· कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास
भी है और स्वामी भी। -
रवींद्रनाथ ठाकुर
· जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का
मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। - रवींद्रनाथ ठाकुर
· विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व
अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है।
-
रवींद्रनाथ ठाकुर
· फूल चुन कर एकत्र करने के लिए मत ठहरो। आगे
बढ़े चलो, तुम्हारे पथ में फूल निरंतर खिलते रहेंगे।
- रवींद्रनाथ ठाकुर
· समय परिवर्तन का धन है। परंतु घड़ी उसे केवल
परिवर्तन के रूप में दिखाती है,
धन के रूप में
नहीं।
- रवींद्रनाथ ठाकुर
· जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय
देता है उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है।
-
रवींद्रनाथ ठाकुर
· ईश्वर बड़े-बड़े साम्राज्यों से ऊब उठता है
लेकिन छोटे-छोटे पुष्पों से कभी खिन्न नहीं होता।
- रवींद्रनाथ
ठाकुर
· मनुष्य का जीवन एक महानदी की भाँति है जो
अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है।
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रवींद्रनाथ ठाकुर
· प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर
अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है।
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रवींद्रनाथ ठाकुर
·यदि तुम जीवन से सूर्य के जाने पर रो पड़ोगे
तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देख सकेंगी?
- रवींद्रनाथ ठाकुर
· सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है।
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर
· अगर आप गलतियों को रोकने के लिये दरवाजे बन्द
करते हैं तो सत्य भी बाहर ही रह जाएगा।
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर
· चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता
है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है।
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर
· विश्वविद्यालय महापुरुषों के निर्माण के कारख़ाने
हैं और अध्यापक उन्हें बनाने वाले कारीगर हैं।
- रवीन्द्रनाथ ठाकुर
·
जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग
में अपनी ही छाया डालते हैं।
- रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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