हितोपदेश के अनमोल विचार -
· विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है।
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हितोपदेश
· बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं।
इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करें।
· ना तो कोई किसी का मित्र है ना ही शत्रु है।
व्यवहार से ही मित्र या शत्रु बनते हैं।
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हितोपदेश
· लोभी को धन से, अभिमानी को विनम्रता
से, मूर्ख को मनोरथ पूरा कर के, और पंडित को सच बोलकर वश में किया जाता है।
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हितोपदेश
· सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती
है, गुणों की नहीं। सब गुणों की अपेक्षा स्वभाव
ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।
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हितोपदेश
· ज्ञानं भार: क्रियां बिना। आचरण के बिना
ज्ञान केवल भार होता है।
- हितोपदेश
· मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं
है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।
- हितोपदेश
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