंकिंग क्षेत्र भी पूँजी विकासित करने के लिए ऋण प्राप्ती में असमर्थ किसानों के साथ ही ढह गया। देश अपने ऋण का एक बड़ा हिस्सा चुकाने में सक्षम नहीं था और इसका ऋण दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था जिसकी वजह से सभी प्रकार के बाह्य और आंतरिक उधार पर रोक लग गयी थी। कोई भी उन्हें उधार देने के लिए तैयार नही था। संकट के चरम पर यहाँ की सरकार के ज्यादातर भरपाई के लिए अन्य देशों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से सहायता पर निर्भर थी।
युद्ध निधिकरण: 1990 के दशक के अंत में मुगाबे ने द्वीतीय कांगो युद्ध में ज़िम्बाब्वे की सेना दी।सितम्बर 1998 में, आर्थिक स्थिति का खराब होना जारी था, राष्ट्रपति ने कुख्यात नेता, लौरेंत कबीला को वापस करने के लिए कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) के लिए 11,000 सैनिकों को भेजा। युद्ध में इसकी भागीदारी ने 21 वीं सदी के आरम्भ में इसके मौद्रिक भंडार को निचोड़ लिया। इतना ही नहीं युद्ध में आर्थिक सहायता के लिए मुगाबे सरकार और अधिक नोट छापने लगी । जिम्बाब्वे ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को अपने युद्ध खर्च रिपोर्टिंग के तहत एक महीने में लगभग 22,000,000 $ बताया था।
आर्थिक प्रबन्धन: मंदी के प्रमुख कारणों में से एक था पिछले 10 वर्षों का राजकोषीय प्रबन्धन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुदान सहित बजट घाटा, 2006 में अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद का 10.0 प्रतिशत प्राप्त कर सका। यह आंकड़ा 1998 में सकल घरेलू उत्पाद 3.0 प्रतिशत का लगभग तिगुना हुआ। इन सब गंभीर कुप्रबंधन के परिणामस्वरुप खाद्य संकट खड़ा हुआ। इसके अतिरिक्त भूमि सुधार कार्यक्रमों में हिंसा के बीच, अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए आवश्यक विदेशी मुद्रा आय - खेती और पर्यटन दोनों ही बुरी स्थिति में थे ।
प्रभाव
स्थायी उच्च मुद्रा स्फीति। मुद्रा (जिम्बाब्वे डॉलर) का भारी मूल्य ह्रास हुआ और इस कारण गंभीर आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हुईं। 2008 में, वार्षिक मुद्रास्फीति दर 11.2 मिलियन प्रतिशत बिंदु थी। जिसका अर्थ है की मुद्रा के निर्माण में उसकी लागत उसकी कीमत से अधिक होगी। उदाहरणस्वरुप पाव रोटी की कीमतZ$7,000 से Z$10,000 तक हो सकती है। मूल्यांकन में मुद्रा का मूल्य इतना कम था की उन्हें ट्रिलियन मूल्यवर्ग की मुद्राएँ छापनी होंगी।
भारी बेरोजगारी: 80% से अधिक जनसंख्या बेरोजगार थी। लोगों की जीवन क्षमता में कमी आई और यहाँ विश्व की सबसे कम जीवन क्षमता आंकी गयी। अधिकांश जनसंख्या खाद्य सहायता पर निर्भर थी।
गंभीर खाद्य समस्या: ज़िम्बाब्वे के लाखों निवासियों ने गहरे खाद्य संकट का सामना किया है और अधिकतर नागरिक दिन में एक समय का भोजन करके ही जीवन बिता रहे थे । 2000 की बाढ़ के बाद स्थितियां और भी बुरी हो गयीं।
रोगों का व्यापक प्रसार और मृत्यु दर में वृद्धि - एचआईवी / एड्स और मलेरिया के मामलों ने अर्थव्यवस्था की समस्याओं को बढ़ने का कार्य किया।
जनसंख्या विस्थापन: उच्च संकट के दौरान सैकड़ों और हजारों लोग अपनी जड़ों को छोड़कर या तो निकटवर्ती राष्ट्रों में अथवा ज़िम्बाब्वे के भीतर विस्थापित हुए।
2009. मुद्रास्फीति को कानून और उसके वर्गों द्वारा नियंत्रित करने के स्थान पर (2006, 2008 और2009 में), आधिकारिक मुद्रा के रूप में जिम्बाब्वे डॉलर के उपयोग को प्रभावी ढंग से 12 अप्रैल 2009 में छोड़ दिया गया था।
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