· मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही
कर्म के रंग में रंग जाता है।
- विनोबा
· जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें
कोई योजना काम नहीं कर सकती।
- विनोबा
· ऐसे देश को छोड़ देना चाहिए जहाँ न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न
ही ज्ञान की आशा।
- विनोबा
· स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप
कर लेता है।
· विचारकों को जो चीज़ आज स्पष्ट दीखती है
दुनिया उस पर कल अमल करती है।
- विनोबा
· केवल अंग्रेज़ी सीखने में जितना श्रम करना
पड़ता है उतने श्रम में भारत की सभी भाषाएँ सीखी जा सकती हैं।
- विनोबा
· कलियुग में रहना है या सतयुग में यह तुम
स्वयं चुनो, तुम्हारा युग तुम्हारे पास है।
- विनोबा
· प्रतिभा का अर्थ है बुद्धि में नई कोपलें
फूटते रहना। नई कल्पना, नया उत्साह, नई खोज और नई
स्फूर्ति प्रतिभा के लक्षण हैं।
- विनोबा
· महान विचार ही कार्य रूप में परिणत होकर महान
कार्य बनते हैं।
-
विनोबा
· जबतक कष्ट सहने की तैयारी नहीं होती तब तक
लाभ दिखाई नहीं देता। लाभ की इमारत कष्ट की धूप में ही बनती है।
- विनोबा
· द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है।
- विनोबा
· जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया, उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया।
– विनोबा
· हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है
लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता। वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता
है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं
कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को
मंजूर नहीं है।
- विनोबा
· मौन और एकान्त, आत्मा के
सर्वोत्तम मित्र हैं।
- विनोबा भावे
· हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा
जितना काम देगी, उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती
है।
-
आचार्य विनबा
भावे
· गरीब वह नहीं जिसके पास कम है, बल्कि धनवान होते हुए भी जिसकी इच्छा कम नहीं हुई है, वह सबसे अधिक गरीब है।
- विनोबा भावे
· सिर्फ धन कम रहने से कोई गरीब नहीं होता, यदि कोई व्यक्ति धनवान है और इसकी इच्छाएं ढेरों हैं तो वही सबसे गरीब है।
- विनोबा भावे
· सेवा के लिये पैसे की जरूरत नहीं होती जरूरत
है अपना संकुचित जीवन छोड़ने की,
गरीबों से एकरूप
होने की।
- विनोबा भावे
· जिस त्याग से अभिमान उत्पन्न होता है, वह त्याग नहीं, त्याग से शांति मिलनी चाहिए, अंतत: अभिमान का त्याग ही सच्चा त्याग है।
- विनोबा भावे
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