रविवार, 2 फ़रवरी 2014

नियोजित तरीके से करें बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी


                         

नए साल के आगमन के साथ ही दसवीं व बारहवीं की बोर्ड परीक्षा की तिथियां नजदीक आ जाती हैं। इस परीक्षा के ख्याल ने बहुत से छात्रों के लिए भय भी पैदा करना शुरू कर दिया है। डर से ये परीक्षाएं किसी को अनिद्रा का शिकार बना रही हैं तो किसी में फिजूल का तनाव बढ़ रहा है। कड़ी प्रतियोगिता के माहौल में बेहतर प्रदर्शन के लिए इस तरह का भय पालना सेहत और करियर दोनों के लिए बेहद नुकसानदायक है।
अगर आप में कुछ करने का जुनून है तो परिणाम कोई खास मायने नहीं रखता। बहुत सारी हस्तियों ने जुनून के बलबूते जीवन में ऊंचे मुकाम हासिल किए हैं और आप भी ऐसा कर सकते हैं।
.बोर्ड परीक्षा को सहज रूप से लें। इसके लिए कोई अनावश्यक तनाव पालने या चिंतित होने की जरूरत नहीं। आप बोर्ड परीक्षा की तैयारी अपने ढंग से करें।
यह कभी न सोचें कि उसने आठ घंटे पढ़ाई की है और हमने सिर्फ चार घंटे। उसने सभी पेपर तैयार कर लिए हैं और मेरा कोर्स अभी पूरा नहीं हुआ। बच्चों को लेकर इस तरह की चीजें अभिभावकों को भी नहीं सोचनी चाहिए।
.हर छात्र के पढ़ने का अपना ढंग होता है। चीजों को समझने व ग्रहण करने की भी क्षमता उनमें अलग- अलग होती है। ऐसे में एक से दूसरे की तुलना ठीक नहीं। इससे अतिरिक्त तनाव पैदा होता है। जरूरत है बच्चे की कमजोरी को पहचानने और उसे मित्रवत भाव से दूर करने की।
. परीक्षा की तैयारी के लिए पढ़ना तो जरूरी है ही, लेकिन कैसे पढ़ें, इसे भी सीखना चाहिए। पढ़ाई के साथ-साथ नींद, अभ्यास और पौष्टिक भोजन जैसी चीजें भी उसी के पहलू हैं। अगर किताब पढ़ते जाएं और पर्याप्त नींद न लें तथा स्वास्थ्य के लिए थोड़ी- बहुत कसरत न करें तो यह ठीक नहीं। इससे मानसिक असंतुलन, तनाव या अन्य समस्याएं पैदा होती हैं।
.पढ़ाई के लिए माहौल बनाना भी जरूरी है। याददाश्त बढ़ाने के लिए आधा घंटा या उससे अधिक के बाद कुछ देर तक रिकॉल करने पर ध्यान देना चाहिए।
कुछ विराम देकर सामग्री को मन ही मन गुनगुनाना चाहिए कि क्या पढ़ा।
.पढ़ाई का बोङिाल होना भी तनाव पैदा करता है। याद रखने और सीखने के लिहाज से छात्रों को छोटे-छोटे स्लॉट बना कर पढ़ना चाहिए। यह जरूरी नहीं कि दो घंटे तक लगातार पढ़ें। आधे-आधे घंटे की पढ़ाई भी फायदेमंद हो सकती है। इस मामले में बेहतर यही होगा कि जिसकी जितनी देर तक बैठने की क्षमता है, वह उतनी ही देर पढ़ने बैठें। पढ़ने व आसानी से याद रखने के लिए फ्लैश कार्ड और सहयोगी बना कर पढ़ सकते हैं। डायग्राम तैयार कर पाठ्य सामग्री को याद करें।
. इसके अलावा कई और महत्त्वपूर्ण तरकीबें भी हैं मसलन अरेंज करके याद करें। न्यूमॉनिक्स बना कर सीख सकते हैं या कहानी बुनकर भी याद कर सकते हैं। नींद पर भी ध्यान देने की जरूरत है। यूं तो सुबह का वक्त पढ़ने के लिहाज से बेहतर माना जाता है लेकिन हर बच्चे को ऐसा करने के लिए जोर नहीं देना चाहिए। कोई देर रात पढ़ कर देर से उठता है और कोई पहले ही सोकर जल्दी उठता है। ध्यान रहे कि पर्याप्त नींद जरूर लें।
. माता-पिता बच्चों के भविष्य को लेकर अधिक चिंतित न हों और न ही उन पर किसी तरह का दबाव बनाएं।
. खाने, सोने और पढ़ने की नियमित दिनचर्या के पालन का ध्यान रखें।
