गुरुवार, 6 मार्च 2014

बाल कविता



चूहा और खरगोश
खरगोश जी बोले सुनिए आप ।
भैया पीना समझो पाप ।।
करिये राम-नाम का जाप ।
मिट जाये तेरा परिताप ।।
तुम हो दो बच्चों के बाप ।
उनको भी होता संताप ।।
स्वास्थ्य भी इससे तेरा बिगड़े ।
घर में आके तू नित झगड़े ।।
जो पीता उसका घर उजड़े ।
छोड़ो हो जाओ मोटे-तगड़े ।।
चूहा जी ने मानी बात ।
हो गया जीवन में प्रभात ।।
बीत गयी दु:ख की सब रात ।
करते न कोई उत्पात ।।
बच्चों से अब करते बात ।
चुहिया भी मन में पुलकात ।।
दिन-दिन बढ़ती उनकी कांति ।
घर में भी रहती सुख-शांति ।।
 चूहा जी ने पिया शराब ।
इनकी आदत बड़ी खराब ।।
नशे में झूमे गिरे धड़ाम ।
मानो हो गया काम तमाम ।।
डॉक्टर जी आये खरगोश ।
देख के बोले हुआ बेहोश ।।
दी दवाई आ गया होश ।
बोले देखूं आये जोश ।।
पी लूं तो कर दे खामोश ।
इसमें नहीं कुछ मेरा दोष ।।
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Source – KalpatruExpress News Papper

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