मंगलवार, 18 मार्च 2014

15000 भारतीयों पर सिर्फ एक महिला पुलिसकर्मी



पिछले साल केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश का बयान सरकार की आंखे खोलने वाला था कि देश में 15000 हजार थानों में सिर्फ 400 महिला थाने हैं और जिसमें से 40 प्रतिशत आंध्र प्रदेश में हैं। रमेश के मुताबिक महिला थानों की संख्या देश में कम से कम 60 फीसदी होनी चाहिए। हैरानी की बात है कि चंबल अंचल के जिलों भिंड, मुरैना, दतिया, श्योपुर, शिवपुरी और अशोकनगर में महिला पुलिस थाने ही नहीं है। अगर दतिया की बात की जाए तो यहां से भाजपा के ताकतवर काबीना मंत्री नरोत्तम मिश्र हैं।
लेकिन दो बार के कार्यकाल में वे अब तक महिलाओं की सुरक्षा के लिए थाना तक नहीं बनवा सके। हैरत की बात ये है कि जब वहां के जनप्रतिनिधियों के सामने हमारे संवाददाता राजवीर सक्सेना ने उनकी राय जाननी चाही तो उन्होंने नजर अंदाज करने के अंदाज में सवाल में दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। आधी आबादी की सुरक्षा कैसे होगी जब उनकी सुरक्षा के लिए तैनात महिलाएं नगण्य हैं। देश के पुलिस बल में कम से कम 25 प्रतिशत महिला पुलिसकर्मियों का होना बेहद जरुरी है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में महिला पुलिस कुल पुलिस बल के पांच प्रतिशत से थोड़ा ही ज्यादा है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में 15,85,117 में से कुल 84,479 यानि की कुल में से 5.33% ही पुलिस सेवा में है। इससे ज्यादा हैरानी की बात यह है कि देश के कुल 15,000 पुलिस थानों में से सिर्फ 499 ही महिला पुलिस थाने हैं। हालांकि निर्भया कांड के बाद महिला पुलिस थानों की जबरदस्त कमी महसूस की गई है। वर्ष 2011 में 2,28,650 आपराधिक घटनाओं में से 24,206 बलात्कार की थीं।
इसके बावजूद महिला पुलिसकर्मियों की नियुक्तियों की संख्या ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही है।


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Source – KalpatruExpress News Papper

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