मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

कविता



प्रियंका गोस्वामी
चाँद वाले बाबा
रात उठ - उठ कर जागना
प्यार की कसक कब रहा ?
नींद तो हमेशा एक कच्ची कहानी के चिथड़े बटोरने में टूट गई
और स्वप्न एक कमरे से गुज़र कर चाबी के उन्ही गुच्छों में उझ गए
जिससे उस कमरे को खोला था।
हाँ।।।। वो कमरा
जिसकी कहानी सुनाते हुए
उसने कहा था
कि वहाँ एक नयी दुनिया है
परियों की दुनिया चॉक्लेट्स की दुनिया
वहाँ भगवान रहते हैं।
भगवान से मिलेगी ?
मुङो सांप गले में डाले उस चन्द्रमा वाले बाबा से मिना था।
देखना था कि जो गंगा मेरे गांव के खलिहान सींचती है
वो उनकी जटाओं में कैसी दिखती है ?
मैं च दी।।।
परियां चॉक्लेट्स और चाँद वाले बाबा देखने ।।।
उसके हाथों के दस्तानों में जकड़े चाबी के गुच्छे छन- छन करते
एकदम माँ की पायलो की तरह।
अरे !!! माँ को भी साथ ाना चाहिए था
सोचते ही पीछे मुड़ती हूँ
पर मुड़ नहीं पाती ,
वो दस्ताने वाे हाथ चाबियों के साथ मुङो भी जकड़ ेते हैं
और घसीटते हैं उस कमरे में
जहाँ न परियां दिखीं न चॉक्लेट्स
वहाँ बंद किया जाता है मुंह
और दी जाती है एक पीड़ा
जिसके बारे में किसी ने नहीं बताया
अजीब सी चुभन
मैंने पुकारा माँ को।।।।। पापा को
कोई नहीं आया
फिर याद आये चाँद वाे बाबा
जो सब देखते और सुनते हैं
पर गे में डाे सांप को उन्होंने सूंघा था शायद।
सच कहा था उसने
कमरे में एक नई दुनिया थी
घिनौनी नई दुनिया
चॉक्लेट्स खून में बदबह रहे थे
उसी गंगा की तरह जो मेरे गांव के खिहान सींचती है
आवाज़ आई
कि किसी को बताया तो मार डाेगा मुङो
पर दर्द ने फिर भी बताया
पायों की छनकार वाी माँ को
पर वो भी चाँद वाे बाबा की तरह शांत रहीं।
तभी कहती हूँ कि
रात उठ - उठ कर जागना
प्यार की कसक कब रहा ?
नींद तो हमेशा एक कच्ची कहानी के चिथड़े बटोरने में टूट गई
और स्वप्न एक कमरे से गुज़र कर
चाबी के उन्ही गुच्छों में उझ गए
जिससे उस कमरे को खोा था।

तुम्हे वो हकीकत थमानी
है मैं शाम ढने का इंतज़ार करूँ
और तुम चुपचाप मेरे सामने
अपनी प्यारी सी मुस्कान िए
े आना ।
पर आना धीरे से
 हौे-हौे बादों के संग
क्यूंकि ये ज़मीन
तुम्हारे हर कदम से तुमको छू
 मुङो चिढ़ाती है ।
और मैं मन मसोस कर
सिर्फ उसे घूरती हूँ ।
इसिए चे आना
चुपके से ।।।।।।।
क्यूंकि तुम्हे चुरा कर
कहीं दूर े जाना है
जहाँ ना इन्डो - चीन की दीवारें होंगी,
और ना देवता गुनाह करेंगे ।
बस कुछ ठंडी हवाएँ शायद तुम्हे तंग करें
पर तुम रूठना मत ।।।।।
बस कोशिश करना सुनने की
उन हवाओं में घुे मेरे गीतों को ।
जिनमे कुछ तुम तो कुछ शिकायतें हैं ।।।
कभी फुर्सत में बैठकर सुनना उन्हें ।
और गर नींद आ जाए,
तो सो जाना मेरे आँचे ।।।।।
तुम्हे कुछ और नए सपने दिखाने हैं,
जिनका मैंने हकीकत से सौदा किया है ।
बस तुम चुपचाप चे आना
तुम्हे वो हकीकत थमानी है ।
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Source – KalpatruExpress News Papper



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