. कम से कम पांच घंटे की नींद जरूरी है।
. पढ़ाई के तनाव से मुक्ति के लिए घूमें, जॉगिंग या साइकिलिंग करें और म्यूजिक सुनें।
. ब्रेक देकर पढ़ें।
. अगर स्टडी ग्रुप बना है तो उसमें शामिल हों।
. अपने पुराने रिजल्ट के बारे में न सोचें। अपनी कमजोरियों को पहचानकर दूर करने की कोशिश करें।
. ऐसे कमरे में पढ़ें, जहां कम से कम ध्यान बंटे।
. पढ़ाई के लिए टाइम-टेबल का पालन करें।
. मुश्किल विषय को पहले देखें।
. अगर समय कम है तो अपने पूरे सिलेबस को देखें और जो नहीं समझ आये, उसे छोड़ कर बाकी को पूरा करें।
. बीच-बीच में पढ़ाई से मुक्ति के लिए घूमें या म्यूजिक सुनें।
. आने वाले रिजल्ट व भविष्य की परवाह अभी से न करें।
. ध्यान रहे, लगातार कई घंटों तक पढ़कर कोई भी अच्छे अंक प्राप्त नहीं कर सकता। किताबी कीड़ा बनने की जरूरत नहीं। पढ़ाई के साथ थोड़ा समय बाकी कामों के लिए भी निकालें। परीक्षा के वक्त तनाव होना जरूरी भी है लेकिन इतना नहीं कि पढ़ा हुआ याद ही न हो पाए। हर विद्यार्थी का अपना बॉडी क्लॉक होता है। किसी को रात में पढ़ना अच्छा लगता है, तो किसी को सुबह। आप भी अपना बॉडी क्लॉक समङों और उसके अनुसार काम करें।
. विद्यार्थी परीक्षा के तनाव को कम करके सकारात्मक सोच अपनाएं। परीक्षा को अब कम ही समय रह गया है। ऐसे में किसी नए अध्याय की शुरुआत करने की बजाय जो पढ़ा है, उसे ही अच्छे से तैयार करें। पढ़ाई के साथ ही खान-पान का भी बराबर ध्यान दें। लाख समझने पर भी विद्यार्थियों के मन में परीक्षा को लेकर तनाव तो रहता ही है। इस स्थिति में दिमाग को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है, जो उचित खानपान से ही संभव है। खाना सिर्फ दो बार न् खाकर कुछ अंतराल में कई बार में खाएं। हर एक घंटे में पानी जरूर पिएं और अंगूर, सेब, मुनक्का, मूंगफली, संतरा, सोयाबीन, पालक, खजूर, शहद और गुड़ भी खाएं। मसालेदार खाने से बचें।
. अगर आप तनाव में हैं या फिर आपको किसी तरह की घबराहट या बेचैनी हो रही है तो जल्दी ही घर के किसी सदस्य को या फिर करीबी मित्र को बताएं। अगर आपको लगता है कि आपकी बात् कोई नहीं सुनेगा तो किसी हेल्पलाइन पर फोन् करें। वे आपका मार्गदर्शन करेंगे। परीक्षा के दिन् में बच्चों के लिए विशेष हेल्पलाइन शुरू की जात् हैं।
. हमेशा लिखकर याद करें। इससे गलतियों की संभावना कम होगी।
. रटकर याद करने से बचें। इससे आशंका पूरी तरह नहीं समाप्त होती है। किसी भी विषय के मूल को पहले समझने का प्रयास करें।
. समय-समय पर अपने पाठ को दोहराते रहें और प्रतिदिन इसके लिए कम से कम आधे घंटे का समय निकालें।
. अंकों के प्रश्र हल करते वक्त हमेशा फामरूल् लिखें, उसके बाद प्रश्न को इस फार्मूले के आधार पर हल करें।
. हल हो चुके प्रश्नों का महत्व समङों और प्रश्न करन् के पश्चात अपने उत्तर को हल से अवश्य मिलाएं।
. भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र आदि विषयों के फार्मूले बनाकर उन्हें अपने कमरे की दीवार पर लगा लें जिससे चलते-फिरते आप उन्हें दोहरा सकें।
. परीक्षा के लिए लक्ष्य तय करना जरूरी है। अपन् क्षमता देखकर ही अपना लक्ष्य तय करें। वरन् बाद में निराशा होगी।
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Source – KalpatruExpress News Papper

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