चूहा और खरगोश
खरगोश जी बोले
सुनिए आप ।
भैया पीना
समझो पाप ।।
करिये राम-नाम
का जाप ।
मिट जाये तेरा
परिताप ।।
तुम हो दो
बच्चों के बाप ।
उनको भी होता
संताप ।।
स्वास्थ्य भी
इससे तेरा बिगड़े ।
घर में आके तू
नित झगड़े ।।
जो पीता उसका
घर उजड़े ।
छोड़ो हो जाओ
मोटे-तगड़े ।।
चूहा जी ने
मानी बात ।
हो गया जीवन
में प्रभात ।।
बीत गयी दु:ख
की सब रात ।
करते न कोई
उत्पात ।।
बच्चों से अब
करते बात ।
चुहिया भी मन
में पुलकात ।।
दिन-दिन बढ़ती
उनकी कांति ।
घर में भी
रहती सुख-शांति ।।
चूहा जी ने पिया शराब ।
इनकी आदत बड़ी
खराब ।।
नशे में झूमे
गिरे धड़ाम ।
मानो हो गया
काम तमाम ।।
डॉक्टर जी आये
खरगोश ।
देख के बोले
हुआ बेहोश ।।
दी दवाई आ गया
होश ।
बोले देखूं
आये जोश ।।
पी लूं तो कर
दे खामोश ।
इसमें नहीं
कुछ मेरा दोष ।।
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Source –
KalpatruExpress News Papper
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गुरुवार, 6 मार्च 2014
बाल कविता
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